Durga Puja 2020 : रांची : राजधानी रांची में हर वर्ष रावण दहन का कार्यक्रम होता है. इस बार कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण इसका आयोजन नहीं होगा. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए रावण दहन के सार्वजनिक कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दी है. 72 साल के इतिहास में पहली बार रावण दहन का सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा.
रांची में रावण दहन के आयोजन का श्रेय पंजाबियों को जाता है. देश के बंटवारे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान के कबायली इलाके से पंजाबी यहां रिफ्यूजी बन कर आये. पंजाबियों द्वारा 1948 में पहली बार रावण दहन का आयोजन किया गया था. रांची के रिफ्यूजी कैंप में रह रहे 12-15 पंजाबी परिवारों ने विजयादशमी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम किया और पहला दशहरा रांची में मनाया. धीरे-धीरे ये आयोजन बड़ा रूप लेने लगा. वक्त के साथ आयोजन स्थलों में बदलाव हुए और भारी भीड़ को देखते हुए रांची के प्रसिद्ध मोरहाबादी मैदान में ये कार्यक्रम धूमधाम से किया जाने लगा.
पंजाबी हिंदू बिरादरी के अध्यक्ष राजेश खन्ना बताते हैं कि सरकारी निर्देश का पालन करते हुए इस बार प्रतीकात्मक कार्यक्रम की तैयारी चल रही है. पुंदाग स्थित लाला लाजपत राय स्कूल परिसर में सात-आठ फीट के रावण का दहन किया जायेगा. इस कार्यक्रम को लेकर उपायुक्त से स्वीकृति का आग्रह किया जायेगा. आपको बता दें कि विजयादशमी के मौके पर रांची में मोरहाबादी, अरगोड़ा, टाटीसिलवे एवं एचईसी में रावण दहन का आयोजन हर वर्ष किया जाता रहा है.
रांची में रावण दहन के आयोजन में स्व. लाला खिलदा राम भाटिया, स्व. मनोहर लाल, स्व. कृष्णा लाल नागपाल, स्व. अमीर चंद सतीजा एवं स्व. अशोक नागपाल समेत अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पहली बार रांची में रावण दहन उस वक्त के डिग्री कॉलेज (अब मेन रोड स्थित डाक विभाग के ऑफिस के सामने) के पास किया गया था. इन्होंने खुद 12 फीट का रावण तैयार किया था. ये पहला मौका था जब रांचीवासियों ने रावण दहन देखा था.
रावण दहन का कार्यक्रम मेन रोड के बाद रांची रेलवे स्टेशन स्थित खजुरिया तालाब के रिफ्यूजी कैंप में किया गया. इसके बाद राजभवन के सामने किया जाने लगा. इसके बाद भारी भीड़ को देखते हुए मोरहाबादी में रावण दहन किया जाने लगा.
रांची के मोरहाबादी मैदान में रावण दहन कार्यक्रम के बाद अन्य इलाकों में भी इसका आयोजन किया जाने लगा. 1967 में पहली बार अरगोड़ा में रावण दहन की शुरुआत की गयी. अरगोड़ा दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष भोला राम साहू ने बताया कि उस समय अरगोड़ा इलाके के लोगों को खासकर महिलाओं को रावण दहने देखने जाने में काफी परेशानी होती थी. स्व. नानू साव, बैजनाथ साव, तारा प्रसाद साव, सागर प्रसाद साव आदि ने मिलकर दुर्गा पूजा और रावण दहन की शुरुआत की थी. इसमें से कई लोग मेकॉन में काम करते थे. पहली बार मेकॉन से निकलने वाले रद्दी कागज से रावण का पुतला तैयार किया गया था.
Posted By : Guru Swarup Mishra