रांची : कोरोना संकट के बीच झारखंड के मानव संसाधन एवं विकास मंत्री जगरनाथ महतो ने मदरसा शिक्षकों, पारा शिक्षकों एवं टेट पास अभ्यर्थियों को दी बड़ी खुशखबरी दी है. जेटेट के प्रमाण पत्र की वैधता सात साल से बढ़ाकर नौ साल कर दी गयी है. पारा शिक्षकों पर दर्ज किये गये मुकदमे वापस लेने का फैसला शिक्षा मंत्री ने किया है. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखा है.
शुक्रवार (11 सितंबर, 2020) को दोपहर में शिक्षा मंत्री ने एक ट्वीट करके कहा था कि वह थोड़ी देर में मदरसा शिक्षकों, पारा शिक्षकों एवं जेटेट परीक्षा पास अभ्यर्थियों को सुखद खबर देंगे. इसके बाद पारा शिक्षकों, मदरसा शिक्षकों एवं जेटेट पास अभ्यर्थियों में खुशी की लहर दौड़ गयी. लोग इस बात की चर्चा करने लगे कि आखिर शिक्षा मंत्री कौन सी खुशखबरी देने वाले हैं. क्या घोषणा करने वाले हैं.
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर शिक्षा मंत्री ने झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट ), 2013 के सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की मान्यता अवधि दो वर्ष बढ़ाने का फैसला किया है. उक्त परीक्षा में सफल लगभग 50 हजार अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की सात वर्षीय मान्यता इस वर्ष मई में समाप्त हो गयी थी. अब इन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र 2022 तक मान्य होंगे.
आज थोड़ी ही देर बाद ,मदरसा में कार्यरत शिक्षकों को, आंदोलनरत पारा शिक्षकों को एवं टेट पास अभ्यर्थियों को, सुखद समाचार दूंगा ।
— Bebi Devi (@bebidevi_mla) September 11, 2020
इस संबंध में शिक्षा मंत्री ने विभागीय सचिव को आवश्यक निर्देश दे दिये हैं. इस संबंध में लिखे गये पत्र में मंत्री ने कहा है कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल(जैक) द्वारा आयोजित झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाण पत्र की वैधता की अवधि सात वर्ष निर्धारित की गयी थी. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर प्रमाण पत्र की वैधता दो वर्ष बढ़ायी जाये. मंत्री ने सचिव को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
झारखंड में वर्ष 2013 एवं वर्ष 2016 में जैक द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा ली गयी थी. पहले इस परीक्षा के प्रमाण पत्र की वैधता पांच वर्ष थी, जिसे वर्ष 2018 में बढ़ाकर 7 वर्ष कर दिया गया. अब इसकी वैधता एक बार फिर दो वर्ष के लिए बढ़ायी जा रही है. वर्ष 2013 में लगभग 65 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए थे.
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इनमें से लगभग 15000 की नियुक्ति हुई थी. शेष 50 हजार अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की मान्यता समाप्त हो गयी थी. वहीं, वर्ष 2016 में सफल 50 हजार अभ्यर्थियों को अब तक किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है. ये अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर रहे हैं.
पिछले पांच वर्ष के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में आंदोलन करने वाले पारा शिक्षकों पर दर्ज किये गये मुकदमे वापस लिये जा सकते हैं. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत को पत्र लिखकर इस संदर्भ में विचार करने का आग्रह किया है.
शिक्षा मंत्री ने लिखा है कि पिछले पांच वर्ष के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाले पारा शिक्षकों पर मुकदमे दर्ज किये गये हैं. जनहित में आंदोलनकारी पारा शिक्षकों के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी वापस लिया जाना उचित प्रतीत होता है.
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उन्होंने आगे लिखा है कि अनुरोध है कि आंदोलनकारी पारा शिक्षकों पर दर्ज प्राथमिकी वापस लेने के संबंध में उचित कार्रवाई करने की कृपा की जाये. गौरतलब है कि एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा काफी दिनों से मुकदमा वापस लेने की मांग कर रहा है.
वर्ष 2018 में पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया था. राजधानी रांची में 292 पारा शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. इनमें 36 महिला पारा शिक्षक भी थीं. वहीं, पूरे राज्य में करीब 500 पारा शिक्षकों पर मामले दर्ज हुए थे. पारा शिक्षक संघ के कई नेता जेल गये थे.
Posted By : Mithilesh Jha