रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साधा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कृषि बिल को लेकर कहा कि केंद्र की मनमानी ऐसे ही चलती रही, तो राज्य में उलगुलान होगा. लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. झारखंड मंत्रालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री सोरेन ने ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि कृषि बिल में किसानों के हित की बात का कोई अता-पता नहीं है. बिल को किसान विरोधी बताते हुए श्री सोरेन ने कहा कि इससे सिर्फ व्यापारियों, कंपनियों को फायदा होगा. मुख्यमंत्री ने कृषि बिल को देश के संघीय ढांचे पर सबसे बड़ा आघात बताया. कहा कि एक तो केंद्र सरकार ने राज्य के विषय पर अतिक्रमण करके कानून बनाया और दूसरी ओर राज्यों से इस संबंध में जरूरी मशविरा तक नहीं किया.
उन्होंने कहा कि अगर कानून बनाया भी, तो उसे लागू करना राज्यों पर छोड़ना चाहिए था, ताकि बिल के गुण-दोष की विवेचना कर राज्य उसे लागू करने के लिए स्वतंत्र होते. लेकिन, केंद्र सरकार तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसे राज्यों पर थोप रही है. कहा कि हर राज्य में खेती-बारी की अलग-अलग व्यवस्था है. इसलिए पूरे देश के लिए एक प्रकृति का कृषि कानून अतार्किक है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि कृषि बिल के लागू होने से एक बार फिर महाजनी प्रथा लागू हो जायेगी. वही महाजनी प्रथा, जिसके खिलाफ झारखंड के लोगों ने वर्षों आंदोलन किया. उसे जड़ से उखाड़ने का काम किया. उन्होंने कहा कि ये महाजन ही अनुबंध पर किसानों की खेत में फसल लगवायेंगे और फसल का मूल्य अपनी मर्जी से तय करेंगे.
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ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि कृषि बिल में यह स्पष्ट नहीं है कि अनुबंध पर किसानों के खेत में फसल लगवाने वाले फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे. वहीं, बीच में किसान से अनुबंध टूटने पर किसानों को न्याय के लिए अदालतों के चक्कर काटने पड़ेंगे. इस स्थिति में मुश्किल वक्त में किसानों के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि इस कृषि बिल से जमाखोरों की बन आयेगी. जमाखोरी पर अंकुश खत्म होने से महाजन मनमाना मूल्य निर्धारित करने लगेंगे. उन्होंने चाणक्य के कथन का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस देश का राजा व्यापारी होगा, उस देश की जनता भिखारी ही होगी. उन्होंने आलू-प्याज की बढ़ती कीमतों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें कब क्या खाना है, उसे भूलना पड़ेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने येन-केन-प्रकारेण संविधान प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग कर कृषि बिल को संसद से पारित कराकर किसानों पर थोपा है. यही कारण है कि देश के तमाम राज्यों के किसान आंदोलित हैं. उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आ रहा कि प्रधानमंत्री देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं. पहले जीएसटी, कोल निलामी, शिक्षा नीति आदि पर एकतरफा फैसला लिया और अब कृषि बिल पर भी वही रवैया अपनाया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए संरचनागत बदलाव की ओर बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि गांवों तक आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए नाबार्ड के साथ मिलकर सरकार ढाई सौ करोड़ रुपये का प्रावधान करने जा रही है. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य मकसद यह है कि किसानों को बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़े.
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इससे पहले मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कोरोना काल में मीडियाकर्मियों की भूमिका की सराहना करते हुए उनका शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि कोरोना के डर से जब लोग घरों में कैद थे, तो मीडियाकर्मी ही थे, जो उन्हें देश-दुनिया की खबरों से अवगत कराते रहे.
Posted By : Mithilesh Jha