Jharkhand News: Office of Profit मामले में चुनाव आयोग से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से बहस करने के लिए मांगा गया समय गया है. इससे पूर्व सीएम श्री सोरेन की ओर से पेश वकीलों ने पक्ष रखा. इस मामले में करीब दो घंटे से अधिक सुनवाई हुई, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं होने पर बहस लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी. अब आयोग दलील पेश करने की नयी तारीख तय करेगा. दूसरी ओर, दुमका विधायक बसंत सोरेन की सदस्यता के मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सुनवाई की तारीख 29 जून से बढ़ाकर आगामी 15 जुलाई, 2022 कर दी गयी है.
सीएम हेमंत सोरेन ने मांगा अतिरिक्त समय
बता दें कि मंगलवार को चुनाव आयोग के समक्ष सीएम हेमंत सोरेन अपने वकील के माध्यम से पक्ष रखे. श्री सोरेन के नाम पर आवंटित खनन लीज आवंटन मामले में भाजपा और मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकीलों ने अपना-अपना पक्ष रखा. दोपहर तीन बजे दोनों पक्ष के वकील दस्तावेजों का बंडल लेकर आयोग के दफ्तर पहुंचे. लगभग दो घंटे से अधिक इस मामले में सुनवाई हुई. लेकिन, सुनवाई पूरी नहीं हो पायी क्योंकि मुख्यमंत्री की ओर से दलील पेश करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी. अब आयोग दलील पेश करने की नयी तारीख तय करेगा.
चुनाव आयोग के समक्ष दी गयी दलील
सुनवाई के बाद भाजपा की ओर से पेश वकील कुमार हर्ष ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द होनी चाहिए. क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने खनन लीज हासिल करने का आवेदन दिया और अपने हस्ताक्षर से इसे आवंटित करा लिया. यह ऐसा मामला है, जो अदालत के किसी फैसले में नहीं आया है. मुख्यमंत्री का खनन लीज हासिल करना शुचिता, भ्रष्टाचार और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है. ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आयोग के सामने हमने दलील पेश की, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकीलों ने बहस के लिए समय की मांग की. इसपर आयोग ने आपत्ति दर्ज करायी और कहा कि पहले भी इस मामले में तीन बार समय दिया जा चुका है. ऐसे में मुख्यमंत्री की ओर से दलील पेश नहीं की गयी और आयोग इसके लिए नयी तारीख देगा और उस दिन वे अपनी बहस पूरी करेंगे.
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बहस के लिए समय की कमी थी : मेंहदीरत्ता
वहीं, मुख्यमंत्री की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की टीम चुनाव आयोग के समक्ष दलील पेश कर रही है. इस टीम में शामिल चुनाव आयोग के पूर्व विधिक सलाहकार एसके मेहंदीरत्ता ने कहा कि भाजपा की ओर से पेश वकीलों ने लंबी बहस की और मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द करने की मांग की. ऐसे में हमारे पास बहस के लिए समय की कमी थी. समय की कमी को देखते हुए हमने आयोग से अतिरिक्त समय की मांग की. अब नयी तारीख मिलने पर दलील पेश की जायेगी. उन्होंने कहा कि यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं है और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती है. कई अदालती आदेश में भी इसकी पुष्टि की गयी है.
क्या है मामला
मालूम हो कि कि भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के माइनिंग लीज लेने की शिकायत राज्यपाल से की थी और इस आधार पर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गयी थी. राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया था. चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर 10 मई तक जवाब देने को कहा, लेकिन मां की बीमारी का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त समय की मांग की और उन्हें 20 मई तक की मोहलत मिल गयी. फिर दूसरी बार जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी और 14 जून को जवाब दाखिल करने को कहा गया. लेकिन एक बार फिर व्यस्तता का हवाला देकर अतिरिक्त समय की मांग की गयी. इसपर आयोग ने कहा कि यह आखिरी मौका है और जवाब देने की तारीख 28 जून तय कर दी गयी है. अब निर्वाचन आयोग द्वारा बहस पूरी करने के लिए नयी तिथि दी जायेगी.
विधायक बसंत सोरेन मामले में अब 15 जुलाई को सुनवाई
दूसरी ओर, दुमका विधायक बसंत सोरेन की सदस्यता के मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सुनवाई की तिथि 29 जून से बढ़ाकर अब 15 जुलाई, 2022 कर दी गयी है. बसंत सोरेन की ओर से ही निर्वाचन आयोग से अतिरिक्त समय मांगा गया था. मालूम हो कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में भाजपा ने बसंत सोरेन की सदस्यता को चुनौती देते हुए निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी. निर्वाचन आयोग ने बसंत सोरेन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. श्री सोरेन ने जवाब दाखिल कर कहा है कि उन पर जो भी आरोप लगाये गये हैं, वह गलत हैं.
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Posted By: Samir Ranjan.