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झारखंड : निर्णय आने के बाद भी शुरू नहीं हुई 11वीं में नामांकन की प्रक्रिया, अधर में लटका बच्चों का भविष्य!

राजधानी रांची सहित झारखंड भर के बच्चों को अगर 11वीं में नामांकन के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे है. जी हां आलम यह है कि अभी राजधानी में 11वीं की पढ़ाई कराने वाले इंटर स्कूल की संख्या से कई गुना ज्यादा संख्या है ऐसे बच्चों की जिन्हें 11वीं में नामांकन लेना है.

Admission In 11th In Jharkhand : राजधानी रांची सहित झारखंड भर के बच्चों को अगर 11वीं में नामांकन चाहिए तो उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़ रहे है. जी हां आलम यह है कि अभी राजधानी में 11वीं की पढ़ाई कराने वाले इंटर स्कूल की संख्या से कई गुना ज्यादा संख्या है ऐसे बच्चों की जिन्हें 11 वीं में नामांकन लेना है. ऐसी स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि बीते दिनों राज्य सरकार की ओर से एक निर्देश जारी किया गया कि झारखंड के अंगीभूत कॉलेज में इंटर की पढ़ाई नहीं कराई जाएगी.

शिक्षकों ने किया जमकर विरोध, सरकार ने पढ़ाई कराने का लिया निर्णय

राज्य सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर इस बार की परीक्षा में शामिल लाखों बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकने लगी वहीं कई ऐसे शिक्षक भी थे जिनके रोजगार पर सवाल खड़े हुए. हालांकि, कई शिक्षकों ने इस नीति का पुरजोर तरीके से विरोध किया. बाद में राज्य सरकार ने अपने इस फैसले को वापस लिया और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह घोषणा की कि राज्य के अंगीभूत कॉलेज में पूर्व की तरह ही बच्चों की पढ़ाई की जा सकेगी. इस निर्णय के बाद आंदोलन कर रहे शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी.

फैसला आने के बाद भी चिंतित है बच्चे

सभी शिक्षकों ने इसके लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया. लेकिन स्थिति अभी भी बच्चों और आन्दोलनरत शिक्षकों के पक्ष में नहीं है. जी हां, ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद भी रांची विश्वविद्यालय के अंदर आने वाले कॉलेज में 11वीं के नामांकन के लिए शुरुआत नहीं की गयी है. साथ ही इससे संबंधित कोई भी अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. ऐसे में एक बार फिर आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह फैसला लिया है कि जल्द-से-जल्द रांची विश्वविद्यालय का घेराव करेंगे और अपनी मांग पूरी करने के लिए आंदोलन करेंगे.

जानें क्यों शुरू हुआ यह विरोध ?

बता दें कि विश्वविद्यालय की ओर से कहना है कि जो कॉलेज भी चाहे वह अपने स्वतः संज्ञान से नोटिस जारी कर नामांकन ले सकती है. लेकिन, कोई भी कॉलेज इसके लिए तैयार नहीं है. ऐसे में सबसे अधिक परेशानी बच्चों को हो रही है. बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद से यह पूरा मामला उठ रहा है. NEP 2020 के अनुसार अगर किसी भी कॉलेज में इंटर की पढ़ाई होती है तो उसके लिए अलग से भवन निर्माण किया जाना चाहिए, साथ ही शिक्षकों की नियुक्ति भी उनके लिए अलग होनी चाहिए. एक ही कॉलेज में स्नातक और इंटर की पढ़ाई नहीं कराई जा सकती है. राज्य के कई अंगीभूत कॉलेज में इस तरह की सुविधा नहीं है.

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बच्चे अधिक, सीटें कम

इस निर्णय के बाद से बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. राज्य में मैट्रिक की परीक्षा पास करने वाले बच्चों के मुकाबले राज्य में मौजूद इंटर स्कूल की संख्या बहुत ही कम है. राजधानी रांची की अगर बात करें, तो मारवाड़ी 10+2 उच्च विद्यालय, बालकृष्णा +2 हाई स्कूल, जिला स्कूल, बॉय्ज़ इंटर कॉलेज, संत जॉन स्कूल, संत अन्ना के अलावा कुछ और ऐसे स्कूल है जहां इंटर तक की पढ़ाई होती है. लेकिन पास मैट्रिक बच्चों के अनुपात में सीटों की उपलब्धता बहुत ही ज्यादा कम है.

आरोप मढ़ने का काम कर रहा प्रबंधन

ऐसे में उन बच्चों को अब सबसे बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है जो इंटर में कॉलेज में नामांकन लेना चाहते थे. न ही फॉर्म भरा जा रहा है और न ही बाकी इंटर स्कूल में सीटें बची है. राज्य सरकार के निर्णय के बाद भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. विश्वविद्यालय महाविद्यालयों पर और महाविद्यालय विश्वविद्यालय पर आरोप मढ़ने का काम कर रही है. आपसी समन्वय सहित अन्य जो भी परेशानी हो लेकिन सबसे अधिक दिक्कत का सामना निश्चित तौर पर राज्य के बच्चे कर रहे है. हालांकि, ऐसा क्यों हो रहा है यह पता नहीं चल पाया है.

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