Jharkhand News (रांची) : झारखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के साथ-साथ इन दिनों ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) की बीमारी तेजी से पांव पसार रही है. चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के इलाज में उपयोग होनेवाली जरूरी दवाओं की किल्लत हो गयी है. इसके कारण मरीज और उसके परिजनों की चिंता काफी बढ़ गयी है.
राजधानी रांची के बाजारों में इस बीमारी में कारगर दवा ‘एम्फोट्रेक्सीन बी’ खोजने से भी नहीं मिल रही है. अन्य जिलों में भी यही हाल है. होलसेल और स्टॉकिस्ट के पास दवाएं ही नहीं है. इसके कारण रिम्स और प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है.
समय पर दवा नहीं मिलने के कारण गत शनिवार को रिम्स के ओल्ड ट्रॉमा सेंटर में भर्ती एक मरीज की मौत हो गयी थी. वहीं, वर्तमान में ब्लैक फंगस के 3 संक्रमितों का इलाज चल रहा है. इनमें से 2 की स्थिति गंभीर बनी है. राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रिम्स में 12 बेड का अलग वार्ड तैयार किया गया है. वहीं, प्राइवेट हाॅस्पिटल में भी 3 से 4 बेड रिजर्व कर दिये गये हैं.
इधर, ब्लैक फंगस की दवाओं के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रही दवाएं भी बाजार से गायब हो रही हैं. वहीं, राज्य में ब्लैक फंगस की दवाओं की किल्लत को देखते हुए राज्य औषधि निदेशालय ने दवा निर्माता कंपनियों को पत्र लिखा है. इस पत्र में झारखंड में दवा का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराने को कहा है. कंपनियों से आग्रह भी किया गया है कि एक सप्ताह के अंदर दवाएं उपलब्ध करा दिया जाये, ताकि मरीजों की जान बचायी जा सके.
इस संबंध में राज्य औषधि निदेशालय के संयुक्त सचिव सुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी अचानक तेजी से बढ़ी है. दवा कंपनी अधिक दवा नहीं बनाती थी. इसलिए दवा का संकट हो गया है. दवा निर्माता कंपनियों को पत्र लिखा गया है कि वह तत्काल दवा का स्टॉक उपलब्ध करायें. उम्मीद है कि एक सप्ताह में दवा मुहैया हो जायेगी.
Posted By : Samir Ranjan.