रांची : कोरोना संकट के दौर में रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग का वायरोलॉजी लैब मानक पर खरा नहीं उतर रहा है, जिससे कई सवाल खड़े हो गये हैं. रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग का वायरोलॉजी लैब बीएसएल (बॉयो सेफ्टी लेवल) थ्री स्तर का नहीं है. यह बीएसएल-टू स्तर के मानकों को ही पूरा करता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना जांच बीएसएल थ्री स्तर के लैब में होनी चाहिए. रिम्स को कोरोना जांच की अनुमति देते समय इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की टीम ने वायरोलॉजी लैब के स्तर पर सवाल भी उठाया था.
रिम्स प्रबंधन और माइक्रोबायोलॉजी विभाग से पूछा गया था कि क्या आपका यह लैब बीएसएल थ्री स्तर के मानकों को पूरा करता है? प्रबंधन ने बचाव करते हुए कहा था कि प्रस्ताव भेजा गया है. इसके बाद कोरोना जांच की अनुमति दी गयी. हालांकि कोरोना संकट के कारण आइसीएमआर ने इसकी अनुमति दी. बीएसएल थ्री स्तर होने से हैं कई फायदे बीएसएल थ्री स्तर का लैब होने से जांच की गुणवत्ता और लैब की आधारभूत संरचना बेहतर होती है. संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है. डॉक्टर और लैब टेक्नीशियन को सुरक्षा के सभी मानकों को मुहैया कराया जाता है. जानकार यह भी बताते हैं कि रिम्स में लैब टेक्नीशियन कोरोना की चपेट में आ गया था. अगर यह लैब बीएसएल थ्री स्तर का होता, तो शायद टेक्नीशियन कोरोना संक्रमित नहीं हो पाता. पीएमसीएच धनबाद का लैब व इटकी आरोग्यशाला का लैब टीबी जांच के लिए बीएसएल थ्री स्तर के मानकोें को पूरा करता है.
पांच साल पहले स्वास्थ्य विभाग को भेजा था प्रस्ताव रिम्स वायरोलॉजी लैब को बीएसएल थ्री स्तर का तैयार करने का प्रस्ताव पांच साल पहले मार्च 2015 में स्वास्थ्य विभाग को दिया गया था. पांच साल पहले जब राज्य में स्वाइन फ्लू का मामला आया था, तो तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ एनपी साहु ने प्रस्ताव बनाकर सरकार को दिया था. लैब के लिए उस स्तर के उपकरण की मांग भी की गयी थी. लैब को अपग्रेड करने के लिए विधानसभा में भी यह मामला उठा था, लेकिन पांच साल बाद भी यह लैब बीएसएल टू स्तर का ही बन पाया. हालांकि स्वाइन फ्लू की जांच बीएसएल-टू स्तर के लैब में करने की अनुमति अभी है. विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने भी सरकार को कई बार लैब को अपग्रेड करने का प्रस्ताव भेजा है.
अगले माह से बचेंगे दो सीनियर डॉक्टर, मान्यता पर भी संकट रिम्स का माइक्रोबायोलॉजी विभाग फैकल्टी की कमी से भी जूझ रहा है. दो डॉक्टरों के छोड़ने से विभाग में जून से फैकल्टी में सिर्फ दो सीनियर डॉक्टर ही बचेंगे. ऐसे में अगर मेडिकल काउंसिल अाॅफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम आती है, तो मान्यता पर भी संकट हो जायेगा. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग व रिम्स प्रबंधन काे डॉक्टरों की नियुक्ति समय पर करनी चाहिए, जिससे इस संकट से बचा जायें.
माइक्रोबायोलॉजी विभाग का लैब बीएसएल टू स्तर का ही है. कोरोना जांच तो थ्री स्तर के लैब में ही होनी चाहिए, लेकिन अचानक संकट के कारण अनुमति दी गयी. प्रस्ताव मेरे आने के पहले भेजा गया है.
डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक रिम्स
कोरोना व एंथ्रेक्स की जांच बीएसएल थ्री स्तर के लैब में होनी चाहिए. हमारा लैब बीएसएल टू स्तर का है. स्वास्थ्य विभाग व रिम्स प्रबंधन को कई बार लैब को अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ है.
डॉ मनोज कुमार, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी