रांची : झाऱखंड हाइकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रतियोगिता परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका व उत्तरपुस्तिका जांचने के नियम सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. जेपीएससी को सीलबंद लिफाफा 25 नवंबर तक प्रस्तुत करने को कहा गया. अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने उक्त निर्देश दिया. खंडपीठ ने प्रार्थी की दलील सुनने के बाद कहा कि यदि आरोप सही पाये गये, तो सख्त कार्रवाई की जायेगी. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि अंक देने में गड़बड़ी की गयी है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि दूसरे अभ्यर्थी का अंतिम रूप से चयन हो सके.
वहीं जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि उत्तर पुस्तिका की जांच नियमानुसार की गयी है. नियम के तहत परीक्षक व प्रधान परीक्षक अंक देते हैं. इसमें जेपीएससी की कोई भूमिका नहीं होती है.
हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने छठी जेपीएससी रिजल्ट को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे संबंधित सक्षम बेंच में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया.
जेपीएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने अदालत को बताया कि इसी तरह के अन्य मामलों की सुनवाई दूसरी अदालत में हो रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अशोक कुमार सिंह ने याचिका दायर कर छठी जेपीएससी रिजल्ट को चुनाैती दी है.
हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने हाइस्कूल संस्कृत शिक्षक नियुक्ति को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सरकार व जेएसएससी को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि उसके पास संस्कृत विषय में स्नातक की डिग्री है, जो मान्यता प्राप्त है.
वहीं जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि प्रार्थी की डिग्री शास्त्री की है, जो समकक्ष है. विज्ञापन के अनुसार डिग्री नहीं है. समकक्ष डिग्री नहीं मांगी गयी थी. समकक्ष डिग्री के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आयोग को नहीं है. यह सरकार तय करती है.
हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने हाइस्कूल प्रधानाध्यापक नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से जवाब दायर नहीं होने पर नाराजगी जतायी. जवाब दायर करने के लिए अंतिम अवसर दिया.
कहा कि अगली सुनवाई के पूर्व जवाब दायर नहीं होने पर जुर्माना लगायेंगे, जो संबंधित अधिकारी से वसूला जायेगा. इसके बाद चार सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि सरकार आदेश का अनुपालन नहीं कर रही है. सरकार की अोर से जवाब दायर करने के लिए आैर समय देने का आग्रह किया गया.
जेपीएससी की अोर से अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने शपथ पत्र दायर कर दिया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अर्जुन सिंह ने याचिका दायर कर हाइकोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुसार प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि है जेपीएससी ने वर्ष 2008 में सरकार को अनुशंसा भेजी थी, जो वापस कर दी गयी.
फिर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार वर्ष 2009 में दोबारा अनुशंसा भेजी गयी, जिसे हाइकोर्ट में चुनाैती दी गयी थी. कोर्ट ने आदेश पारित किया था कि उसके आदेश के आलोक में पहली व दूसरी अनुशंसा में से अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार किया जाये, लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी.
posted by : sameer oraon