रांची/नयी दिल्ली: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एसटी, एससी और ओबीसी को जनसंख्या को अनुपात में आरक्षण दिलाने की मांग की है. सोरेन ने नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग शासी परिषद की आठवीं बैठक में यह मांग रखी है. सीएम ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति संतोषजनक नहीं है. झारखंड ने नियुक्तियों में आरक्षण बढ़ाने के लिए विधेयक पास कर राज्यपाल को भेजा, लेकिन उन्होंने उसे कुछ आपत्तियों के साथ वापस कर दिया है. सरकार पुनः उन आपत्तियों को दूर कर विधेयक पास करने की कार्रवाई कर रही है, परंतु नीति आयोग एवं प्रधानमंत्रीजी से आग्रह है कि वे भी इन समूहों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिलाने की दिशा में विचार करें.
सीएम ने राज्य की तीन भाषाओं यथा कुड़ुख, हो एवं मुंडारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का आग्रह किया है. साथ ही कोल कंपनियों पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये की मांग भी रखी है. सीएम ने तीन सड़क कॉरिडोर और आठ राज्य सड़क कॉरिडोर के लिए केंद्र से सहयोग की मांग की है. सीएम ने सावित्री बाई फूले किशोरी समृद्धि योजना, सर्वजन पेंशन योजना एवं 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का नीति आयोग से अध्ययन कराने का भी प्रस्ताव दिया है. सीएम ने कहा कि मूलवासी बच्चों को उनकी ही भाषा में शिक्षा प्रदान किया करने का प्रयास है. हमलोग आदिम जनजाति एवं अनुसूचित जनजाति की भाषा के विकास के लिए एकेडमी भी स्थापित करने जा रहे हैं. सीएम ने कहा कि एमएसएमइ को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार एक अलग से निदेशालय का गठन कर रही है. साथ ही एमएसएमइ प्रमोशन पॉलिसी भी लाने जा रही है, जिसमें सब्सीडी को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक दिया जायेगा.
सीएम ने कहा कि जून 2022 में ‘वन संरक्षण नियमावली-2022’ का गठन किया गया है, जिसमें ग्रामसभा के अधिकार को लगभग गौण कर दिये गये हैं. प्रधानमंत्रीजी से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह करना चाहता हूं. अन्यथा झारखंड के आदिवासी एवं वनों में रहनेवाले निवासी धीरे-धीरे पूरी तरह से विलुप्त हो जायेंगे. अभी वन संरक्षण अधिनियम-1980 के भी कई प्रावधानों को बदलने की प्रक्रिया चल रही है. इनमें कई ऐसे प्रावधानों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है, जिनसे पर्यावरण को भविष्य में भारी नुकसान होने की संभावना है. प्रस्तावित संशोधन के कानून का रूप लेने से झारखंड जैसे राज्य, जो जंगल बचा कर रखे हुए हैं, वहां से भी वनों का अस्तित्व खत्म हो जायेगा. अतः इन संशोधनों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.
सीएम ने कहा कि खनन क्षेत्र में प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया में भी परिवर्तन प्रस्तावित है, जिसमें कुछेक प्रावधान ऐसे हैं, जो भविष्य में अल्पाधिकार (ओलीगोपोली) को बढ़ावा देगा. जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा. अतः इसके प्रावधानों पर भी पुनर्विचार किया जाये. सीएम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत छूटे हुए आठ लाख लाभुकों को आवास स्वीकृत किये जाने का आग्रह है. कहा : प्रधानमंत्रीजी से आग्रह है कि को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के सिद्धांतों को धरातल पर उतारते हुए झारखंड को उचित सहयोग प्रदान किया जाये.