Jharkhand news, Ranchi news, रांची : 29 दिसंबर, 2020 को झारखंड में हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का एक साल पूरा हो रहा है. 29 दिसंबर, 2019 को गठित हेमंत सरकार के गठन के कुछ समय बाद ही कोरोना संक्रमण का दौर शुरू हो गया. इस दौरान राज्य की हेमंत सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई, लेकिन दूरदर्शी सोच के कारण इस चुनौती को हेमंत सरकार ने अवसर के रूप में चुना और राज्यवासियों के लिए कई बेहतर कार्य किये. कोरोना संक्रमण काल में राज्य की सबसे बड़ी उपलब्धि प्रवासी मजदूरों को रेल और हवाई मार्ग से अपने घर वापस लाना रहा. इससे झारखंड देश का पहला राज्य बन गया, जो प्रवासी मजदूरों को हवाई मार्ग से भी अपने घर वापस लाये. इसके अलावा कई योजनाओं पर भी विशेष जोर रहा. पिछले दिनों राज्य के किसानों का 50 हजार रुपये तक का लोन माफ किया गया.
झारखंड की हेमंत सरकार ने राज्य के गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री दीदी किचन की शुरुआत की. लॉकडाउन के कारण गरीब-गुरबों को दो वक्त का भोजन कराने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत हुई थी. इसके तहत अनाथ, बेसहारा, दिव्यांग, बुजुर्ग, गरीब, बीमार, विधवा, लाचार, अतिगरीब व मजदूरों को निःशुल्क खाना उपलब्ध कराया गया. इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग के अधीन झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के तहत सखी मंडल की दीदियों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. इन दीदियों ने जरूरतमंद व उनके परिजनों को दो वक्त का खाना नि:शुल्क मुहैया करायी. 5 अप्रैल, 2020 से शुरू हुई इस दीदी किचन की संख्या शुरुआत में 2321 थी, जिसके तहत 65,820 जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया गया. पहले फेज में राज्य के विभिन्न पंचायत क्षेत्र में सीएम दीदी किचन की संख्या 4268 थी, वहीं दूसरे फेज में दीदी किचन की संख्या 1835 और बढ़ गया. इस तरह पूरे राज्य में 6103 सीएम दीदी किचन की संख्या हो गयी थी.
कोरोना संकट के बीच झारखंड की हेमंत सरकार ने मुख्यमंत्री दाल-भात योजना की शुरुआत की. इसके तहत पूरे राज्य में करीब 350 मुख्यमंत्री दाल-भात योजना का संचालन हुआ. वहीं, दूसरी ओर पुलिस द्वारा विभिन्न थानों में चलाये गये विशेष दाल-भात योजना (सामुदायिक किचन) के 472 केंद्र का संचालन हुआ, जहां गरीब-गुरोबों को भोजन नसीब हुआ. इन केंद्रों के माध्यम से 10 लाख से अधिक जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया गया.
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झारखंड की हेमंत सरकार ने कोरोना संक्रमण के कारण दूसरे राज्यो में फंसे झारखंड के करीब 8 लाख प्रवासी मजदूरों को रेल और हवाई मार्ग से अपने घर वापस लाये. पूरे देश में झारखंड पहला राज्य बन गया, जहां के प्रवासी मजदूरों को हवाई मार्ग से भी वापस लाया गया. इसके अलावा रेल मार्ग से भी काफी संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घर वापस लाया गया.
लाखों की संख्या में झारखंड पहुंचे प्रवासी मजदूरों के सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की थी. हेमंत साेरेन की सरकार ने इस समस्या को भी हाथों-हाथ लिया. हेमंत सरकार ने सबसे पहले इन प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार से जोड़ने के लिए ब्लूट प्रिंट तैयार की. फिर करीब 10 लाख जॉब कार्ड बनाया गया. इसमें प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को भी मनरेगा के कार्यों से जोड़ा गया.
इस दौरान हेमंत सरकार ने कई नयी योजनाओं को भी धरातल पर उतारा. इसके तहत बिरसा हरित योजना, नीलांबर पीताम्बर जल समृद्धि योजना, पोटो खेल विकास योजना, पानी रोको पौधा रोप अभियान, मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना, फूलो झानो आशीर्वाद योजना, गरीबों को धोती, साड़ी और लूंगी देना और खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना मुख्य रहा.
