रांची के ऐतिहासिक टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर के संरक्षण व राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि टैगोर हिल रांची का एक बहुत महत्वपूर्ण स्थल है. टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के संबंध में भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) तीन माह के अंदर फिर से निर्णय ले. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को कई निर्देश देते हुए जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया.
इससे पहले 31 जुलाई को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. खंडपीठ ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी ही कला, संस्कृति की संरक्षक है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसे संरक्षित और बनाये रखें तथा इसे आगे बढ़ायें. यदि हमने इन्हें नष्ट किया, तो आनेवाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. जो हमें विरासत में मिला है, उसे संरक्षित करने के लिए सभी प्रयास किये जाने चाहिए. कला और संस्कृति को संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि आनेवाली पीढ़ियां अपने अतीत पर गर्व महसूस करें.
कोर्ट ने यह भी दिया आदेश
राज्य सरकार को टैगोर हिल क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश देते हुए खंडपीठ ने कहा है कि भूमि सुधार व राजस्व विभाग एक समिति बनायेगी, जो टैगोर हिल की चहारदीवारी की मापी करायेगी. यह मापी ओरिजनल राजस्व रिकॉर्ड के अनुरूप करायी जाये. इसके बाद टैगोर हिल की चहारदीवारी को उसके मूल स्वरूप में लायी जायी. सर्वे के लिए बनायी जानेवाली समिति में रांची के उपायुक्त द्वारा मनोनीत सदस्य रहेंगे. खंडपीठ ने राज्य सरकार को टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर, कुसुम ताल, शांति धाम व समाधि स्थल का संरक्षण तथा रख-रखाव करने का निर्देश दिया. कहा कि नियमित रखरखाव किया जाये तथा क्षतिग्रस्त एरिया की मरम्मत की जाये. टैगोर हिल क्षेत्र को सुंदर बनाया जाये तथा पूरे क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाये.
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फैसले में यह भी कहा गया है कि वहां महिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर व दिव्यांगों के अनुरूप शौचालय की व्यवस्था की जाये. हालांकि, शौचालय बनाते समय यह ध्यान रखा जाये कि टैगोर हिल के धरोहरों के बीच में यह नहीं आये. पूरे क्षेत्र की नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था की जाये. यहां पीने के पानी, पर्यटकों के बैठने की सुविधा आदि की व्यवस्था बनायी जाये. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की. वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोसाइटी ऑफ प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी ने ब्रह्म मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की थी.
यह है मामला
याचिकाकर्ता ने कहा है कि मोरहाबादी में टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर 1910 में बना था. इसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरिन्द्रनाथ टैगोर ने बनवाया था. वह नाटककार, चित्रकार और संगीतकार थे. ब्रह्म मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाये.
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