रांची, अभिषेक रॉय : युवाओं के बीच हिप-हॉप कल्चर तेजी से अपनी पैठ जमा रहा है. रांची शहर के साथ-साथ गांव और टोले के युवाओं में भी इसका असर दिखने लगा है. प्रतिभाएं ग्रामीण इलाके से निकल कर शहर में धमाल मचा रही हैं. सोशल मीडिया के सहारे इनके फैन फॉलोअर्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं. हिप-हॉप कल्चर को पसंद करनेवाले यूथ वीकेंड्स पर साइफर में एकजुट होते हैं. जहां अंडरग्राउंड टैलेंट को मंच और प्रशिक्षण दिया जा रहा है. समय के साथ हिप-हॉप एलिमेंट के धुरंधर बस्ती से निकल हस्ती के रूप में स्थापित हो रहे हैं. इन युवाओं को रैपिंग, बी-बोइंग डांस, बीटबॉक्सिंग, ग्रैफिटी आर्ट, बोर्ड स्केटिंग और फ्री रन यूनिक टैलेंट के तौर पर पहचान मिल रही है.
खुशबू टोली बड़ा घाघरा के एक्सेल उर्फ अमन कच्छप के रैपिंग और बी-बोइंग डांस के हजारों दीवाने हैं. यूट्यूब पर एक्सेल के 93 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हो चुके हैं. इनके रैपिंग स्टाइल में स्थानीय भाषा से संवाद और ज्वलंत मुद्दों की चर्चा मिलती है. इनका गाना झारखंड को नक्सली… और सना कोड… को लाखों लोगों ने पसंद किया. इससे समय के साथ समाज में पहचान मिलने लगी.
शहर के जो युवा हिप-हॉप कल्चर में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके नि:शुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था टीम झूम (झारखंड हिप-हॉप उलगुलान मूवमेंट) उपलब्ध करा रही है. टीम से अब तक 70 से अधिक कलाकार जुड़ चुके हैं. इस टीम में बतौर मेंटॉर अनिरुद्ध पूर्ती (लिल्ल फिनिक्स), हर्ष सोनी (ह्वाइडथ्रोब), आशुतोष, रैपर आर, रॉनी और विपुल बारला जुड़े हुए हैं. इस मंच का उद्देश्य शहर के अंडर रेटेड आर्टिस्ट को बेहतर प्रशिक्षण के साथ मंच उपलब्ध कराना है. ऐसे में टीम झूम वीकेंड पर शहर के बीचों-बीच ऑक्सीजन पार्क मोरहाबादी व अन्य इलाकों में साइफर का आयोजन करती है. इसकी सूचना सोशल मीडिया के जरिये युवाओं तक पहुंचायी जाती है. जो युवा हिप-हॉप के विभिन्न एलिमेंट को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उनको विषय से जुड़ी बेहतर जानकारी के साथ प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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लोअर चुटिया के ओडी उर्फ मयंक तिर्की ट्रैप म्यूजिक तैयार करते हैं. यानी स्थानीय मुद्दों को आसान भाषा में रैप स्टाइल के जरिये लोगों तक पहुंचा रहे हैं. ओडी का कहना है कि झारखंड को आज भी पिछड़ा माना जाता है. इसके पीछे का कारण है कि युवा अपनी भाषा और संस्कृति से दूर हो रहे हैं. अखरा संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को खुद से जोड़ रहे हैं. जिससे स्थानीय भाषा में संवाद स्थापित हो रहा है. ओडी कहते हैं कि उन्होंने अपने आसपास के लोगों को अपनी स्थानीय भाषा से अछूता पाया. इसके बाद से युवाओं को जोड़कर नागपुरी, सादरी व कुडुख भाषा समेत अन्य को सीखने के लिए प्रेरित करने लगे. युवा आकर्षित हों, इसके लिए हिप-हॉप का सहारा लिया. जिससे युवा प्रभावित हो रहे हैं.
कुसई घाघरा के मॉर्निंग स्टार उर्फ अभिजीत खलखो के करोड़ों फैन फॉलोअर्स हैं. इनके गाने खोजो न मोय गुइया रे… ने 14 मिलियन व्यू से अधिक का रिकॉर्ड बनाया हैं. मॉर्निंग स्टार कहते है कि हिप-हॉप कल्चर को स्कूल के दिनों से फॉलो कर रहे थे. रैपर को देख प्रेरणा मिली. पियानो, ड्रम और गिटार सीखकर म्यूजिक के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ठानी. ऐसे में पुराने नागपुरी गानों का कवर नये स्टाइल में तैयार किया. गाने में कुडुख भाषा से रैपिंग को जोड़ा. इसे लोगों ने खूब पसंद किया. गाने को सराहना मिलने से पुराने कलाकारों से जुड़कर उनके गानों को यूथ टेस्ट में तैयार किया. कॉपीराइट के क्लेम से बचना आसान रहा.
खूंटी के पिपरा टोली, तिरला और माटीनबंगला के शीतल टोपनो, बालाजी होरो और पुकिर बोदरा टीम फैनटैस्टिक के नाम से जाने जाते है. इनकी विशेषता है कि ये तीनों फ्रीरनर (यह एथलेटिक्स का एक रूप है, जिसमें एथलीट प्वाइंट ए से प्वाइंट बी तक कुशलता पूर्वक और सबसे कम समय में पहुंचता है) के रूप में जाने जाते हैं. शीतल कहते है कि गांव के स्कूल में कराटे सीखने की चाह से प्रशिक्षक अजहर अस्तक से जुड़े. जिन्होंने वियतनामी मार्शल आर्ट वोविनान से परिचय कराया. अभ्यास के क्रम में जंपिंग, फ्लिप, रोलिंग, स्विंग का प्रशिक्षण दिया. पांच वर्षों तक लगातार ट्रेनिंग से जुड़े रहने से फ्रीरन करने में सफल हुए. गांव के लोयला स्कूल में अभ्यास के बाद कमांता डैम में पहली बार फ्रीरन पूरा किया. इससे कई चैंपियनशिप का हिस्सा रहकर गोल्ड और सिल्वर हासिल करने में सफल हुए हैं.
हातमा कांके स्थित ट्रिपी लेन युवाओं को खूब पसंद आ रहा है. दीवार के बैकग्राउंड पर बने ग्रैफिटी आर्ट पर लोग फोटो क्लिक कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. सड़क को नयी पहचान दिलाने वाले ट्रिपी उर्फ रवि तिर्की हैं. जिन्होंने बीते कुछ वर्षों में ग्रैफिटी आर्ट कर लोगों के बीच अपनी पहचान बनायी है. ट्रिपी कहते हैं कि ग्रैफिटी आर्ट प्रसंग और संदेश को लोगों तक पहुंचाने वाला मॉडर्न आर्ट फॉर्म है. इसे बोल्ड फॉन्ट के साथ बबल स्टाइल, वाइल्ड स्टाइल, टैग और बॉम्बिंग स्टाइल में पेंटिंग कर साझा किया जाता है. ग्रैफिटी के जरिये युवाओं की पसंद को बड़े कैनवस पर उकेर रहे हैं. ट्रिपी ने कहा कि आर्ट फॉर्म से परिचय हॉलीवुड फिल्मों के जरिये हुआ. इसके बाद लगातार प्रैक्टिस में रहे. ट्रिपी ग्रैफिटी आर्टिस्ट होने के साथ-साथ बोर्ड स्केटिंग करते हैं. जिसकी प्रैक्टिस कर नेशनल चैंपियनशिप का हिस्सा बन चुके है.