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शराब घोटाला: केंद्रीय एजेंसियों को झारखंड में भी शराब कारोबार में बड़े घोटाले की है आशंका

ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान यह पाया कि शराब के व्यापार में लगे लोगों और अधिकारियों की मदद से शराब के कारोबार की समानांतर व्यवस्था कायम की गयी थी. समानांतर व्यवस्था कायम करने और उसे चलाने के मामले में इडी ने तीन लोगों को दोषी माना है.

रांची, शकील अख्तर/सुनील झा. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में जिन लोगों को किंगपिन के रूप में चिह्नित किया है, झारखंड के भी शराब कारोबार पर उन्हीं लोगों का अप्रत्यक्ष कब्जा था. इसके मद्देनजर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा झारखंड में भी शराब के व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाले की आशंका जतायी जा रही है. झारखंड के अधिकारियों ने तो गड़बड़ी की स्थिति में खुद को बचाने के लिए कानूनी प्रावधान भी कर लिया है. उत्पाद नीति की धारा 57 में किसी भी असंवैधानिक कार्य के लिए लाइसेंसी या उसके कर्मचारी को दंडित करने का प्रावधान था. लेकिन निगम के अधिकारियों को दंड के प्रावधान से अलग कर दिया गया था. राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जतायी थी.

ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान यह पाया कि शराब के व्यापार में लगे लोगों और अधिकारियों की मदद से शराब के कारोबार की समानांतर व्यवस्था कायम की गयी थी. समानांतर व्यवस्था कायम करने और उसे चलाने के मामले में इडी ने तीन लोगों को दोषी माना है. इसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, होलोग्राम छापनेवाली ‘प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटीज लिमिटेड नामक कंपनी और खुदरा दुकान चलाने के लिए मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी मेसर्स सुमित फेलिसिटीज लिमिटेड का नाम शामिल है. इन्हीं तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका झारखंड की उत्पाद नीति और शराब के व्यापार में भी है. उत्पाद विभाग ने नयी उत्पाद नीति के लिए सीएसएमसीएल को सलाहकार नियुक्त किया था, जिसे बाद में भगा दिया गया. इसके निदेशक अरुणपति त्रिपाठी ही थे. राज्य में भी होलोग्राम छापने का काम भी प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटीज लिमिटेड को दिया गया था. सरकार ने इस कंपनी पर मेहरबानी की और उत्पाद भवन में ही उसे दफ्तर भी दे दिया. राज्य में भी मैनपावर सप्लाई का काम भी मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को मिला. इस तरह छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के तीनों महत्वपूर्ण मोहरे झारखंड में स्थापित हो गये.

ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में पाया कि राजनीतिक सहयोग से इन तीनों का नियंत्रण अनवर ढेबर करता था और कमीशन की वसूली करता था. अरुण त्रिपाठी, प्रिज्म और सुमित फैसिलिटीज के सहयोग से छत्तीसगढ़ में हुए शराब के व्यापार को इडी ने दो हिस्सों में बांटा है. नियमसंगत हुई बिक्री को इडी ने ‘अकाउंटेड सेल’ और गलत तरीके से सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर हुई शराब की बिक्री को ‘अन अकाउंटेड सेल’ के रूप में चिह्नित किया है. दोनों ही तरह की शराब की बिक्री सरकार द्वारा संचालित खुदरा दुकानों में ही हुई. इडी ने ‘अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में शराब की उन बोतलों को शामिल किया है, जिन पर सरकार के माध्यम से उपलब्ध कराये गये होलाग्राम लगा कर खुदरा दुकानों में बेचा गया. वहीं, ‘अन अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में उन शराब की बोतलों को शामिल किया गया है, जिन बोतलों को प्रिज्म द्वारा होलाग्राम छाप कर सीधे शराब बनानेवाली कंपनियों को दे दिया जाता था. इसके बाद शराब बनानेवाली कंपनियां ऐसी होलोग्राम लगी बोतलों को सीधे सरकार की खुदरा दुकान तक पहुंचा दिया करती थीं. इसका कोई हिसाब किताब सरकार के पास नहीं होता था. दुकानों में मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी सुमित फैलिसिटीज ने अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रखी थी कि वे फैक्ट्री से सीधे दुकान पहुंचनेवाली शराब की बिक्री पर ज्यादा ध्यान दें. इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ, जबकि सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर ‘अन अकाउंटेड सेल’ का पूरा पैसा शराब की समानांतर व्यवस्था कायम करनेवाले लोगों के पास गया और इसे अफसरों व राजनीतिज्ञों में बांटा गया.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसे सभी लोगों ने झारखंड में भी काम किया

– छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में सरकार के समानांतर भी शराब कारोबार हुआ

– शराब के समानांतर कारोबार में तीन लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका पायी गयी

– समानांतर व्यवस्था बनाने और चलाने के मामले में अरुणपति त्रिपाठी को दोषी माना गया

– प्रिज्म नामक कंपनी को होलोग्राम छाप कर सीधे डिस्टिलरी को देने का दोषी पाया गया

– सुमित फैसिलिटीज ने अपने मैनपावर को डिस्टिलरी से सीधे दुकान पहुंचायी गयी शराब को बेचने के लिए ट्रेंड किया

– अरुणपति त्रिपाठी झारखंड में उत्पाद नीति व व्यापार के कंसल्टेंट रहे

– प्रिज्म को ही झारखंड में होलोग्राम छापने का काम दिया गया

– सुमित फैसिलिटीज को शराब की दुकान चलाने के लिए मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया

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