DSPMU : यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में बच्चों के बैठने के लिए मात्र 50 से 100 के बीच सीटें उपलब्ध है और विद्यार्थियों की संख्या है करीब 18 हजार. अधिकतर किताबों को दीमक ने चट कर दिया है. किताबें लाइब्रेरी में ऐसी जो पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के कोर्स से कोसों दूर. जी हां, यही हाल है डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी का. जहां बच्चे मूलभुत सुविधाओं से भी वंचित रह जा रहे है.
बात अगर लाइब्रेरी की करें तो हर साल बच्चों से लाइब्रेरी फीस के नाम पर 150 रुपये ठग लिए जाते है. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी में शांति नहीं सन्नाटा पसरा रहता है क्योंकि यहां बच्चों को जो किताबें चाहिए वो नहीं है और जो किताबें है वह उनके किसी काम की नहीं और दीमक लगी हुई. विश्वविद्यालय में करीब 18 हजार बच्चे पढ़ाई करते है जिनसे लाइब्रेरी फीस लेना प्रबंधन नहीं भूलती बस भूल जाती है किताबें देना और बैठकर पढ़ पाने की उचित व्यवस्था करना.
करीब 18 लाख रुपये लाइब्रेरी के नाम पर हर साल विद्यार्थी दे रहे है लेकिन बदले में उन्हें मिल रहा है दीमक लगी किताबें. डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी में मौजूद किताबें काफी नहीं है. ऐसे में छात्रों का एक ही सवाल है कि हर साल हमारे लाइब्रेरी फीस का 150 रुपये कहां जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से नई बिल्डिंग का निर्माण किया गया है लेकिन अभी तक वहां भी लाइब्रेरी की व्यवस्था नहीं हो पाई है. इतने बड़े विश्वविद्यालय में अभी तक सेंट्रल लाइब्रेरी नहीं है.
Also Read: रांची के DSPMU में 50 प्रतिशत छात्रों के फेल होने पर कर दी तालाबंदी, विद्यार्थियों ने की जांच की मांगबता दें कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने पदभार संभालते समय छात्रों से बातचीत की थी. जिस दौरान छात्रों ने लाइब्रेरी की समस्या बतायी तो वीसी प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा था कि मैं भी आपके साथ लाइब्रेरी चलकर देखना चाहता हूं. निरीक्षण के बाद वीसी ने कहा कि छात्रों के लिए लाइब्रेरी विथ रीडिंग रूम बनाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक स्टूडेंट्स एक साथ पढ़ाई कर सकें. लेकिन अभीतक यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाया है.