रांची: बीआईटी(बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान) मेसरा में आत्मनिर्भर टेक्नोलॉजीज-इंजीनियरिंग सिक्योर्ड फ्यूचर पर 17वें नेशनल फ्रंटियर्स ऑफ इंजीनियरिंग कॉन्क्लेव के दूसरे दिन रविवार को सेमिनार हॉल में कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इंजीनियरिंग वाटर-स्मार्ट वाटर हार्वेस्टिंग एंड प्यूरीफिकेशन पर वक्ताओं ने अपनी राय रखी.सत्र की शुरुआत संयोजक डॉ सुमित मिश्रा द्वारा वक्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मद्रास के प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप के परिचय के साथ हुई. दीपक पारेख इंस्टीट्यूट के चेयर प्रोफेसर प्रदीप ने अफोर्डेबल क्लीन वाटर यूसिंग एडवांस्ड मैटेरियल्स विषय पर बात रखी. वर्षा जल संचयन और नैनो-मेटल टेक्नोलॉजी के प्रयोग द्वारा आयरन और आर्सेनिक जैसी भारी धातुओं को हटाने जैसे विषयों पर चर्चा की.
कॉन्क्लेव में वक्ताओं ने रखी अपनी बात
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के डिपार्टमेंट ऑफ़ केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर विमल चंद्र श्रीवास्तव ने कैटलिसीस एंड इंजीनियरिंग चैलेंजेस टुवर्ड्स कार्बन डाइऑक्साइड कन्वर्शन ट्व आर्गेनिक कार्बोनेट विषय पर बात रखी. बातचीत में कार्बन डाइऑक्साइड का मिथेन और विभिन्न केमिकल्स में कन्वर्शन, डाय अलकाइल कार्बोनेट के सिंथेसिस रुट्स आदि जैसे विवरण शामिल थे.तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश बानू का स्वागत डॉ नरेश कुमार ने किया. उन्होंने रीसेंट एडवांसेज इन द रिमूवल ऑफ़ इमर्जिंग पोलूटेंट्स फ्रॉम वाटर एंड वेस्ट वाटर विषय पर चर्चा की. उनकी बातचीत में स्लज रिडक्शन, फॉस्फोरस प्रोफाइलिंग आदि जैसे विवरण शामिल थे.भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,बॉम्बे के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रदीप पी कलबर का परिचय डॉ नरेश ने कराया.उन्होंने डेनमार्क के तकनीकी विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, क्वांटिटेटिव सस्टेनिबिलिटी असेसमेंट विभाग में एक पेशेवर शोधकर्ता के रूप में दो साल तक काम किया. डॉ कल्बर ने स्मार्ट एंड इनोवेटिव टेक्नॉलजी फॉर एक्विटेबल वाटर सप्लाई टू एव्री हाउसहोल्ड विषय पर बात की. उन्होंने कहा कि भारत में डब्ल्यूएसएस फेलियर के दुष्चक्र, सिंगल विलेज अष्ट, चंद्रपुर, महाराष्ट्र आदि के लिए सॉफ्ट बेस्ड डिजाइन (सोलर पावर ऑपरेटेड), शाफ्ट प्रोजेक्ट जैसे मामलों पर चर्चा की.
सम्मानित किए गए वक्ता
इसके बाद आजादी वार्ता के लिए सफाई कर्मचारी आंदोलन की अनुसंधान निदेशक डॉ इंदिरा खुराना और एनजीओ तरूण भारत संघ के उपाध्यक्ष डॉ नरेश कुमार का परिचय कराया गया.वह बायोकैमिस्ट्री में पीएचडी हैं और उन्होंने नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, पेयजल और स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका पर लगभग तीन दशकों तक काम किया है. उनके सत्र का विषय था क्लाइमेट अडॉप्टेशन थ्रू प्रैक्टिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी. उनकी बातचीत में बाढ़ के खतरे वाले देशों, सूखे के प्रभाव, बाढ़ और जलवायु परिवर्तन आदि जैसे विवरण शामिल थे. हैदराबाद के जॉय मुस्तफ़ी ने ऍप्लिकेशन्स ऑफ़ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च पर एआई के डेमोक्रेटिज़ेशन पर बात की. उन्होंने बताया कि एआई को विभिन्न इंडस्ट्रीज में कैसे शामिल किया जा रहा है.तीसरी आज़ादी वार्ता के लिए डॉ ताड़ीकोंडा वेंकट भारत का परिचय फैकल्टी एडवाइजर डॉ संजय कुमार स्वैन द्वारा कराया गया.डॉ भरत वर्तमान में आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं. कम्प्यूटेशनल जियोमैकेनिक्स और जियो-एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत और विदेशों में कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.कर्रेंट सेनारिओ ऑफ़ इंजीनियरिंग एजुकेशन इन टेक्निकल इंस्टीटूशन एंड अ वे फॉरवर्ड विषय पर उन्होंने हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिमोट लर्निंग और वर्चुअल लैब के विकास और प्रसार जैसे विषयों पर चर्चा की. कार्यक्रम के अंत में इन्हें बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान के वाईस चांसलर प्रो इंद्रनील मन्ना और डीन ऑफ रिसर्च इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डॉ सी जेगनाथन द्वारा सम्मानित किया गया.वर्तमान इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में भविष्य की प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर था विषय पर डॉ निशा गुप्ता के द्वारा प्रस्तुत दी गयी.डॉ राजीव शोरे ने मशीन लर्निंग और एज कंप्यूटिंग के अंतर्संबंध में हालिया जांच के बारे में बात की.डॉ मंजिरा सिन्हा ने इंजीनियरिंग शिक्षा में समावेशन और कैसे प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है विषय पर बात रखी.