पलामू, सैकत चटर्जी : झारखंड के डालटनगंज से बीजेपी विधायक आलोक चौरसिया को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, विधायक के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में आज शुक्रवार को सुनवाई हुई. यह सुनवाई जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में हुई. अदालत ने 80 पेज के फैसले में विधायक के खिलाफ दायर चुनाव चुनौती याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि झारखंड के राजनीतिक गलियारे में लंबे समय तक चर्चे का विषय बना केएन त्रिपाठी वर्सेस डाल्टनगंज के विधायक आलोक चौरसिया केस पर अदालत का फैसला गुरुवार को आ गया और इसके विधायक आलोक चौरसिया को राहत देते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया. जबकि केएन त्रिपाठी का आवेदन खारिज कर दिया गया. इससे विधायक समर्थक में खुशी देखी गई.
क्या है पूरा मामला
केस नंबर EP/2/2020 में केएन त्रिपाठी के द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि आलोक चौरसिया ने कम उम्र में चुनाव लड़ा है जो गलत है. इसके बाद विधायक आलोक चौरसिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में हुई. मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. जो की वर्तमान विधायक आलोक चौरसिया के पक्ष में आया है.
जानिए किस पक्ष में कौन थे वकील
इस बहुचर्चित केस में केएन त्रिपाठी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इसकी कानूनी पहलुओं पर बहस की थी. सुनवाई के दौरान केएन त्रिपाठी की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता महेश तिवारी एवं अभिषेक कुमार दुबे ने पैरवी की. जबकि विधायक आलोक चौरसिया की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने बहस की. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई.
विधायक की ओर से क्या दलील दी गई
पिछली सुनवाई में विधायक आलोक चौरसिया की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने बहस के दौरान कोर्ट को बताया था कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) एक्ट की धारा 28 के अनुसार जैक कोई कार्रवाई या आदेश पारित करता है तो उसे न्यायालय में चैलेंज नहीं किया जा सकता है. इस आधार पर आलोक चौरसिया की ओर से यह भी कहा गया कि जब जैक ने उनके जन्मतिथि में संशोधन कर दिया है और वह अब ठीक हो चुका है तो उसे किसी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, तो फिर इलेक्शन पिटिशन में कैसे इसे चुनौती दी जा सकती हैं.
विधायक ने बताया की फार्म भरते समय हुई थी गलती
विधायक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि गलती से फॉर्म भरते समय जन्मतिथि में वर्ष 1995 भर दिया गया था. तत्काल यह गलती नोटिस नही की जा सकी थी, इसलिए उसे ठीक भी नही कराया जा सका था. लेकिन जब बाद में यह ध्यान आया की जन्मतिथि गलत भरी हुई है तो उसे सुधारने का प्रयास चालू किया गया.
2012 में जन्मतिथि सुधारने को प्रकिया शुरू की गई
विधायक ने कोर्ट को बताया की वर्ष 2012 में उन्होंने अपनी जन्म तिथि में सुधार की कार्रवाई शुरू की थी. इसके बाद वर्ष 2014 में उनकी जन्मतिथि में झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने सुधार किया था.
क्या थी केएन त्रिपाठी की दलील
पूर्व की सुनवाई में केएन त्रिपाठी की ओर से बहस में कहा गया था कि झारखंड विधानसभा चुनाव के नामांकन के समय में आलोक चौरसिया की उम्र 25 वर्ष से कम थी. इसलिए वे चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे. इसी बात को लेकर मामला दर्ज किया गया था. पर अब हाई कोर्ट के द्वारा इस केस को खारिज कर दिया गया है.