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सड़क हादसे में घायल के मददगार को तत्काल सम्मान राशि देने की तैयारी में हेमंत सरकार, प्रस्ताव होगा पारित

सबसे ज्यादा 92 फीसदी सड़क हादसा ओवर स्पीड के कारण होता है. मरने वालों में 18 से 35 वर्ष के लोगों की संख्या ज्यादा है.वहीं, पूर्व से जो पॉलिसी लागू है, उसमें अस्पताल द्वारा गुड सेमेरिटन को चिकित्सक द्वारा साइन कर एक परफॉर्मा दिया जाता है. जिसमें उसे अपनी जानकारी और एकाउंट नंबर का उल्लेख करना होता है. बाद में प्रक्रिया पूरी किये जाने के बाद संबंधित सम्मान राशि उनके एकाउंट में डालने का नियम है.

good samaritan road accident policy in jharkhand रांची : आप भी गुड सेमेरिटन (नेक दिल आदमी) बनकर तत्काल सम्मान राशि पा सकते हैं. गुड सेमेरिटन पाॅलिसी-2020 में संशोधन कर इसे संभव बनाया जा रहा है. संशोधित नये प्रस्ताव में यह प्रावधान किया जा रहा है कि जब कोई गुड सेमेरिटन किसी घायल को अस्पताल पहुंचायेगा, तो उसे वहीं पर तत्काल सम्मान नकद राशि दी जायेगी. यह प्रावधान झारखंड जैसे राज्य के लिए बड़ी बात होगी, क्योंकि यहां सड़क हादसों में हर साल 3000 से ज्यादा के लोगों की मौत होती है.

सबसे ज्यादा 92 फीसदी सड़क हादसा ओवर स्पीड के कारण होता है. मरने वालों में 18 से 35 वर्ष के लोगों की संख्या ज्यादा है.वहीं, पूर्व से जो पॉलिसी लागू है, उसमें अस्पताल द्वारा गुड सेमेरिटन को चिकित्सक द्वारा साइन कर एक परफॉर्मा दिया जाता है. जिसमें उसे अपनी जानकारी और एकाउंट नंबर का उल्लेख करना होता है. बाद में प्रक्रिया पूरी किये जाने के बाद संबंधित सम्मान राशि उनके एकाउंट में डालने का नियम है.

सीएम के पास मंजूरी के लिए गया प्रस्ताव :

जानकारी के अनुसार, झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी-2020 में संशोधन कर इसे और आसान बनाया जा रहा है. परिवहन विभाग के नये प्रस्ताव को स्वास्थ्य विभाग की सहमति के बाद परिवहन मंत्री ने भी मंजूरी दे दी है. अब इसे सीएम की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है.

फरवरी में लागू हुई थी गुड सेमेरिटन (नेक दिल आदमी) पाॅलिसी-2020 :

झारखंड में गुड सेमेरिटन (नेक दिल आदमी) पाॅलिसी-2020, फरवरी 2021 में लागू की गयी थी. इसका मकसद सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को गोल्डेन आवर (प्रथम 60 मिनट) में अस्पताल तक पहुंचाने वाले मददगारों को सम्मान के साथ आर्थिक लाभ देना था. जिससे घायलों की समय रहते जान बचाने में सफलता मिल सके. इस कार्य में कोई भी आम आदमी गुड सेमेरिटन की भूमिका निभा सकता है. इसके एवज में गुड सेमेरिटन को सम्मान स्वरूप राशि देने के साथ पुलिस द्वारा परेशान नहीं करने का भी प्रावधान था.

इतना सब होने के बाद भी लोग गुड सेमेरिटन के तौर पर आगे नहीं आये. यानी लोगों ने पूरी तरह रुचि नहीं ली. परिवहन विभाग के पास पॉलिसी लागू होने के चार माह बाद भी ऐसे एक भी सेमेरिटन का नाम नहीं है, जिसने इस योजना का लाभ लिया हो. ऐसे में परिवहन विभाग ने इसमें संशोधन कर नियम को आसान बनाने की जरूरत महसूस की. जिसके तहत नियम में संशोधन कर इसे और आसान बनाया जा रहा है. जिससे लोग सहज तरीके से हादसे में घायल हुए लोगों की मदद करने के लिए आगे आयें.

सड़क दुर्घटना में मौत की स्थिति :

वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3256 सड़क दुर्घटनाओं में 3027 लोगों की मौत.

-वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5394 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इसमें 3542 लोगों की मौत.

-वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5122 सड़क हादसों में 3703 लोगों की मौत.

-वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 4347 सड़क हादसों में 3065 लोगों की मौत.

हादसों की वजह :

ओवर स्पीड के कारण 92%

नशे में गाड़ी चलाने से 02%

गलत दिशा में वाहन चलाने से 04%

ड्राइविंग के समय मोबाइल उपयोग से 01%

लाल बत्ती क्रॉस करने के दौरान 01%

सड़क हादसे में घायल के मददगार को शीघ्र नकद सम्मान राशि देने की तैयारी

झारखंड के लिए बड़ी बात, हर साल 3000 से ज्यादा लोग हादसों में गंवा रहे जान

आम लोगों की सहभागिता बढ़ाने की तैयारी, घायलों को समय रहते मिलेगी मदद

पुलिस नहीं कर सकती परेशान, पूछताछ के पहले एक हजार देने होंगे

घायलों के मददगारों को अब पुलिस परेशान नहीं करेगी. दुर्घटना से संबंधित जानकारी लेने की स्थिति में पुलिस को हर पूछताछ के लिए मदद करने वाले नेक नागरिक के बैंक एकाउंट में पहले एक हजार रुपये डालने होंगे. यदि गवाह बनने के बाद वह व्यक्ति कोर्ट जाता है, तो हर सुनवाई पर उस व्यक्ति के एकाउंट में एक हजार रुपये डालने होंगे.

सरकारी कर्मी और जन प्रतिनिधियों पर भी सड़क दुर्घटना में घायलों को मदद करने की जिम्मेदारी होगी.

दुर्घटना के एक घंटे यानी गोल्डेन आवर में घायल को अस्पताल पहुंचाने पर मददगार को दो हजार रुपये दिये जायेंगे.

दो व्यक्ति अगर किसी घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाते हैं, तो दोनों को दो-दो हजार देने की योजना.

दो से अधिक लोग किसी घायल को अस्पताल पहुंचाते हैं, तो सरकार पांच हजार रुपये देगी, उक्त राशि सभी के बीच समान रूप से बांटी जायेगी.

नेक आदमी को मरीज को अस्पताल में पहुंचाने के बाद अनावश्यक रोका नहीं जायेगा. अस्पताल के कर्मी भी उनसे पूछताछ नहीं कर सकते.

Posted By : Sameer Oraon

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