रांची : झारखंड की पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) राष्ट्रपति चुनाव के लिए राजग की तरफ से उम्मीदवार होंगी. कल ही भाजपा ने इसकी घोषणा कर दी. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रहीं है. श्रीमती मुर्मू ने 18 मई 2015 को झारखंड में नौवें राज्यपाल के रूप में योगदान दिया था. उन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा किया, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नयी नियुक्ति नहीं किये जाने से श्रीमती मुर्मू के कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया. इस तरह छह जुलाई 2021 को नये राज्यपाल (रमेश बैस) की अधिसूचना जारी होने तक श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल छह वर्ष एक माह 18 दिन का रहा.
अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी वह विवादों में नहीं रहीं. जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था व स्वास्थ्य को लेकर हमेशा सजग रहनेवाली श्रीमती मुर्मू ने पांचवीं अनुसूची के तहत अपना दायित्व अच्छी तरह से निभाया. भाजपा की सरकार में ही सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक वापस की. इसके अलावा टीएसी से भी संबधित संचिका आपत्ति के साथ लौटा दी थी. खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान के लिए अथक प्रयास किया.
मानकी, मुंडा व अन्य समाज से जुड़े दिग्गज लोगों को राजभवन बुलाकर समस्या का हल निकालने की पहल की. झारखंड विधानसभा में नियुक्ति व प्रोन्नति में बरती गयी अनियमितता पर कार्रवाई की अनुशंसा की. कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए लगातार प्रयास करती रहीं.
श्रीमती मूर्मू का विवाह श्यामचरण मुर्मू के साथ हुआ था. पति और पुत्रों की आकस्मिक मौत के बाद श्रीमती मुर्मू अपनी एक बेटी, दामाद व नातिन के साथ राजभवन में रहती थीं. बेटी रांची में ही बैंक में कार्यरत थीं. बिल्कुल सादा व शाकाहारी जीवन व्यतीत करनेवाली श्रीमती मुर्मू ब्रह्माकुमारी निर्मला ईश्वरीय विवि से जुड़ी रहीं.
चाईबासा में एक नि:शक्त महिला और उसके पुत्र की व्यथा प्रभात खबर में छपी, तो उसे देखकर उन्होंने उसके पुत्र को गोद ले लिया था. महिला को सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करायीं. दुष्कर्म की पीड़ित एक युवती की भी आर्थिक रूप से मदद की.
राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के आधार पर भाजपा नीत राजग मजबूत स्थिति में है. माना जा रहा है कि बीजद व वाइएसआर कांग्रेस जैसे दलों का भी उन्हें समर्थन मिल जाता है. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.
ओड़िशा में सिंचाई व बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर द्रौपदी मुर्मू के लिए बेहद चुनौती भरा रहा है. 20 जून, 1958 को संथाल समुदाय में जन्मीं मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और वह वर्ष 2000 में ओड़िशा सरकार में मंत्री बनीं.
बाद में उन्होंने 2015 में झारखंड के पहली महिला राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभाली. मुर्मू रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं. भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया है.मुर्मू भाजपा की ओड़िशा इकाई की एसटी मोर्चा की अध्यक्ष भी रही हैं. 2013 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था.
Posted By: Sameer Oraon