रांची : आय से अधिक संपत्ति के मामले में मांडर विधायक बंधु तिर्की के राजनीतिक कैरियर को फिलहाल विराम लग गया है. कोर्ट का फैसला आते ही मांडर से इनकी विधायकी चल गयी है. बंधु तिर्की का राजनीति सफर उतार-चढ़ाव का रहा है. राजनीतिक संघर्ष करते हुए बंधु तिर्की ने दक्षिणी छोटानागपुर में अपनी पहचान बनायी बताया जाता है कि बंधु तिर्की संत जेवियर में पढ़ते हुए ट्यूशन पढ़ाते थे.
बाद में बंधु मास्टर के रूप में राजधानी में कोचिंग सेंटर चलाने लगे. बाद में श्री तिर्की बैंक पीओ बने, लेकिन नौकरी रास नहीं आयी़ बंधु ने दक्षिण भारत के कई शहरों समेत कोलकाता और पंजाब में बैंक की नौकरी की. रांची कॉलेज परिसर में स्थित ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में भी नौकरी की़.
इसी दौरान राजनीतिक व सामाजिक कार्यों से जुड़े. नब्बे के दशक में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद उफान पर था़ तब लालू प्रसाद को छोटानागपुर में एक आदिवासी नेता की तलाश थी़ बंधु ने राजद का दामन थामा था. राजद के टिकट से 2000 में मांडर से बंधु तिर्की ने चुनाव में हाथ आजमाया, लेकिन देवकुमार धान से चुनाव हार गये. 2005 में वह यूजीडीपी पार्टी से चुनाव लड़े और मांडर से पहली बार विधायक बने़
उस समय झारखंड में यूजीडीपी से दो विधायक थे. बंधु तिर्की के साथ जोबा मांझी भी इसी पार्टी से चुन कर आयीं थीं. इसके बाद वह 2009 में झारखंड जनाधिकार पार्टी से चुनाव लड़े. 2014 में भाजपा के गंगोत्री कुजूर से चुनाव हार गये. इसके बाद 2019 में तीसरी बार चुनाव जीत कर विधायक बने. श्री तिर्की मधु कोड़ा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे. शिक्षा मंत्री रहने के दौरान ही इन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकायत दर्ज हुई. यह मामला लंबा चला और 28 मार्च को सजा सुनायी गयी़
Posted By: Sameer Oraon