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खतियान आधारित स्थानीयता झारखंडियों का सपना, हासिल करके रहेंगे : सुदेश महतो

राज्य के दलित, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े तथा आदिवासी हमारा साथ दें, हम खतियान आधारित स्थानीयता नीति देंगे. श्री महतो शनिवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित आजसू पार्टी के महाधिवेशन के दूसरे दिन बोल रहे थे.

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि खतियान आधारित स्थानीय नीति झारखंड के मूलवासियों एवं आदिवासियों की सिर्फ एक मांग पत्र नहीं है. यह हमारे पूर्वजों का सपना भी है. इसके लिए झारखंड की धरती ने बहुत कुर्बानियां दी है. यह आज की पीढ़ी का एक दृढ़ संकल्प भी है. हम इसके लिए वैधानिक ढांचों के अंतर्गत तब तक ईमानदारी से लड़ते रहेंगे, जब तक इसे हासिल नहीं कर लेते. इसके लिए राज्य के हर युवाओं को यदि सिर पर कफन बांधकर भी निकलना पड़े, तो हम सभी निकलेंगे. स्व विनोद बिहारी महतो व शहीद निर्मल महतो के बलिदान को व्यर्थ नहीं होने देंगे. पूर्वजों ने इसके लिए अपनी जानें दी हैं और अब इसे हासिल करना हमारी जिद है. उन्होंने कहा कि राज्य के दलित, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े तथा आदिवासी हमारा साथ दें, हम खतियान आधारित स्थानीयता नीति देंगे. श्री महतो शनिवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित आजसू पार्टी के महाधिवेशन के दूसरे दिन बोल रहे थे.

महाधिवेशन के मौके पर चार अलग-अलग विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. इसके साथ ही झारखंड के कोने-कोने से लोगों की राय ली गयी. सारे विचार और सुझावों को पटल पर रखा गया. इस पर आजसू पार्टी बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों के साथ मंथन कर रही है. शनिवार को सबसे पहले भूमि, कृषि एवं सिंचाई, खनन और उद्योग तथा पर्यावरण और पर्यटन पर विशेषज्ञों की राय ली. फिर झारखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति पर जाने-माने विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. स्वशासन और महिला सशक्तीकरण पर भी विशेषज्ञों की राय ली गयी. राजनीतिक प्रस्ताव पर सुदेश महतो ने अपने विचार रखे.

मौजूदा सरकार कर रही है षडयंत्र

सुदेश महतो ने कहा कि मौजूदा सरकार राज्य के मूलवासी विशेषकर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के साथ षडयंत्र कर रही है. सदन में सरकार कहती है कि कानूनी रूप से खतियान आधारित स्थानीयता नीति संभव नहीं है, लेकिन सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर चिपकाती है कि हमने राज्य के मूलवासी-आदिवासी को 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति दे दिया है. सरकार अपनी नियोजन नीति से 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति से जोड़कर नियुक्ति के लिए विज्ञापन क्यों नहीं निकालती है? इस कानूनी उलझनों को सुलझाना सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के प्रति ईमानदार नहीं है. ऐसे में आजसू पार्टी यह संकल्प लेती है कि हम इन वर्गों को इनका अधिकार दिला कर रहेंगे.

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