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प्रवासी मजदूरों को हुनर के हिसाब से काम देने की कोशिश, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख कहा- हो रहा सर्वे

प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना चुनौती है़ इससे सबको मिल कर निबटना है़ सरकार को ठोस रणनीति व योजना बनाने की जरूरत है़ वहीं पक्ष-विपक्ष को मिल कर एक बेहतर माहौल तैयार करना है़

लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर लौट रहे है़ं प्रवासी मजदूरों अपने ही घर में काम की तलाश में है़ं इस विषम परिस्थिति में प्रवासी अपना सब कुछ छोड़ कर आये है़ं अब ये लौटना नहीं चाहते है़ं प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना चुनौती है़ इससे सबको मिल कर निबटना है़ सरकार को ठोस रणनीति व योजना बनाने की जरूरत है़ वहीं पक्ष-विपक्ष को मिल कर एक बेहतर माहौल तैयार करना है़ समाज के हर वर्ग को इनके लिए आगे आना होगा़ ऐसी परिस्थिति में कृषि विभाग की बड़ी भूमिका है़ एक बड़ी आबादी खेती-किसानी के काम में लग सकती है़ लोगों को रोजगार मिल सकता है़ प्रभात खबर के प्रमुख संवाददाता मनोज सिंह ने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बातचीत की़

1. नीतिगत स्तर पर हो रहा काम : कृषि मंत्री बादल ने कहा कि लंबे समय तक अगर किसी को लाभ पहुंचाने की योजना है, तो नीतिगत स्तर पर भी काम करना होगा. यह वर्तमान सरकार की सोच है. यही कारण है कि कृषि विभाग निर्यात नीति बनाने जा रही है. कृषि नीति बनाने का काम अंतिम चरण में है. सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की दिशा में काम हो रहा है. इससे कृषि कार्य से जुड़ने वाले मजदूरों को बाजार की दिक्कत नहीं होगी. दूसरे राज्यों में सीखे गये स्किल से समृद्ध झारखंड बनाने में योगदान करेंगे.

2. संस्थाओं को भी किया जा रहा है मजबूत : कृषि मंत्री बादल ने कहा कि केवल नीति और नीयत से ही व्यवस्था नहीं बदली जा सकती है. इसके लिए संस्थाओं को भी मजबूत करना होगा. प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रख कर ही सरकार ने कृषि से जुड़ी संस्थाओं को भी मजबूत करना है. झारखंड में कृषि उत्पाद की दिक्कत नहीं है. दिक्कत बाजार की है, जो किसानों को परेशान करती है. सरकार ने तय किया है कि बाजार समिति को मजबूत किया जायेगा. इसके लिए कृषि निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी है. कमेटी को इस मामले में रिपोर्ट करना है.

पूर्व की सरकार ने बाजार शुल्क खत्म कर दिया था. इससे बाजार समिति को नुकसान हुआ है. व्यापारियों के साथ मिलकर बाजार शुल्क के माध्यम से संस्था को मजबूत करने का रास्ता निकाला जायेगा. इसके अतिरिक्त पशुपालन भी प्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. डेयरी और पशुपालन के साथ-साथ मत्स्य विभाग में कई स्कीम चल रही हैं. अपने स्किल के आधार पर प्रवासी किसी भी स्कीम से जुड़ना चाहेंगे, तो सरकार हर संभव सहयोग करेगी.

3. विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है, केंद्र से सहयोग मिला, तो बदलेगी तसवीर : कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान झारखंड से बाहर काम करने गये लाखों लोग घर आ रहे हैं. अब तक पांच लाख के करीब लोगों के झारखंड लौट आने की बात कही जा रही है़ सभी विभाग अपने-अपने स्तर से इन लोगों को रोजगार से जोड़ने की योजना बना रहे हैं. कई विभाग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग भी पहल कर रहा है. कृषि विभाग दूसरे विभागों के साथ समन्वय की कोशिश कर रहा है. बाहर से आये झारखंडी, हमारी ताकत बनें, इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. हमें उम्मीद केंद्र से भी है़ अगर केंद्र सरकार ने थोड़ा भी सहयोग किया तो हम प्रवासी कामगारों की मदद से झारखंड की तसवीर बदल देंगे.

4. सहकारिता विभाग सर्वे करा रहा है, तैयार की जा रही है रिपोर्ट : कृषि मंत्री बादल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रख कर ही सहकारिता विभाग को एक सर्वे कराने को कहा गया है. जो भी प्रवासी आ रहे हैं. उनकी एक रिपोर्ट तैयार हो रही है. वे लोग किस विधा में माहिर हैं, यह जानने की कोशिश हो रही है. कई जिलों से प्रथम चरण की रिपोर्ट सौंप दी गयी है. इस रिपोर्ट के आधार पर प्रवासियों की क्षमता का आकलन होगा. जो प्रवासी जिस तरह का काम चाहेंगे, उनको को-ऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से काम उपलब्ध कराया जायेगा. अगर मजदूर बीज उत्पादन करना चाहेंगे, तो उनको सहयोग किया जायेगा. खरीफ के मौसम में बीज वितरण में उनको प्राथमिकता दी जायेगी. इसके अतिरक्ति अन्य संसाधन भी दिये जायेंगे. सरकार यह प्रयास कर रही है, जिस भरोसे और उम्मीद से वे लोग झारखंड लौटे हैं, उसे टूटने नहीं दिया जाये.

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