रांची : आयुष्मान भारत योजना के तहत मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बावजूद 600 लोगों के आंखों की रोशनी में सुधार नहीं हुआ. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के निर्देश पर बीमा कंपनी ने मेडिकल ऑडिट करने के बाद झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी को इसकी जानकारी दी है. फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट के आधार पर ऑपरेशन के अलावा स्टेट सोसाइटी द्वारा फॉलो अप के प्रावधान को बदल दिया जाना मुख्य कारण माना जा रहा है.
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के अनुसार, मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों का मेडिकल ऑडिट करने का प्रावधान है. इस प्रावधान के आलोक में बीमा कंपनी पर मरीजों का मेडिकल ऑडिट करने की बाध्यता है. बीमा कंपनियों द्वारा मेडिकल ऑडिट के लिए अस्पतालों द्वारा उपलब्ध कराये गये मरीजों के ब्योरे का इस्तेमाल किया जाता है. मेडिकल ऑडिट के दौरान बीमा कंपनियां मरीजों को फोन कर यह जानना चाहती हैं कि ऑपरेशन के बाद आंख की रोशनी बढ़ी है या नहीं.
ऑपरेशन के बाद कोई समस्या पैदा हुई है या नहीं. बीमा कंपनी द्वारा किये गये ऑडिट में 600 से अधिक लोगों ने ऑपरेशन के बावजूद आंख की रोशनी में सुधार नहीं होने की शिकायत की. कुछ मरीजों ने ऑपरेशन के बाद पहले के मुकाबले रोशनी कम होने के अलावा आंख में जलन होने की शिकायत की.
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मेडिकल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन के बाद इन मरीजों का इलाज रांची जिले के नयन सुख नेत्रालय, नयनदीप आइ हॉस्पिटल, एएसजी हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, कौशल्या नेत्रालय, जेपी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, श्रेष्ठ नेत्रालय सहित कुई अन्य अस्पतालों में हुआ है. ऑपरेशन के बावजूद रोशनी में सुधार नहीं होने की शिकायत के मामले में गिरिडीह जिला दूसरे नंबर पर है. इस जिले के 107 मरीजों ने आंख की रोशनी में सुधार नहीं होने की शिकायत की है. इन मरीजों का ऑपरेशन देवकी हॉस्पिटल, नेत्र धाम आइ हॉस्पिटल, श्री विश्वनाथ नर्सिंग होम, नवदीप नर्सिंग होम सहित आयुष्मान में सूचीबद्ध अन्य अस्पतालों मे हुआ है.
राजधानी रांची मे भी 22 मरीजों ने रोशनी में सुधार नहीं होने की शिकायत की है. इनका ऑपरेशन विजन हाउस आइ फाउंडेशन, श्रेष्ठ नेत्र चिकित्सालय प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य अस्पतालों में हुआ है. आयुष्मान भारत योजना में अस्पतालों को भुगतान के लिए निर्धारित प्रक्रिया में ऑपरेशन के बाद फॉलोअप का प्रावधान किया गया है. इसके तहत अस्पताल को ऑपरेशन करने के बाद भुगतान का दावा करने से पहले फॉलोअप की बाध्यता है. फॉलोअप में अस्पताल द्वारा मरीज की जांच कर यह देखा जाता है कि ऑपरेशन के बाद रौशनी में सुधार हुआ है या नहीं. या किसी तरह की दूसरी समस्या पैदा हुई है या नहीं. लेकिन झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी ने भुगतान के दावे के साथ अस्पताल द्वारा फॉलोअप करने से संबंधित रिपोर्ट की बाध्यता समाप्त कर दी है. इससे अब मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीज फॉलोअप नहीं हो रहा है.
जिला मरीज
धनबाद 118
गिरिडीह 107
पाकुड़ 71
दुमका 40
जामताड़ा 38
बोकारो 33
देवघर 32
गोड्डा 30
चतरा 24
रांची 22
साहिबगंज 11
रामगढ़ 11
पू सिंहभूम 08
हजारीबाग 05
पलामू 03
लोहरदगा 02
प सिहभूम 01
सरायकेला 01
खूंटी 01