रांची : एचइसी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण एचइसी आवासीय परिसर की सुंदरता भी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. रखरखाव के अभाव में एचइसी के 170 से अधिक क्वार्टर जर्जर हो गये हैं. पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास बी टाइप में 50 आवास, धुर्वा में 70 एसटी/डीटी आवास व सेक्टर तीन में वेलनेस सेंटर के पास 50 आवास को कंडम घोषित कर दिया गया है. इन क्वार्टरों में न तो दरवाजे हैं और न ही खिड़की. हालांकि, कुछ क्वार्टरों में लोग अनधिकृत रूप से रह रहे हैं. ऐसे में हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है. वहीं प्रबंधन को भी मालूम नहीं है कि किस तरह के लोग इन क्वार्टरों में रहते हैं.
वहीं, जो क्वार्टर लीज जोन में नहीं हैं, उनकी हालत भी खराब है. एचइसी प्रबंधन इन क्वार्टरों की मरम्मत करीब 30 वर्षों से नहीं करा रहा है. इसमें रहने वाले लोग खुद अपने पैसे से मरम्मत कराते हैं. एचइसी के क्वार्टरों का निर्माण 60 के दशक में हुआ था. उस समय स्थायी और अस्थायी क्वार्टर बने थे. शुरुआत में नियमित रूप से क्वार्टरों का रखरखाव किया जाता था. लेकिन, आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 80 के दशक के बाद से क्वार्टरों की मरम्मत का काम पूरी तरह बंद कर दिया गया. वहीं, प्रबंधन द्वारा क्वार्टरों में जलापूर्ति, नालियों की सफाई और बिजली संबंधी कार्य भी नहीं कराया जाता है.
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एचइसी के करीब सात हजार क्वार्टर को कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों को लीज पर दिया गया है. इन क्वार्टरों से प्रबंधन हर साल रखरखाव शुल्क लेता है. इसके बावजूद मेंटेनेंस नहीं कराता है. इन क्वार्टरों को 99 साल के लिए लीज पर दिया गया है. हर 30 साल बाद इसका नवीकरण किया जाना है. अभी तक सभी का लीज एग्रीमेंट नहीं किया गया है. लीज एग्रीमेंट नहीं किये जाने से भी क्वार्टर लेने वाले परेशान हैं.
प्रबंधन के पास नहीं है योजना : भवन सिंह : हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह ने कहा कि प्रबंधन के पास कोई योजना नहीं है. जर्जर आवास की मरम्मत कर अगर निजी कंपनियों को दिया जाये, जो कंपनी को प्रतिमाह लाखों रुपये मिलेंगे. प्रबंधन ने छह माह पूर्व खाली आवासों के मूल्यांकन के लिए निविदा निकालने का निर्णय लिया था. लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता के कारण आज तक निविदा नहीं निकाली गयी. जबकि, कई पीएसयू कंपनियों ने कार्यालय के लिए एचइसी को आवेदन दिया है.