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झारखंड में हाथियों के उत्पात से दो साल में 200 से अधिक लोगों की मौत, संजय सेठ के सवाल पर सदन ने दिया जवाब

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सदन में बताया कि देश में हाथियों और उनके पर्यावरण की सुरक्षा व उनके संरक्षण के लिए केंद्र प्रायोजित स्कीम, हाथी परियोजना के तहत राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है. झारखंड व ओडिशा में हाथियों की मौत पर मंत्रालय गंभीर है और उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

Jharkhand News: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने रांची के सांसद संजय सेठ के सवाल पर सदन को बताया कि पिछले 2 वर्षों में जंगली हाथियों के उत्पात से झारखंड में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इसमें 2020-21 में 74 लोग और 2021-22 में 133 लोगों ने हाथियों का शिकार होकर अपनी जान गंवायी है. इसके अतिरिक्त संपत्ति आदि की क्षति और मुआवजे के लिए 2020-21 में 591 लाख रुपये और 2021-22 में 485 लाख रुपये का भुगतान मुआवजा के रूप में किया गया है.

हाथियों की मौत की घटना पर उच्च स्तरीय समिति गठित

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सदन में बताया कि देश में हाथियों को और उनके पर्यावरण की सुरक्षा व उनके संरक्षण के लिए केंद्र प्रायोजित स्कीम, हाथी परियोजना के तहत राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है. इसके अतिरिक्त झारखंड और ओडिशा में हाल ही में हाथियों की मौत की घटना पर मंत्रालय भी गंभीर है और एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. मानव हाथी का संघर्ष रुके, प्रतिशोध की भावना से हाथियों के मारे जाने की घटना रुके, स्थानीय समुदायों को हाथियों के कारण हुई जानमाल की क्षति के लिए मुआवजा की राशि उपलब्ध कराई जाए. इस मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह गंभीरता बरतती है. हालांकि यह मामला और वन्यजीवों के प्रबंधन, मानव हाथी संघर्ष के प्रबंधन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकारों की होती है.

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सांसद संजय सेठ ने सदन में उठाई आवाज

रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में सवाल किया कि झारखंड में हाथियों के उत्पात और उससे होने वाले जानमाल के नुकसान और इसका आकलन करने की क्या व्यवस्था है? नुकसान की भरपाई के लिए क्या प्रावधान हैं? इसके साथ ही मानव और हाथियों के बीच हो रहे संघर्ष को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? तारांकित प्रश्नकाल के इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में जंगली हाथियों के उत्पात से झारखंड में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इसमें 2020-21 में 74 लोग और 2021-22 में 133 लोगों ने हाथियों का शिकार होकर अपनी जान गंवायी है. इसके अतिरिक्त संपत्ति आदि की क्षति और मुआवजे के लिए 2020-21 में 591 लाख रुपये और 2021-22 में 485 लाख रुपये का भुगतान मुआवजा के रूप में किया गया है.

मृत्यु या स्थाई नि:शक्तता पर 5 लाख रुपए मुआवजा

सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारों की क्षतिपूर्ति योजनाओं के अलावा भारत सरकार भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं, हाथी परियोजना के तहत विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान करती है. इन योजनाओं के तहत वन्य पशुओं द्वारा पहुंचाई गई क्षति में मुआवजे का प्रावधान है. मृत्यु या स्थाई नि:शक्तता की स्थिति में 5 लाख रुपए तक का मुआवजा दिया जाता है, जबकि गंभीर चोट की स्थिति में 2 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है. मामूली चोट आने पर उपचार की लागत प्रति व्यक्ति 25 हजार रुपये तक सरकार खर्च करती है. संपत्ति और फसलों को जो क्षति होती है, उसके लिए प्रदेश की सरकारें अपने निर्धारित दरों और लागत को देखते हुए मानदंडों का अनुपालन कर सकती हैं. केंद्रीय मंत्री ने सदन में बताया कि भारत सरकार हाथी और मानव के संघर्ष को रोकने के लिए पूरी तरह से गंभीर है और इसके लिए अन्य भी कई प्रकार के उपाय किए जा रहे हैं. सांसद श्री सेठ ने कहा कि उन्होंने सदन में सुझाव भी दिया है कि हाथी और मानव के संघर्ष को रोकने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए क्योंकि यह किसी एक राज्य की समस्या नहीं होकर राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है. लगभग आधा दर्जन राज्य जंगली हाथियों के उत्पात से प्रभावित होते हैं.

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