15.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Happy Father’s Day 2020 : आप भी जिम्मेवार पिता का फर्ज करें पूरा : डॉ प्रशांत दास

Happy Father's Day 2020 : बच्चे के जीवन के शुरुआत से ही उसके जीवन के विकास में पिता की भूमिका मां के समान ही काफी महत्वपूर्ण होती है. बच्चों के साथ समय बिताना काफी महत्वपूर्ण होता है. वास्तव में, यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे के बुद्धि का समुचित विकास हो, तो आपको एक पिता के रूप में उसके साथ अधिक समय बिताना चाहिए.

Happy Father’s Day 2020 : रांची : आप में से कितने लोगों ने अपने बच्चे के पैदा होने के बाद उसे अपने सीने से लगाया था? मैं समझता हूं कि ऐसे पिता की संख्या बहुत कम होगी. यही वजह है कि एक बच्चे के देखभाल और लालन-पालन में पिता की भूमिका को कम करके देखा जाता है. महिलाओं की तरह पुरुष भी बच्चों के स्वास्थ्य एवं विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं. बच्चे के जीवन के शुरुआत से ही उसके जीवन के विकास में पिता की भूमिका मां के समान ही काफी महत्वपूर्ण होती है. यह कहना है यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख डॉ प्रशांत दास का.

डॉ दास कहते हैं कि कई वर्ष पहले जब मेरी बेटी पैदा हुई थी, तो मैंने खुद से एक वादा किया था कि मैं अपने कामों में चाहे कितना भी व्यस्त क्यों न रहूं, पर अपनी बेटी के साथ खेलने और समय बिताने के लिए जरूर समय निकालूंगा. खुद से किये गये उस वादे को मैं आज भी पूरा करने की कोशिश करता हूं.

बच्चों के साथ समय बिताना काफी महत्वपूर्ण होता है. वास्तव में, यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे के बुद्धि का समुचित विकास हो, तो आपको एक पिता के रूप में उसके साथ अधिक समय बिताना चाहिए. हमें बच्चों को केवल भोजन, कपड़ा तथा किताब देने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें इससे कुछ अधिक करने की जरूरत है. शोध के अनुसार, बच्चों के साथ समय बिताने से उनमें अवसाद, भय तथा आत्मसंदेह का खतरा कम होता है. ये चीजें बच्चों के जीवन में बेहतरी लाने वाले कारकों से जुड़े हैं, जो जीवन में उनके सफल होने की क्षमता को ही निर्धारित करते हैं.

Also Read: Surya Grahan 2020 in Jharkhand: खराब मौसम के बीच झारखंड में कहां-कैसा दिखा सूर्य ग्रहण, आप भी देखिए
अभिभावक होना आसान नहीं

यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख डॉ प्रशांत दास ने कहा कि यूनिसेफ के एक अध्ययन से पता चलता है कि जीवन के 1,000 दिनों के दौरान बच्चों के जीवन में जो विकास होता है, वैसा विकास फिर दोबारा नहीं होता. इस शुरुआती दिनों में बच्चे का मस्तिष्क काफी तेजी से विकसित होता है और प्रति सेकेंड एक मिलियन से अधिक नये तंत्रिका तंत्रों को जोड़ता है. इसका मतलब यह हुआ कि बच्चों के जीवन के शुरुआती दौर में ही उसके विकास की आधारशिला तैयार होती है.

यह समय बच्चों के जीवन में एक अवसर के समान होता है, जिसमें उनके सीखने, विकास करने और समाज में योगदान देने की क्षमता का विकास होता है. लेकिन, यह तभी होगा जब उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधा, पोषण, सुरक्षा, देखभाल तथा सीखने के अवसर प्राप्त हों.

बच्चों को उचित वातावरण प्रदान करने की जरूरत

हमें एक पिता तथा अभिभावक के रूप में बच्चे को एक उचित वातावरण प्रदान करने की जरूरत है, ताकि उनके दिमाग तथा बुद्धि का सही विकास हो. आमतौर पर, छोटे बच्चे को पिता कम ही समय देते हैं और बच्चे के बड़े होने पर ही पिता की भूमिका बढ़ती है. लेकिन, वास्तव में 0-3 वर्ष के दौरान बच्चे को जिस प्रकार की देखभाल प्राप्त होती है, वही बच्चे को लाभ पहुंचाती है. मुझे मालूम है कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है, तो एक पिता के लिए बड़ी भूमिका निभाना आसान होता है, लेकिन बच्चों की देखभाल में पिता की भूमिका उसके जीवन के शुरुआत से ही होनी चाहिए.

