रांची : लॉकडाउन के बाद खुलनेवाले राज्य के सरकारी स्कूलों का स्वरूप बदला हुआ होगा. वहीं, शैक्षणिक सत्र भी छोटा होगा, जो 15 जून 2020 से 31 मार्च 2021 तक चलेगा. शिक्षा विभाग ने लॉकडाउन के बाद स्कूलों को खोलने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इसके तहत शुरुआत में सभी बच्चों को एक साथ एक दिन स्कूल नहीं बुलाया जायेगा. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की भी तैयारी की जा रही है.
झारखंड शिक्षा परियोजना ने स्कूलवार विद्यार्थियों की संख्या और उनके बैठने की व्यवस्था की जानकारी जिलों से मांगी है. लॉकडाउन के बाद विद्यालय खुलने पर बच्चों को बुलाने को लेकर दो विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. जहां अलग-अलग दिन अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जा सकता है, वहां कक्षावार बच्चों को बुलाया जायेगा. वहीं, जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक हैं, वहां बच्चों को रोल नंबर के हिसाब से बुलाया जा सकता है.
राज्य के सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक के लगभग 42 लाख बच्चे नामांकित हैं. स्कूलों में की जायेगी हाथ धोने व्यवस्था स्कूलों में हाथ धोने के लिए पानी और साबुन की व्यवस्था की भी समीक्षा की जा रही है. जिन स्कूलों पानी की व्यवस्था नहीं है, वहां इसकी व्यवस्था की जायेगी. विद्यालयों में नल लगाये जायेंगे. बच्चों को मास्क देने पर विचार हो रहा है.
एक जून से स्कूल खोलने की तैयारी राज्य सरकार ने नया एकेडमिक कैलेंडर तैयार किया है. इसके अनुसार एक जून से स्कूल खोले जायेंगे. एक जून से कक्षा आठ, दस व 12वीं के विद्यार्थियों को विद्यालय बुलाया जायेगा. इस दौरान सभी शिक्षक भी नहीं अायेंगे. जिस कक्षा में 40 से 50 बच्चे बैठते थे, वहां 15 से अधिक बच्चे नहीं बैठने का निर्देश दिया गया है. एक शिक्षक दो घंटी के बराबर एक क्लास लेंगे. इसके बाद 15 जून से कक्षा एक से 12वीं तक की नियमित कक्षाएं चलेंगी.
लॉकडाउन के बाद दंत चिकित्सा में आयेंगी चुनौतियां
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रिनपास के सहयोग से डेंटल सर्जनों ने कराया अॉनलाइन सर्वे, 200 दंत चिकित्सकों ने हिस्सा लिया
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दांत के इलाज के दौरान गंभीरता से करना होगा सुरक्षा मानकों का पालन
रांची : लॉकडाउन के बाद दंत चिकित्सकों की सेवा ज्यादा खतरनाक होगी. यह चिंता अभी से दांत के डॉक्टरों को सताने लगी है. रिनपास की मदद से रांची के डेंटल सर्जनों ने ऑनलाइन सर्वे कराया है. इसमें करीब 200 दंत चिकित्सकों ने हिस्सा लिया. इन सबने कोविड-19 की वर्तमान और उसके बाद की स्थिति को लेकर वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन किया. इसमें 81 फीसदी दंत चिकित्सकों की चिंता कोरोना के बाद व्यवहार को लेकर थी. डाॅक्टरों ने बताया कि कोरोना बीमारी का मुख्य कारण मुंह से निकलनेवाले पानी के कण हैं.
अभी इससे बचने के उपाय पर भी चर्चा हो रही है, क्योंकि इलाज के क्रम में इससे बचा नहीं जा सकता है. इससे सबसे अधिक संक्रमण का खतरा बना रहेगा. इसमें थोड़ी भी चूक भारी पड़ सकती है. इस कारण दांत के इलाज के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन गंभीरता से करना होगा. सर्वेक्षण में रिनपास की सह प्राध्यापक डॉ मनीषा किरण, रिसर्च स्कॉलर स्वाति कुमारी और विकास कुमार आदि ने सहयोग किया. रिनपास के दंत चिकित्सक डॉ भुवन ज्योति ने बताया कि अब दांत के इलाज यानी दंत चिकित्सा में निवेश बढ़ेगा. सेनिटाइजेशन, मेडिकल किट और अन्य उपकरणों के खर्च बढ़ेंगे. इससे दांत का इलाज और महंगा हो सकता है.