रांची : झारखंड की 106 बस्तियों में भूजल दूषित पाया गया है. यहां का भूजल पीने योग्य नहीं है. इसमें फ्लोराइड, आर्सेनिक और आयरन की मात्रा निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं है. इसका सेवन करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है. हजारीबाग व चतरा में सबसे अधिक बस्तियों के भू-जल में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक पायी गयी है.
हजारीबाग के 23, चतरा के 14, जामताड़ा के चार, पाकुड़ के पांच व साहिबगंज की दो बस्तियों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पायी गयी है. रांची के बेड़ो प्रखंड के महतो टोली व नामकुम प्रखंड के जरना टोली में आयरन की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक पायी गयी है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने इन बस्तियों को चिह्नित कर लघु व दीर्घकालीन योजना बनाकर काम शुरू किया है.
राज्य की 48 बस्तियों के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक मिली है. इन सभी बस्तियों में कम्युनिटी वाटर प्यूरीफायर प्लांट लगाकर 10 लीटर प्रति व्यक्ति (एलपीसीडी) शुद्ध पेयजल दिया जा रहा है. साहिबगंज की एक पंचायत बुधन टोला के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है. यहां पर भी कम्युनिटी वाटर प्यूरीफायर प्लांट लगाकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है.
वहीं राज्य की 57 बस्तियों में भूजल में आयरन की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक है. इनमें 12 बस्तियों में सिंगल विलेज स्कीम के तहत लघुकालीन योजना शुरू कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं 45 बस्तियों के लिए मल्टी विलेज स्कीम के तहत दीर्घकालीन योजना बनायी गयी है. इसे वर्ष 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
राज्य में पानी शुद्धता की जांच को लेकर 30 जल जांच प्रयोगशाला काम कर रही हैं. रांची स्थित जल जांच प्रयोगशाला समेत सात राज्यस्तरीय जल जांच प्रयोगशालाओं को भारत सरकार की संस्था एनएबीएल से संबद्धता मिल चुकी है. इनमें मेदिनीनगर, दुमका, साहिबगंज, जमशेदपुर, धनबाद और हजारीबाग शामिल हैं. 13 जिलों की जल जांच प्रयोगशालाओं में एनएबीएल के सर्टिफिकेशन का काम पूरा हो चुका है. वहीं बची हुई 10 जल जांच प्रयोगशालाओं को संबद्धता दिलाने का काम प्रक्रियाधीन है.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 में अगस्त तक राज्य के सभी जिलों में स्थित जल जांच प्रयोगशालाओं में पानी के 2,19,080 सैंपल की जांच की गयी है. वहीं फील्ड टेस्टिंग के माध्यम से अगस्त तक 82,743 पानी के सैंपल को जांचा गया है.
पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.0-1.5 पीपीएम होनी चाहिए. फ्लोराइड की मात्रा अधिक या कम होने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है. फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से वयस्कों की हड्डियां टूटने लगती हैं. उन्हें दर्द और थकावट का अहसास हो सकता है. बच्चों के दांत पर भी इसका असर पड़ता है. आर्सेनिक युक्त पानी पीने से हड्डी व चमड़े की बीमारी होती है. वहीं आयरन की अधिकता वाला पानी पीने से पेट संबंधी बीमारियां होती हैं.
सुगंधा गांगुली, जल गुणवत्ता विशेषज्ञ
रिपोर्ट- सतीश कुमार