रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति का पंडाल बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देगा. इसकी तैयारी एक माह से शुरू है. पंडाल 20 फीट चौड़ा, 100 फीट लंबा और 30 फीट ऊंचा होगा. 25 हजार प्लास्टिक के बॉल के माध्यम से बेटी बचाओ का संदेश दिया जायेगा. थर्मोकॉल और फाइबर से निर्मित प्रतिमाएं भी संदेश देंगी. मुख्य द्वार पर लोहे आदि से निर्मित 20 फीट की घड़ी होगी. इसमें यह दिखाया जायेगा कि घड़ी रुक गयी है.
इसके पीछे की कहानी यह बतायी जायेगी कि यदि मां नहीं रहेगी, तो सृष्टि का विकास रुक जायेगा. इसी घड़ी के नीचे से भक्त पंडाल में प्रवेश करेंगे. पंडाल के अंदर विशेष लाइटिंग होगी. वहीं 12 फीट ऊंची मां की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. 10 फीट का महिषासुर होगा, जिसका वध करती मां दिखेंगी.
किस वर्ष कितना खर्च
वर्ष 2022 30 लाख
वर्ष 2021 10 लाख
वर्ष 2020 10 लाख
2019 28 लाख
2018 25 लाख
इस वर्ष का बजट
पंडाल 25 लाख
प्रतिमा 02 लाख
लाइटिंग व 05 लाख
अन्य खर्च
पंडाल के अंदर लकड़ी की छाल से भी आकर्षक कलाकृतियों का निर्माण किया जा रहा है. इसका निर्माण कोलकाता के कारीगर कर रहे हैं. पंचमी को पंडाल का पट खोल दिया जायेगा. इस वर्ष 32 लाख रुपये का बजट है.
रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति वर्ष 1947 से दुर्गोत्सव मना रही है. इसकी शुरुआत रेलकर्मियों ने की थी. पहले तिरपाल लगाकर पूजा होती थी. इसकी शुरुआत बीसी मुखर्जी, गोपाल गांगुली, पीके मुखर्जी, सीएच भारद्वाज, डॉ बीसी दत्ता, चौधरी बाबू और शिव प्रसाद आदि ने की थी. इसके बाद विद्युत मुखर्जी, कौशिक दत्ता, बाबू गांगुली, रिंकू मुखर्जी, पंकज सिंह, डी सुरेश, मुन्ना वर्मा, गुड्डू सिंह, सौरभ कुमार, शेखर, राहुल शर्मा आदि जुड़े.
पूजा समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय कहते हैं : यहां की पूजा देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है, इसलिए हमलोग प्रति वर्ष कुछ अलग दिखाने का प्रयास करते हैं. यहां मां के दर्शन के लिए भक्त घंटों कतार में खड़े रहते हैं.