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इस योजना के तहत ग्रामीणों को फलदार वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया गया. इस योजना में ग्रामीणों को 100-100 पौधों का पट्टा दिया जा रहा है. इससे ग्रामीणों को एक साथ दोहरी लाभ मिल रही है. एक तो पौधों का पट्टा मिल रहा है, वहीं पेड़ों के सुरक्षित रखने के लिए सरकार आर्थिक सहयोग भी प्रदान कर रही है. इसके अलावा जब ये वृक्ष बड़े हो जायेंगे, तो 3 साल के अंदर उस परिवार को 50 हजार रुपये की वार्षिक आमदनी भी प्राप्त होगी. इससे राज्य में जब फलदार वृक्षों का लंबा सिलसिला शुरू होगा और जब उन फलदार वृक्षों से फल मिलेंगे, तो फूड प्रोसेसिंग उद्योग को भी बल मिलेगा. इसके लिए बाजार की सुविधा में उपलब्ध करायी जायेगी.
इस योजना के माध्यम से किसान अब तीन फसलों तक उत्पादन कर सकेंगे. इस योजना के तहत भूमिगत जल की बढ़ोतरी में भी लाभ मिलेगा. बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सूखाग्रस्त इलाकों को इस योजना से काफी लाभ मिलेगा. राज्य में कई डैम बने, लेकिन इसका लाभ सही रूप में ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है. सिंचाई के अभाव में किसान एक फसल पर ही निर्भर थे, लेकिन इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई की परेशानी से मुक्ति मिलेगी.
इस योजना के तहत पूरे राज्य में पंचायत स्तर पर खेल का मैदान बनाने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य में खेल की असीम संभावनाएं हैं. यहां के खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में नाम कमाया. खेल मैदान के अभाव में खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता है. सरकार के इस गंभीर प्रयास से राज्य के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ेगा.
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बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पानी रोको पौधा रोपा अभियान की शुरुआत झारखंड के खूंटी जिले के गुना गांव से हुई है. इस गांव का चयन इसलिए हुआ क्योंकि यहां की ग्रामीण महिलाएं जलस्तर में वृद्धि और जल संचय की महत्ता को भलीभांति समझ चुकी थीं. कुछ दिनों में ही इसका परिणाम भी दिखने लगा. 1 जून 2020 से शुरू हुए इस अभियान को अभी चंद दिन ही बीते थे कि खूंटी जिला अंतर्गत कर्रा प्रखंड के गुनी और मानपुर गांव की दीदियों ने करीब 115 एकड़ में जल संचय के लिए ट्रीटमेंट और आम की बागवानी के लिए गड्ढे खोदें गये.
झारखंड के हेमंत सोरेन की सरकार ने राज्यवासियों को रोजगार मिले, इसके लिए कई योजनाओं की भी शुरुआत की. इसके तहत मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना की शुरुआत की, वहीं फूलो झानो आशीर्वाद योजना से हड़िया- शराब बेचने वाली ग्रामीण महिलाओं के बेहतरी का प्रयास किया गया. मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना के तहत शहरी क्षेत्र में रहने वाले अकुशल श्रमिकों को 100 दिन की रोजगार गारंटी दी गयी. मनरेगा के तहत इन श्रमिकों को रोजगार दिया जायेगा.
झारखंड की हेमंत सरकार ने राज्य के किसानों को एक बड़ी राहत दी. कृषि ऋण माफी योजना के तहत सरकार ने राज्य के किसानों के 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की. इसके लिए राज्य के करीब 13 लाख किसानों को चिह्नित किया गया. इस योजना के तहत एनपीए खाताधारी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि, एनपीए खाताधारक किसानों को भी इसका लाभ लेना है, तो सबसे पहले उन्हें अपने खाते से लेन-देन शुरू करना होगा.
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झारखंड के खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति का अवसर हेमंत सरकार ने दी है. इसके तहत 32 खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति मिलेगी. नियुक्ति संबंधी पत्र हेमंत सरकार के एक साल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में दिये जाने की संभावना है. हेमंत सरकार के इस निर्णय से राज्य के खिलाड़ियों की सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ गयी हैं.
Posted By : Samir Ranjan.