भारत की जी 20 अध्यक्षता के तहत सतत ऊर्जा के लिए सामग्री पर अनुसंधान और नवाचार पहल सभा (आरआइआइजी) का दो दिवसीय सम्मेलन गुरुवार को झारखंड की राजधानी रांची में शुरू हो गया. होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित सम्मेलन में 16 जी-20 सदस्यों, आमंत्रित अतिथि देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 21 विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन में लगभग 40 भारतीय विशेषज्ञों ने भाग लिया. सम्मेलन का समन्वय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर), नयी दिल्ली द्वारा किया जा रहा है.
तीन सत्रों में आयोजित सम्मेलन में सतत ऊर्जा के लिए सामग्री के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गयी. जिसमें ऊर्जा सामग्री और उपकरणों से संबंधित 21वीं सदी की चुनौतियां, सौर ऊर्जा उपयोग और फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी तथा हरित ऊर्जा के लिए सामग्री और प्रक्रियाएं. इन विषयों पर प्रतिनिधियों ने चर्चा की और पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के लिए कार्बन उत्सर्जन नेट-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से ऊर्जा सामग्री चुनौतियों को हल करने पर संयुक्त रूप से काम करने पर सहमति व्यक्त की.
विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव तथा आरआइआइजी अध्यक्ष डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर ने जी-20 प्रतिनिधियों और विशेष आमंत्रितों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सहित कई जी-20 देशों के पास विशाल खनिज और सामग्री संपदा है, जिसका हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निरंतर उपयोग करने की आवश्यकता है.
अन्य जी20 देशों जैसे इंडोनेशिया और ब्राजील के प्रतिनिधियों ने भी अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में सम्मेलन के महत्व को दोहराया. प्रतिनिधियों और आमंत्रितों का स्वागत करते हुए, डीएसआइआर के सचिव और सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ कलईसेल्वी ने कहा कि भारत की अध्यक्षता के तहत जी20 की थीम वसुधैव कुटुंबकम या एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य एक तरह से आवश्यकता पर प्रकाश डालता है.
उन्होंने दुनिया को एक साथ आने और स्थायी ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा, ताकि शुद्ध शून्य उत्सर्जन के साथ हमारा एक वैश्विक भविष्य हो सके. उन्होंने जी 20 देशों से टिकाऊ ऊर्जा भंडारण, वितरण और प्रबंधन के क्षेत्रों में अनुसंधान और तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान किया.
रांची में सतत ऊर्जा के लिए सामग्री विषय पर इस सम्मेलन के बाद तीन और आरआइआइजी कार्यक्रम डिब्रूगढ़ (असम), धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश ) और दीव में ””सर्कुलर-जैव-अर्थव्यवस्था””, ””ऊर्जा संक्रमण के लिए पर्यावरण-नवाचार”” विषयों पर आयोजित किये जायेंगे और सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी हासिल करने की दिशा में वैज्ञानिक चुनौतियां और अवसर”” पर क्रमशः चर्चा होगी.