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Exclusive: ‘ऐसे ही किसी व्यक्ति विशेष को नहीं भेजा जाता समन’, करप्शन के खिलाफ जांच नहीं करती ED की कड़ी 2

ईडी भ्रष्टाचार के खिलाफ न तो कोई जांच, कार्रवाई या छापेमारी करता है, बल्कि वह अपने अधिकार यानी पीएमएलए के तहत ही कोई कदम उठाता है. www.prabhatkhabr.in ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून को लेकर नागरिकों के भ्रम को दूर करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता आलोक आनंद के साक्षात्कार की दूसरी कड़ी पेश कर रहा है.

विश्वत सेन

रांची : भारत में होने वाले किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आज की तारीख में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का पर्याय बन चुका है. लेकिन, क्या सच है? क्या सही मायने में प्रवर्तन निदेशालय भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच, कार्रवाई या फिर छापेमारी करता है? अगर इस बात को लेकर किसी के मन में कोई भ्रांति या आशंका हो, तो सबसे पहले उसे झाड़ दीजिए. यह बहुत ही स्पष्ट है कि प्रवर्तन निदेशालय कभी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ न तो कोई जांच, कार्रवाई या छापेमारी करता है, बल्कि वह अपने अधिकार यानी पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या धनशोधन निवारण अधिनियम) के तहत ही किसी प्रकार का कोई कदम उठाता है. www.prabhatkhabr.in ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून यानी पीएमएलए या फिर धनशोधन निवारण अधिनियम पर भारत के आम नागरिकों के मन में पैदा हुई भ्रांतियों को दूर करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता आलोक आनंद के साक्षात्कार की पहली 19 नवंबर 2022 को पेश की थी. आज 20 नवंबर को हम उसकी दूसरी कड़ी पेश कर रहे हैं. ठहर-ठहर कर पढ़िएगा और पीएमएल कानून को मजे लेकर समझने की कोशिश कीजिए. जारी है साक्षात्कार की दूसरी कड़ी…

पीएमएलए को चैलेंज किया गया तो पहुंचा सुप्रीम कोर्ट के पास

आलोक आनंद : ऐसा नहीं है कि जो भारत सरकार कर ही है या कोई पर्टिकुलर सरकार कर रही है, बल्कि ये हमारा कमिटमेंट है टू द यूनाइटेड नेशंस से. एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) वगैरह जो एजेंसीज हैं, ये सारा एफर्ट इंटनेशनल लेवल पर चल रहा है कि कैसे मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) इंटरनेशन लेवल पर चल रहा है, चाहे वह टेररिज्म से संबंधित हो या चाहे वह नारकोटिक्स से संबंधित हो, जो पैरेलल इकोनॉमी में रन कर रहा है, उसके कैसे रोका जा सके. ये हमारा कमिटमेंटें वहां से स्टार्ट होता है. इसी के लिए एक्ट बना और एक्ट में संशोधन हुआ. क्योंकि, वहां पर कुछ न कुछ खामियां थीं. अब खामियां दूर होने के बाद एक संशोधन आया 2019 में. अब 2019 में जो संशोधन हुआ तो हमलोगों को कानून में पहले जो सीआरपीसी या अन्य लॉ के तहत सेफगार्ड्स उपलब्ध हैं, अब वे सेफगार्ड्स इसमें (पीएमएलए) में उस तरीके से उपलब्ध नहीं हैं. इसको चैलेंज किया गया विभिन्न फोरम की ओर से, अल्टीमेटली सारा मैटर चला गया सुप्रीम कोर्ट पास. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मदन लाल चौधरी एवं अन्य और केंद्र सरकार एवं अन्य में पूरा का पूरा इंटरप्रिटेशन कर दिया प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट.

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में कितने हैं चैप्टर

आलोक आनंद : मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में जब सुप्रीम कोर्ट ने इंटरप्रिटेट किया, तो उसमें पूरे 10 चैप्टर पूरे एक्ट में हैं, जो डिफरेंट फेसेस्ट्स से डील करता हो, चाहे वह एडजुकेटिंग अथॉटी का पावर एक्सरसाइज कर हो. पहला चैप्टर डिफनेशनल पोर्शन होता है, उसके बाद एडजुडिकेशन कॉन्फिकेशन वगैरह की प्रोविजंस हैं, सर्च एंड सीजर्स (तलाशी एवं कुर्की) के प्रोविजंस हैं, बर्डेन ऑफ प्रूफ के प्रोविजंस है, जैसे नॉर्मल सर्कमस्टेंसेज में क्या होता है क्रिमिनल केस में. क्रिमिनल केस में होता है कि प्रोसेक्यूशन जो केस लाता है, उसमें दायित्व होता है कि वो प्रूव करे केस को, लेकिन यहां पर वो चीज नहीं है.

मनी लॉन्ड्रिंग की कौन करता है जांच

आलोक आनंद : अब यहां पर बर्डेन ऑफ प्रूफ जो है, वो शिफ्ट कर जाता है अप-ऑन-द-एक्यूज्ड (आरोपी के खिलाफ). उसको (आरोपी को) ये बताना है कि ये जो मैटिरियल उसके खिलाफ आया हुआ है, वह सही नहीं है. क्योंकि, कोई भी अथॉटी जो है 1648 के तहत जो भी ऑफिसर्स है, डायरेक्टर हैं, डिप्टी डायरेक्टर्स है, ये लोग इन्वेस्टिगेशंस करते हैं. इनका काम इन्वेस्टिगेशन करना होता है.

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कैसे होता है समन जारी

आलोक आनंद : इन्वेस्टिगेशन के क्रम में इनके पास (जांच अधिकारी) जो सर्टेन मैटिरियल (उपलब्ध तथ्य) होता है, उसी के बेसिस पर किसी व्यक्ति विशेष को समन किया जा सकता है या अपने सर्च का पावर (छापेमारी या तलाशी) एक्सरसाइज कर सकते हैं, सीजर (कुर्की-जब्ती) कर सकते हैं. यह पूरी तरह से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर आधारित है. ऐसा नहीं है कि किसी भी व्यक्ति विशेष को कहीं पर भी बुला लें.

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