झारखंड की दो पंचायत नेवरी और चास के विकास की योजना उसके आसपास बढ़ते शहरीकरण के हिसाब से तैयार हो रहा है. शहरीकरण के कारण पंचायत अपनी उपयोगिता नहीं खो दे या शहरों के कचरे निष्पादन का केंद्र नहीं बने, इसको ध्यान में रख कर योजना तैयार हो रही है. इसके लिए भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने झारखंड के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को योजना बनाने का काम दिया है.
बीआइटी मेसरा ने दोनों पंचायतों का अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर ली है. संस्थान ने जो अनुशंसा की है, उसकी गुणवत्ता में और सुधार करने का निर्देश दिया गया है. पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर भारत सरकार ने वैसी पंचायतों का चयन किया है, जो शहर से सटी हों तथा मुख्य सड़क के नजदीक हों. पूरे देश में 34 पंचायतों का चयन किया गया है. इसके लिए 17 तकनीकी संस्थाओं को सर्वेक्षण करने और विकास योजना तैयार करने का जिम्मा दिया गया है. यह काम बीआइटी के आर्किटेक्ट विभाग को दिया गया है.
पंचायती राज मंत्रालय ऐसी पंचायतों को शहरों का स्लम बनने से रोकने का प्रयास कर रहा है. पंचायतों की अपनी भूमिका चलती रहे, इसके लिए यह योजना लायी गयी है. इसको पंचायती राज मंत्री स्थानीय योजना के नाम से संचालित कर रहा है. इसके लिए होनेवाली उच्चस्तरीय बैठकों में चयनित पंचायतों के मुखिया को भी शामिल किया जाता है.
चास में 84% लोगों की आय प्रतिमाह 10 हजार रुपये से नीचे है. केवल तीन घर वालों के पास 2.5 एकड़ से अधिक सिंचाई योग्य भूमि है. 74% आबादी के पास कोई काम नहीं है. बड़ी आबादी अशिक्षित है. नेवरी 1230 घरोंवाली पंचायत है. अनुसूचित जाति की करीब 200 और जनजाति की 1200 से अधिक आबादी है. 75% लोग शिक्षित हैं.
सेनिटेशन की सुविधा विकसित कर, पंचायत को ओडीएफ घोषित करना, दो ड्रेनेज सिस्टम विकसित करना, चास-चंदनकियारी रोड में कवर किया हुआ ड्रेनेज विकसित करना, सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग सेंटर का निर्माण, कृषि सेवा केंद्र, प्रोसेसिंग सेंटर व वेयर हाउस आदि का निर्माण करना, मिल्क कलेक्शन सेंटर व चिलिंग प्लांट तैयार करना, स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोलना, हायर सेकेंडरी स्कूल खोलना आदि.
सभी कच्चे मकानों को पक्का बनाना, सभी सड़क का निर्माण पूरा कराना, गंदा पानी निकासी के ट्रिटमेंट की व्यवस्था हो, सभी घर-आंगनबाड़ी व स्कूल में टॉयलेट की व्यवस्था हो, सभी स्किल डेवलपमेंट सेंटर का विकसित करना आदि.
नगर निगम से सटी दो पंचायतों का सर्वे और विकास योजना पंचायती राज विभाग तैयार करा रहा है. भारत सरकार के पंचायती राज सचिव ने इसकी जानकारी ली है. बीआइटी ने जो अनुशंसा की है, उसमें कुछ बदलाव का आग्रह किया है. विभाग चाहता है कि पंचायतों पर निगम का नकारात्मक असर न पड़े.
निशा उरांव, निदेशक, पंचायती राज