रांची : झारखंड के भू-गर्भ जलस्तर में एक साल में दो से पांच मीटर की गिरावट पायी गयी है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की ओर से 2020-21 में किये गये अध्ययन से यह जानकारी मिली. रिपोर्ट के अनुसार, प्री-मानसून 2020-21 के दौरान राज्य के सात जिलों में जलस्तर 0.60 से 11.10 मीटर विलो ग्राउंड लेवल (एमबीजीएल) मापा गया. गुमला और रांची में प्री-मानसून अवधि में जलस्तर की न्यूनतम और अधिकतम गहराई 0.60 एमबीजीएल और 11.10 एमबीजीएल दर्ज की गयी.
सामान्य तौर पर मॉनसून की वर्षा के बाद पूरे राज्य में जलस्तर पांच से 10 एमबीजीएल ऊपर हो जाता है. मॉनसून के बाद मौसम के दौरान पाकुड़ और पूर्वी सिंहभूम जिले में जलस्तर की न्यूनतम और अधिकतम गहराई क्रमश: 0.90 एमबीजीएल और 14.05 एमबीजीएल दर्ज की गयी है. ऐसे में सामान्य तौर पर पूरे राज्य में एक साल के अंदर जल स्तर दो से पांच एमबीजीएल की गिरावट पायी गयी.
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2019 के दशकीय औसत जल स्तर की तुलना में नवंबर 2020 के जल स्तर का उतार-चढ़ाव 0-2 मीटर की सीमा में सीमित है, जो सामान्य घटना है. हालांकि कुछ स्थानीयकृत कुओं को छोड़कर जल स्तर में कोई असामान्य वृद्धि या गिरावट नहीं पायी गयी. इस दौरान जल स्तर में 17 प्रतिशत की गिरावट के साथ-साथ 58 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है.
सेंट्रल ग्राउंड वाटर ने वर्ष 2020 -21 में झारखंड के 474 कुओं (ग्राउंड वाटर मॉनिटरिंग वेल) के जल स्तर की जांच चार अलग-अलग माह में की. इन कुओं के जल स्तर की गणना मई-2020, अगस्त-2020, नवंबर 2020 और जनवरी 2021 में की गयी. जल स्तर के आंकड़ों को चार श्रेणियों में 0-2 मीटर, 2-5 मीटर, 5-10 मीटर और 10 मीटर से अधिक में बांटा गया.
इसके बाद विभिन्न अवधि में मापे गये भूजल स्तर को दर्शाने वाले विषयगत मानचित्रों को तैयार किया गया. इसके परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए जल स्तर का और विश्लेषण किया गया है. साथ ही उस वर्ष के पूर्व मॉनसून अवधि की माप व पिछले वर्ष के जल स्तर के आंकड़े से तुलना की गयी. नवंबर 2020 की तुलना में मई 2019 में झारखंड राज्य के जलस्तर में 85 प्रतिशत वृद्धि व 15 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी.
यह सामान्य घटना है. मॉनसून की बारिश से भू-जल के स्तर में वृद्धि होती है. हालांकि जिलों के 82 कुओं में से 11 कुओं में जलस्तर में गिरावट दर्ज की गयी है. इसे मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में भूजल की अस्थायी निकासी के कारण बताया गया है.
Posted By: Sameer Oraon