रांची: विशाल चौधरी ने ‘झारखंड कौशल विकास योजना’ का टेंडर मैनेज करने के लिए अफसरों और मंत्री को पैसे दिये. उसके ठिकानों पर छापामारी के दौरान मिले दस्तावेज और कंप्यूटर में इसका ब्योरा दर्ज है. विशाल ने यह रकम विनायका फंडामेंटल रिसर्च एंड एजुकेशन सोसाइटी (वीएफआरइएस) से लिये थे. यह कंपनी विशाल की कंपनी के साथ मिल कर ‘कौशल विकास योजना’ का काम करती थी. इन दोनों कंपनियों के बीच भारी नकदी लेन-देन के साथ ही विशाल चौधरी और श्वेता चौधरी के खातों में कुल जमा, नकद जमा और आयकर रिटर्न के ब्योरे में भारी अंतर पाया गया है. इडी ने विशाल के ठिकानों से मिले दस्तावेज की जांच में पाया कि उसकी कंपनी ‘फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज’ ने ‘विनायका फंडामेंटल रिसर्च एंड एजुकेशन सोसाइटी’ के साथ मिल कर ‘कौशल विकास योजना’ के टेंडर में हिस्सा लिया था. योजना के तहत में 18-35 साल के लोगों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है. झारखंड स्किल डेवलपमेंट मिशन सोसाइटी (जेएसजीएमएस) ने टेंडर निबटारे के बाद विशाल की कंपनी को तीन साल (18 नवंबर 2016 से 31 मार्च 2019 तक) के लिए 2.97 करोड़ की लागत पर कौशल विकास प्रशिक्षण का काम सौंपा था.
डायरी में दर्ज है टेंडर मैनेज करने का पूरा खर्च : विशाल के घर से मिली डायरी में कौशल विकास योजना का टेंडर मैनेज करने के लिए किये गये खर्च का ब्योरा लिखा है. डायरी में दर्ज है कि 30 लाख रुपये में से उसने जेएसडीएमएस में 10 लाख रुपये खर्च किये. डीएसओ हजारीबाग को 65 हजार और डीएसओ रांची को 80 हजार रुपये पहले चरण में दिये गये. सोसाइटी में और 3.27 लाख रुपये देने हैं.
जांच में पाया गया कि कौशल विकास योजना का काम विनायका फंडामेंटल द्वारा अरगोड़ा स्थित फ्रंट लाइन के कार्यालय से ही चलाया जा रहा है. विशाल के घर से मिले दस्तावेज से जानकारी मिली कि विनायका फंडामेंटल के तापिश चौधरी ने 2.85 करोड़ रुपये नकद दिये, लेकिन फ्रंट लाइन ग्रुप सर्विसेज (एफजीएस) के हिसाब में सिर्फ 63.5 लाख रुपये मिलने का उल्लेख किया गया है.
कंप्यूटर में दर्ज है मंत्री को दिये खर्च का ब्योरा :
विशाल चौधरी के कंप्यूटर की जांच के दौरान ‘हिसाब’ शीर्षक के एक्सेल शीट में लेन-देन का ब्योरा लिखा है. इसमें विनायका फंडामेंटल से 10 जनवरी 2022 को 15 लाख रुपये मिलने का उल्लेख है. इस राशि में से 12 लाख रुपये का खर्च मंत्री को देने और तीन लाख रुपये का खर्च दूसरे काम में दिखाया गया है. एक्सल शीट में ही 12 जनवरी 2022 को पहली किस्त के रूप में 25 लाख और दूसरी किस्त के रूप में 10 लाख रुपये मिलने का उल्लेख है. लेन-देन के इस ब्योरे में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि 25 लाख रुपये की पहली किस्त मोरहाबादी मान्या पैलेस के पास ली गयी. इसमें चार हजार रुपये कम थे. दोनों किस्तों में मिली कुल राशि 14 जनवरी 2022 को अशोक नगर में किसी मलिया मैम को सौंप दी गयी.
बैंक खातों में जमा करायी गयी भारी नकद राशि :
इडी ने जांच के दौरान पाया कि विशाल चौधरी, श्वेता सिंह चौधरी और कर्मचारी अमर नाथ शर्मा के बैंक खातों में भारी नकद राशि जमा की गयी है. इसके बाद इडी ने विशाल चौधरी, श्वेता सिंह चौधरी, नीलोफर आरा, मालिया अनवर के खातों में जमा राशि और आयकर रिटर्न का मिलान किया. वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2022-23 की जांच में विशाल चौधरी के खाते में कुल 1.66 करोड़ रुपये जमा हुए. इसमें से 83.62 लाख रुपये नकद जमा कराये गये थे, लेकिन विशाल ने इस पूरी अवधि में अपने आयकर रिटर्न में सिर्फ 68.08 लाख रुपये की ही आमदनी दिखायी थी.
श्वेता चौधरी के खाते में कुल 75.38 लाख रुपये जमा हुए थे. इसमें से 21.11 लाख रुपये नकद के रूप में जमा हुए थे, लेकिन श्वेता के आयकर रिटर्न में सिर्फ 62.95 लाख की आमदनी का ही उल्लेख है. जांच के दौरान निलोफर आरा और मालिया अनवर के भाई-बहनों (शारिया अनवर, सिमोन अनवर, सदी अनवर) के बैंक खातों में भी नकद राशि जमा करने का मामला पकड़ में आया.
विशाल से जुड़े लोगों के खातों में नकद जमा (लाख में)
खाता धारक राशि वीर चौधरी 4.41 शारिया अनवर 8.10 सिमरन अनवर 2.03 सदफ अनवर 0.81 मोनिका तिरू 5.78 पूनम कुमारी 0.99 सरोजनी होरो 5.29 उषा देवी 5.64 मरियम आइंद 5.81
विशाल चौधरी 83.62 166.35 68.08
श्वेता चौधरी 21.11 75.38 62.95
त्रिवेणी चौधरी 4.61 4.61 21.64
वीणा चौधरी 36.25 43.97 27.76