झारखंड में 54756 करोड़ रुपये की परिसंपत्तिवाली आर्सेलर मित्तल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एएमआइपीएल) झारखंड से गुजरात जाने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( एनसीएलटी) अहमदाबाद में याचिका दायर कर गुजरात स्थित अपनी ही अनुषंगी कंपनी (आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड) में विलय की अनुमति मांगी है. झारखंड के प्रधान आयकर आयुक्त प्रभाकांत ने इस विलय पर आपत्ति दर्ज करायी है.
साथ ही इस सिलसिले में मुख्य सचिव को पत्र लिख कर राज्य का मंतव्य एनसीएलटी में पेश करने का अनुरोध किया है. आर्सेलर मित्तल का राज्य सरकार के साथ भी कोई इश्यू हो सकता है. इसलिए राज्य सरकार अपने मामले की जांच कर एनसीएलटी में अपना पक्ष पेश करे.
आर्सेलर मित्तल द्वारा एनसीएलटी में विलय के लिए दायर याचिका पर ट्रिब्यूनल ने झारखंड आयकर विभाग की राय मांगी थी. इस मामले में झारखंड आयकर विभाग ने एनसीएलटी में पक्ष पेश करते हुए झारखंड की कंपनी को गुजरात की कंपनी में विलय पर आपत्ति दर्ज करायी है. आयकर विभाग की ओर से दायर जवाब में कहा गया है कि कंपनी के साथ विभाग का टैक्स का मुद्दा है. कंपनी पर विभाग का कुल 56.91 करोड़ रुपये टैक्स का बकाया है.
विभाग ने मूल्यांकन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर अधिनियम की धारा 143(1) के तहत 56.85 करोड़ रुपये का डिमांड क्रिएट किया है. इसके अलावा 2008-09 का 5.10 लाख रुपये, 2009-10 का 165 रुपये और 2011-12 का 5,250 रुपये का टीडीएस डिमांड है. कंपनी की असेसमेंट प्रोसिडिंग भी चल रही है. ऐसी स्थिति में एएमआइपीएल का गुजरात की आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड में विलय से असेसमेंट प्रोसिडिंग प्रभावित होगी.