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भरी बरसात में लगातार सूख रहा है हटिया डैम, 37 फीट की क्षमता वाले डैम में मात्र 4 फीट पानी

रांची के डेढ़ लाख लोगों को पानी देने वाला हटिया डैम सूखने के कगार पर है. 37 फीट पानी की क्षमता वाले डैम में केवल चार फीट से थोड़ा अधिक पानी बचा है. दो महीने से अधिक समय से पानी की राशनिंग हो रही है.

रांची : रांची के डेढ़ लाख लोगों को पानी देने वाला हटिया डैम सूखने के कगार पर है. 37 फीट पानी की क्षमता वाले डैम में केवल चार फीट से थोड़ा अधिक पानी बचा है. दो महीने से अधिक समय से पानी की राशनिंग हो रही है. गरमी के मौसम में लगातार बारिश होने और मानसून आने के बाद भी डैम का जलस्तर नहीं बढ़ना चिंताजनक है. डैम बनने के पिछले 58 साल में कभी ऐसी स्थिति नहीं आयी. प्रकृति की नेमत को अधिकार समझते वाले लोगों ने डैम का बहुत नुकसान किया है.

अतिक्रमण कर लोगों ने डैम में पानी आने से रोका है. डैम का सुदृढ़ीकरण करने, जल संग्रहण क्षेत्र बढ़ाने और गाद हटा कर गहरीकरण की योजना कभी तैयार ही नहीं की गयी. शहर के विकास की योजनाएं लागू करने की जल्दी में डैम के कैचमेंट एरिया तक पानी के पहुंचने का रास्ता ही बंद कर दिया गया. अब सूख चुके डैम की जमीन पर मवेशी घूम रहे हैं. लोग धड़ल्ले से मोटरसाइकिल चल रहे हैं. हटिया डैम के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है.

1962 में एचइसी के लोगों को पानी देने के लिए बना था हटिया डैम

रांची : वर्ष 1962 में हटिया डैम का निर्माण किया गया था. उस समय रांची की आबादी महज 1.5 लाख थी. अाज झारखंड अलग राज्य बनने के बाद राजधानी बनी रांची की आबादी 15 लाख से अधिक है. केवल एचइसी प्लांट और आसपास की आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाये गये हटिया डैम पर अब शहर के करीब 1.5 लाख लोग आश्रित हैं. स्थापना के बाद से अब तक डैम के स्वरूप में परिवर्तन करने, उसकी जलशोधन क्षमता बढ़ाने, जलस्तर में वृद्धि करने की कोई योजना नहीं बनी. 2016 में हटिया डैम की गाद हटा उसकी गहराई बढ़ाने का प्रयास जरूर किया गया था. लेकिन, वह पर्याप्त नहीं था.

केवल चार फीट सात इंच बचा पानी : 37 फीट पानी की क्षमता वाले हटिया डैम में केवल चार फीट सात इंच पानी ही बचा है. यह डैम बनाये जाने के बाद के 58 वर्षों में सबसे बुरी स्थिति है. इस साल अब तक हुई बारिश से डैम के जलस्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. डैम की मौजूदा स्थिति के कारण जून के बाद भी पानी की राशनिंग जारी रखने पर विचार हो रहा है. हटिया डैम के कार्यपालक अभियंता रियाज आलम कहते हैं कि अब तक हुई बारिश से डैम का जलस्तर केवल एक इंच ही बढ़ा है. यही स्थिति रही, तो जुलाई और उसके बाद भी डैम से पानी की राशनिंग जारी रखनी होगी.

डैम में अब तक का सबसे कम जलस्तर

हटिया डैम से रोज 8.50 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है. लेकिन, डैम में पानी की कमी के कारण इस वर्ष 15 अप्रैल से सप्ताह में दो दिन राशनिंग कर आपूर्ति की जा रही है. अभी सप्ताह में पांच दिन डैम से आठ एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है. हटिया डैम से पहली बार वर्ष 2011 में पानी की राशनिंग की गयी थी. उसके बाद फिर से वर्ष 2015 और 2016 में राशनिंग की जरूरत पड़ी. वर्ष 2018 में अच्छी बारिश की वजह से डैम का जलस्तर अधिकतम रिकार्ड किया गया. लेकिन, इस वर्ष फिर से डैम सूख गया है. हटिया डैम का पानी में कोई नाला नहीं गिरता है. इस वजह से राजधानी के अन्य डैमों की अपेक्षा हटिया डैम का पानी ज्यादा शुद्ध है.

हटिया डैम के लिए काल बना रिंग रोड

रांची. राजधानी में ट्रैफिक सुगम करने के लिए बनाया गया रिंग रोड हटिया डैम के लिए काल बन गया है. रिंग रोड के निर्माण के पूर्व हटिया डैम का जलस्तर बहुत नीचे नहीं गिरता था, लेकिन जब से रिंग रोड बना है, इसमें आने वाले पानी का प्रवाह अवरोध हुआ है. रोड के निर्माण से बड़े इलाके से पानी का बहाव डैम की ओर ठीक से नहीं हो पा रहा है. इस पर रिंग रोड निर्माण के दौरान भी सवाल खड़े हुए थे.

स्थानीय लोगों से लेकर विभागीय स्तर पर भी बातें हुई थी. यह कहा जा रहा था कि रिंग रोड के कारण पानी डैम में जाने से रुक रहा है. अगर बारिश का पानी डैम में नहीं गया तो आगे के वर्षों में बड़ी कठिनाई होगी. डैम का जलस्तर धीरे धीरे नीचे जायेगा. अत्याधिक बारिश से भी लाभ नहीं मिलेगा. आज वह स्थिति आ गयी है. जल स्तर गिरा है.

ऐसे रुक रहा है पानी : रिंग रोड का निर्माण मौजूदा जमीन को ऊंचा करके किया गया है. ऐसे में रोड के दूसरी ओर से बारिश का पानी आकर वहां पर रुकता है. पानी बहाव डैम की ओर न होकर दूसरी ओर हो रहा है. कई जगहों पर पानी बहाव का रास्ता तो छूटा हुआ है, लेकिन वह बहाव के लिए पर्याप्त नही है. लोगों का कहना है कि बारिश का बहुत कम पानी डैम में जा रहा है.

अवैध कॉलोनियां दे रही हैं चुनौती, डैम के गहरीकरण की योजना नहीं : हटिया डैम के गहरीकरण की कोई योजना राज्य सरकार की नहीं है. वर्ष 2016 में डैम के कुछ हिस्से में गहरीकरण का काम करवाया गया था. लेकिन, बाद में उसे बंद कर दिया गया. जानकार बताते हैं कि नये विधानसभा भवन के निर्माण के दौरान जमीन के समतलीकरण के लिए मिट्टी की जरूरत थी. उसी वजह से हटिया डैम से गाद हटाने के नाम पर मिट्टी निकाली गयी.

जरूरत पूरा होने पर डैम के गहरीकरण का काम बंद कर दिया गया. हटिया डैम से धुर्वा, हिनू और डोरंडा क्षेत्र के अलावा अशोक नगर में भी पानी की सप्लाई की जाती है. डैम में पानी की कमी के कारण करीब 1.5 लाख लोग पानी की किल्लत झेलते हैं. पूरी आबादी नगर निगम के टैंकरों पर ही आश्रित हो जाती है. इलाके में चापानलों और सार्वजनिक कुंओं की संख्या कम रहने के कारण परेशानी बढ़ जाती है.

posted by : Pritish Sahay

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