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मारवाड़ी कॉलेज रांची के दीक्षांत समारोह में 2550 को मिली डिग्री, कुलपति बोले आनेवाला समय है आपका

मारवाड़ी कॉलेज रांची का दीक्षांत समारोह में तीन बैच के विद्यार्थी एक साथ जुटे. कॉलेज में 2550 विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी. 67 टॉपरों को गोल्ड मेडल मिला. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा आनेवाले पांच से 10 वर्षों में देश आप जैसे युवाओं के हाथ में होगा.

Ranchi News: मारवाड़ी कॉलेज का कैंपस शुक्रवार को गुलजार हो उठा. मौका था कॉलेज की चौथी ग्रेजुएशन सेरेमनी का. तीन बैच के विद्यार्थी एक साथ जुटे. पुराने दिनों को याद किया. कॉलेज में 2550 विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी. 67 टॉपरों को गोल्ड मेडल मिला. गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों के चेहरे खुशी से चमक उठे. गोल्ड मेडल की सूची में 92 विद्यार्थियों का नाम था, लेकिन सभी नहीं पहुंच पाये. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने टॉपर्स को गोल्ड मेडल पहनाया. उन्होंने कहा : आनेवाले पांच से 10 वर्षों में देश आप जैसे युवाओं के हाथ में होगा. आप किताब जरूर पढ़ें. इससे नयी जानकारी मिलेगी. वहीं अपने अंदर की कमी को दूर करना भी आपकी ही जिम्मेवारी है. इस दौरान मारवाड़ी महिला कॉलेज के नये भवन का उदघाटन भी किया.

पूर्व प्राचार्य डॉ जावेद अहमद ने कहा कि यहां के बच्चे डिग्रियां जिम्मेदारी के साथ लेकर जा रहे हैं और विश्वास है कि पूरे देश में अपनी पहचान छोड़ेंगे. पूर्व प्राचार्य डॉ यूसी मेहता ने भी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया. प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने कहा कि मारवाड़ी कॉलेज झारखंड के अग्रणी कॉलेजों में है. यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ कैंपस प्लेसमेंट का भी मौका मिलता है. हमने आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए यूनिफार्म बैंक बनाया है. इस अवसर पर रांची विवि के प्रति कुलपति डॉ अरुण कुमार, कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता, फाइनेंस ऑफिसर डॉ एएन शाहदेव, रांची विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा आदि मौजूद थे.

चार जगहों पर विद्यार्थियों को दी गयी डिग्री

कॉलेज कैंपस में चार जगहों पर विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी. कॉमर्स, साइंस, आर्ट्स और वोकेशनल के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी. गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में कुछ ऐसे भी थे, जो रांची विवि पीजी विभाग के टॉपर रह चुके हैं. इसमें उमे हबीबा, प्रियंका उरांव शामिल हैं. सेरेमनी में यूजी 2013-16, 2014-17, 2015-18 और पीजी के 2014-16, 2015-17 और 2016-18 बैच के विद्यार्थियों को डिग्री मिली.

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टॉपरों ने कहा : सतत मेहनत और लगन से मिला गोल्ड

  • मैंने सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस किया. इसी का परिणाम है कि मैं आज इस मुकाम पर हूं. यहां से बैचलर इन कंंप्यूटर मेंटेनेंस से स्नातक करने के बाद शास्त्री यूनिवर्सिटी से एमसीए किया. आज एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रही हूं -शालिनी कुमारी, बीसीएम

  • टॉपर बनने का एक ही मंत्र है कि अपने विषय पर फोकस करें. मैंने मारवाड़ी कॉलेज से 2016 में बीकॉम किया. अब पीएचडी कर रहा हूं. मांडर ब्लॉक में काम भी कर रहा हूं -अमरदीप कुमार साहू, बीकॉम

  • 2018 में फैशन डिजाइनिंग में स्नातक करने के बाद अभी अरविंद मिल्स में काम कर रही हूं. आगे की योजना खुद का स्टार्टअप शुरू करना है -अंकित सिंह, फैशन डिजााइनिंग

  • अपने विषय पर फोकस करते हुए तैयारी करने से ही सफलता मिलती है. मैंने 2018 में केमिस्ट्री से स्नातक किया. वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में लेक्चरर हूं -सुमित रंजन, केमिस्ट्री

  • बचपन में मैथ्स का अधिक अभ्यास करता था. बाद में इसमें रुचि बढ़ती गयी. इसलिए मैथ्स से स्नातक किया और वर्तमान में एक्साइज इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत हूं -नितेश कुमार चौबे, मैथ्स

  • जूलॉजी में स्नातक करने के बाद बीएड की डिग्री हासिल की. अभी स्कूल में पढ़ा रहीं हूं. साथ ही एमएड भी कर रही हूं. मुझे आगे बढ़ाने में मां और पति का पूरा सहयोग रहा है -रूखसार जहां, जूलॉजी

  • हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की है और वर्तमान में नेट की तैयारी में जुटी हूं. मेरा सपना है कि प्रोफेसर बनकर विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देना -प्रीति गुप्ता, फिजिक्स

  • मैं खुद भी कॉलेज में विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को पढ़ाती हूं. मेरा विश्वास है कि मेहनत से हर मुकाम को पाया जा सकता है -दीक्षा सिंह, एमएससी बायोटेक्नोलॉजी

  • मैं देर रात तक पढ़ाई किया करती थीं. जिसका रिजल्ट आज मुझे गोल्ड मेडल के रूप में मिला है. इसलिए सफलता के लिए कड़ी मेहनत जरूरी है -आसमां कुमारी, मनोविज्ञान

जज्बे की कहानी : प्रतिदिन 90 किमी का सफर तय करते थे अजय मुंडा

यह कहानी स्नातक नागपुरी के टॉपर अजय मुंडा की है. खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के डुमरगाड़ी गांव के रहनेवाले अजय मुंडा ने मारवाड़ी कॉलेज से इंटर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई पूरी की है. लेकिन इसके लिए संघर्ष का रास्ता तय किया. सत्र 2015-18 के विद्यार्थी रहे अजय प्रतिदिन 90 किलोमीटर का सफर तय करते थे. वह भी साइकिल से. अजय ने कहा : पीजी की फीस भरने के लिए सप्ताह में दो दिन मजदूरी करता था. वर्ष 2021 में अहमदाबाद की एक फैक्ट्री में ऑपरेटर का काम मिला. घर चलाने के लिए वहां जाना पड़ा. अभी नौकरी के साथ-साथ नेट की भी तैयारी कर रहा हूं. माता-पिता भी मजदूरी करते हैं.

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