कार्यों को साझा करें

डॉ दास कहते हैं कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लागू लाॅकडाउन का हर कोई सामना कर रहा है. लोग घरों में सीमित होकर रहने को मजबूर हैं. यही समय है जब बच्चों की देखभाल तथा घरेलू कार्यों में आप पत्नी की मदद कर सकते हैं. यह महिलाओं पर पड़ने वाले बच्चों की देखभाल के असंगत बोझ को भी कम करेगा. आप घर में कार्यों का विभाजन कर सकते हैं, जैसे कि बच्चे को खिला सकते हैं, उन्हें सीखने में मदद कर सकते हैं और यहां तक कि खिलाने के बाद पीठ थपथपा कर बच्चे को डकार भी दिला सकते हैं. हालांकि, पारंपरिक रूप से एक बच्चे को खिलाना हमेशा मां का कर्तव्य माना गया है, लेकिन इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और इसके लिए फादर्स डे से बेहतर दिन और क्या हो सकता है?

हाल ही में झारखंड में पोषण पखवाड़ा (8-16 मार्च ) मनाया गया था. यह पुरुषों की भूमिका पर केंद्रित किया था. विशेषकर पिता की भूमिका पर कि वे कैसे बच्चों की देखभाल में योगदान दे सकते हैं! पोषण पखवाड़ा के दौरान कुल 55,37,946 पुरुषों ने पोषण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों जैसे- पोषण रैली, प्रभात फेरी, पोषण जन आंदोलन, अन्नप्राशन तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित पोषण परामर्श केंद्रों में भाग लिया. मुझे प्रसन्नता है कि बड़ी संख्या में देखभाल कर्ताओं ने इसमें भाग लेकर बच्चे के विकास में उनकी जिम्मेवारियों के बारे में जानकारी प्राप्त किया. एक पिता के रूप में आप 3 साधारण चीजें कर सकते हैं, जिसे हम कहते हैं- खिलाओ, खेलो और प्यार करो.

Also Read: खुशी की धुन बजाने वाले पेट के लिए कर रहे दिहाड़ी
खिलाओ, खेलो और प्यार करो

इसका मतलब है कि आप अपने बच्चे को उचित पोषण प्रदान करें. उदाहरण के तौर पर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बेटे और बेटी एनीमिया से बचाव के लिए हर हफ्ते आयरन फोलिक एसिड की एक गोली लें. इसके अलावा आप अपने बच्चे के टीकाकरण की जिम्मेवारी ले सकते हैं तथा उनके वजन और लंबाई की माप के लिए उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों में लेकर जा सकते हैं. आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे तथा परिवार को विविध प्रकार का खाद्य पदार्थ मिले.

इसी प्रकार से आप अपने बच्चों के साथ खेल सकते हैं. मैं चाहता हूं कि सभी बच्चों को उनके माता-पिता का भरपूर प्यार मिले. जब बच्चे रोये, हंसे या किलकारी करें, तो उसपर प्रतिक्रिया देकर माता-पिता को उसके साथ संवाद करना चाहिए. इससे बच्चे आश्वस्त होंगे कि एक पिता के रूप में आप हमेशा उनके साथ मौजूद हैं. यह बच्चे के दिमाग की सामाजिक एवं संचार कौशल को विकसित करने में भी मदद करेगा. जब आपके बच्चे बड़े हो रहे हों, तो उनके साथ संवाद करना चाहिए, न कि उन्हें हमेशा निर्देशित करते रहना चाहिए कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं!

यूनिसेफ के 2018 के अध्ययन के मुताबिक, ‘पेरेंटिंग मैटर्स : एग्जामिनिंग पेरेंटिंग एपरोचेज एंड प्रैक्टिसेेज’ के तहत अधिकांश पिता और दादा घर के बाहर बच्चे के साथ खेलते हैं, जबकि मां घर के अंदर बच्चों को कहानियां एवं गाना सुना कर उसका मनोरंजन करती हैं. इसे बदलने की जरूरत है. पिता भी बच्चे को कहानियां सुना सकते हैं और पढ़ने- लिखने में उसकी मदद कर सकते हैं. ऐसा देखा जाता है कि बच्चे की छोटी आयु (0-3 वर्ष) के दौरान मां अपनी बेटियों के साथ, जबकि पिता बेटे के साथ खेलते हैं. लेकिन, आपको इसे बदलने का प्रयास करना चाहिए और अपने बेटे और बेटियों दोनों के साथ खेलना चाहिए. हम एक समानता आधारित समाज में रहते हैं और इसलिए यह बदलाव हमारे अपने घर से ही शुरू होना चाहिए.

एक पिता और अभिभावक के रूप में आपको अपने बच्चों से प्यार करने की जरूरत है. जब आप अपने बच्चे को प्यार से नहलाते हैं, तो वास्तव में आप उसे तनाव से मुक्ति देते हैं, जो बाद में चलकर उसके अंदर टाॅक्सिन पैदा कर सकता है. इसमें शारीरिक और भावनात्मक शोषण तथा उपेक्षा भी शामिल है. इसका मतलब हुआ कि एक प्यार पाने वाला बच्चा भविष्य के तनाव से बेहतर तरीके से निपटेगा.

Posted By : Samir ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें