रांची, अमन तिवारी : भारत सरकार गृह मंत्रालय के अधीन काम करनेवाली संस्था इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आइफोरसी) की तर्ज पर अब राज्य में झारखंड साइबर को-ऑर्डिनेशन सेंटर बनेगा. ताकि झारखंड पुलिस राज्य में साइबर अपराध की रोकथाम और कार्रवाई के लिए आत्मनिर्भर होने के साथ ही सक्षम बन सके. इसके लिए सीआइडी डीजी अनुराग गुप्ता, सीआइडी आइजी असीम विक्रांत मिंज और सीआइडी के एसपी कार्तिक एस मिलकर प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं. प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे पुलिस मुख्यालय के माध्यम से सरकार के पास भेजा जायेगा. सरकार की अनुमति मिलने के बाद आगे कार्रवाई की जायेगी. को-ऑर्डिनेशन सेंटर के प्रमुख आइजी रैंक के अन्य अधिकारी होंगे. इनके अधीन अन्य पुलिस अधिकारी होंगे. यह सेंटर पूरे झारखंड में होने वाले साइबर अपराध का विश्लेषण करने के साथ-साथ जांच और अनुसंधान में सहयोग करने के साथ ही कार्रवाई में भी पुलिस को मदद करेगी.
जानकारी के अनुसार झारखंड के साइबर अपराधी काफी हाइटेक हो चुके हैं. साइबर अपराधी नयी-नयी तकनीक का इस्तेमाल कर आम लोगों से ठगी कर रहे हैं. इस पर रोक लगाना झारखंड पुलिस के लिए एक चुनौती के सामान है. सीआइडी साइबर फ्रॉड की रोकथाम के लिए चालू हेल्पलाइन नंबर के सहयोग से अभी तक साइबर अपराधियों द्वारा ठगे गये चार करोड़ 13 लाख 16 हजार रुपये साइबर अपराधियों के हाथ में जाने से बचा चुकी है.
हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर साइबर फ्रॉड के जो मामले सामने आ रहे हैं, उसमें इंटरनेशनल लिंक सामने आ रहा है. इस मामले की जांच साइबर पुलिस वर्तमान में आइफोरसी के सहयोग से कर रही है. इसके अलावा साइबर फ्रॉड का मामला कोई एक थाना क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता है. इसलिए ऐसे मामलों में विस्तृत जांच की जरूरत है. इसलिए साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर राज्य के लिए अहम हो गया है.
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