रांची : बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर शनिवार को एयर एशिया का विमान से पक्षी टकराया. पायलट की सूझ-बूझ से 176 विमान यात्रियों की जान बची. बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर पक्षी टकराने की यह नयी घटना नहीं है. इससे पहले भी कई बार यहां पक्षी टकरा चुके हैं. जबकि एयरपोर्ट में पक्षी को भगाने के लिए कई उपकरण बर्ड चेजर, जोन गन, रिफ्लेक्टिंग रिबन लगाये गये हैं. वहीं, हैरानी की बात यह है कि ऐसी घटना दोबारा न हो, इसे लेकर ठोस कदम अब तक नहीं उठाये गये हैं. नियम यह है कि एयरपोर्ट के पांच किलोमीटर के दायरे में खुले में मांस-मछली व मुर्गा दुकान संचालित करने पर प्रतिबंध लगे.
जबकि रविवार को प्रभात खबर संवाददाता ने एयरपोर्ट व उसके आसपास के क्षेत्रों की पड़ताल की, तो सच्चाई कुछ और ही सामने आयी. पता चला कि एयरपोर्ट से महज 50 मीटर की दूरी पर बिरसा चौक पर खुलेआम मुर्गा व मछली की बिक्री होती है. इतना ही नहीं, दुकानदार मुर्गा व मछली के अवशेष को भी खुले में ही फेंक देते हैं. नतीजतन, इन अवशेषों को खाने के लिए प्रतिदिन चील-कौआ व अन्य पक्षी एयरपोर्ट व आसपास के अासमान में मंडराते रहते हैं.
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हिनू चौक, बिरसा चौक, एचइसी परिसर में खुलेआम बेची जा रही है मांस व मछली
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दुकानदारों द्वारा खुले में फेंके जाते हैं मांस-मछली के अवशेष, इन पर मंडराते हैं पक्षी
हिनू चौक स्थित इंदिरा पैलेस से रजिस्ट्री ऑफिस के बीच आधा दर्जन से अधिक मांस-मछली, मुर्गा की स्थायी व अस्थायी दुकानें प्रतिदिन लगती हैं. इनमें खुले में मांस, मछली व मुर्गा बेचे जाते हैं. हिनू चौक में मीट का स्थायी शॉप भी है. बिरसा चौक में रेलवे पुल से पहले सात से आठ मुर्गा व मछली की दुकानें हैं. सेक्टर-2 में 15 से 20 दुकानें वर्षों से चल रही हैं.
सेक्टर-2 के फिश मार्केट में 30 से 40 दुकानें है. ये सभी दुकानें एयरपोर्ट के एक से तीन किलोमीटर के दायरे में ही हैं. वहीं, एयरपोर्ट के रनवे के अासपास घास भी काफी हैं. इसमें छोटे-छोटे कीड़े रहते हैं. ये कीड़े अकसर रनवे पर आ जाते हैं. कीड़ों को खाने के लिए भी पक्षी एयरपोर्ट के आस-पास मंडराते रहते हैं.
एयरपोर्ट में विमानों से पक्षी टकराने की घटना में हर बार चील-कौआ और उल्लू का ही नाम आता है. कारण यह है कि एयरपोर्ट के आसपास खुले में फेंके मांस-मछली के अवशेष को खाने के लिए चील और कौआ दिन में मंडराते हैं, तो रात में उल्लू भोजन की तलाश में आते हैं. एयरपोर्ट पर बर्ड हिट की घटना को रोकने के लिए एयरपोर्ट पर्यावरण कमेटी गठित की गयी है. ऐसी घटना के बाद कमेटी की बैठक होती है, इसके कुछ दिनों बाद तक छापेमारी भी की जाती है. उसके बाद फिर से पुरानी व्यवस्था बहाल हो जाती है.
2018 दो बार
2019 दो बार
2020 एक बार
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट में पक्षी को भगाने के लिए कई उपकरण लगाये गये हैं, ताकि बर्ड हिट की घटना न हो. यहां जो उपकरण लगाये गये हैं, उसमें बर्ड चेजर, जोन गन, रिफ्लेक्टिंग रिबन लगा है. एयरपोर्ट के निदेशक विनोद शर्मा ने कहा कि समय-समय पर घास की कटिंग की जाती है, ताकि पक्षी के टकराने की संभावना न के बराबर रहे. हर महीने नगर निगम की टीम और जिला प्रशासन के सहयोग से आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण किया जाता है और जहां भी खुले में मांस-मछली की बिक्री होती है, तो जुर्माना लगाया जाता है.
एयरपोर्ट के पांच किलोमीटर के दायरे में खुले में मांस-मछली की बिक्री नहीं होनी चाहिए. यदि दुकान के अंदर इसकी बिक्री की जाती है, तो कोई समस्या नहीं है. एयरपोर्ट निदेशक से जब पूछा गया कि क्या आसपास में मीट-मुर्गा की दुकान और गंदगी की वजह से बर्ड हिट की घटनाएं हो रही हैं, तो उन्होंने इससे इनकार किया. उन्होंने कहा कि कहीं भी खुले में इसकी बिक्री नहीं हो रही है.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के वैज्ञानिक एयरपोर्ट इलाके में पक्षियों का जमावड़ा क्यों अधिक होता है, इस पर अध्ययन कर रहे हैं और आंकड़े जुटा रहे हैं. पक्षियों का जमावड़ा उस इलाके में अधिक क्यों हो रहा है, इसके कई कारण सामने आए हैं. एयरपोर्ट परिसर में पर्याप्त मात्रा में खुला जगह होने के कारण और आसपास खेत-खलिहान व बड़े-बड़े पेड़-पौधे अधिक होने के कारण पक्षियों को भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
इसके अलावा यहां मोबाइल टावर भी कम हैं. इस कारण यहां चील, कौआ, उल्लू व अन्य पक्षी का बसेरा है. बीएयू की कमेटी कुछ माह में रिपोर्ट सौंपेगी.बर्ड हिट की घटना न हो. इसके लिए निगम द्वारा समय-समय पर एयरपोर्ट के आसपास में लगातार अभियान चलाया जाता है. एयरपोर्ट प्रबंधन खुद निगम से पत्राचार कर यह बताता है कि इन क्षेत्रों में ऐसी दुकानें चल रही हैं. इन्हें बंद करायी जाये. हाल में ऐसा कोई पत्र एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा नहीं भेजा गया है. अगर प्रबंधन अभियान चलाने का आग्रह करता है, तो निगम त्वरित कदम उठायेगा.
रजनीश कुमार, उप नगर आयुक्त
Post by : Pritish Sahay