रांची: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में 13 अक्टूबर को सुनवाई होगी. यह मामला चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पक्ष रखे जाने की संभावना है. प्रार्थी हेमंत सोरेन द्वारा दायर याचिका में ईडी के समन व उसके अधिकार को चुनौती दी गयी है. इसके साथ ही पीएमएलए-2002 की धारा-50 व 63 की वैधता को भी चुनौती दी गयी है. इसमें कहा गया है कि ये धाराएं संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार का हनन करती हैं.
22 सितंबर को हाईकोर्ट पहुंचे थे हेमंत सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में 22 सितंबर को याचिका दायर की थी. इसके साथ ही पत्र लिखकर ईडी को याचिका दायर करने की जानकारी दी और हाईकोर्ट का निर्देश आने तक इंतजार करने का अनुरोध किया था. मुख्यमंत्री की ओर से दायर याचिका में पीएमएलए की धारा 50 और 63 को असंवैधानिक करार देने और उन्हें जारी किए गए सारे समन को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. ईडी ने जमीन खरीद बिक्री मामले में मुख्यमंत्री को चौथा समन भेज कर पूछताछ के लिए 23 सितंबर को रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया था. पेश नहीं होने पर 26 सितंबर को ईडी ने पांचवां समन जारी कर उन्हें 4 अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया था. इस पर भी वे ईडी ऑफिस में पेश नहीं हुए .
Also Read: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी का पांचवां समन, 4 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश
ईडी नहीं बता रही कि क्यों किया जा रहा है समन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए 2002 में निहित प्रावधानों के तहत ईडी के अधिकारी को जांच के दौरान किसी को समन करने का अधिकार प्राप्त है, जिसे धारा 50 के तहत समन जारी किया जाता है, उससे सच्चाई बताने की अपेक्षा की जाती है. उसका बयान दर्ज किया जाता है. इसके बाद इस बयान पर दंड या गिरफ्तारी के डर से उसे इस पर हस्ताक्षर करने की अपेक्षा की जाती है. यह संविधान के अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन है. संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार के तहत किसी व्यक्ति को इस बात का हक है कि वह यह जाने कि उसे किस मामले में और क्यों समन किया गया है. ईडी ने उन्हें समन भेजा है, लेकिन वह इस बात की जानकारी नहीं दे रहा है कि उन्हें किस सिलसिले में बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जा रहा है. ईडी की ओर से उन्हें ईसीआईआर की कॉपी भी नहीं दी जा रही है. सीआरपीसी 1973 में इस बात का प्रावधान किया गया है कि समन करनेवाली एजेंसी संबंधित व्यक्ति को यह बताए कि उसे अभियुक्त या गवाह के तौर पर समन क्यों किया जा रहा है? लेकिन पीएमएलए 2002 इस बिंदु पर पूरी तरह खामोश है. पीएमएलए की धारा 50 के के तहत जारी समन में इस बात की जानकारी नहीं दी जा रही है कि उन्हें किस रूप में समन दिया जा रहा है.
Also Read: PHOTOS: सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड के खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को किया पुरस्कृत, ऐसे बढ़ाया हौसला