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आयकर विभाग का अनुमान, झारखंड में सालाना 12 हजार करोड़ से अधिक की होती है टैक्स चोरी

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में पूरे देश में जीएसटी के रूप में 18.10 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई. इसके मुकाबले आयकर के रूप में 19.68 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई

आयकर विभाग ने झारखंड में सालाना 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक के टैक्स चोरी का अनुमान लगाया है. विभागीय अधिकारियों ने आयकर की चोरी का आकलन करने के लिए ऑल इंडिया जीएसटी, आयकर वसूली और टैक्स-जीडीपी अनुपात के आंकड़ों को आधार बनाया है. इसके अलावा बैंकों द्वारा टीडीएस का एक बड़ा हिस्सा मुंबई और बेंगलुरु में जमा करने से आयकर के रूप में राज्य को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. राज्य में हो रही आयकर की चोरी से राज्य को भी नुकसान हो रहा है. क्योंकि आयकर वसूली में राज्य को करीब 42 प्रतिशत हिस्सा मिलता है.

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में पूरे देश में जीएसटी के रूप में 18.10 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई. इसके मुकाबले आयकर के रूप में 19.68 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई. केंद्र सरकार के इन आंकड़ों से इस बात की पुष्टि होती है कि केंद्र सरकार को जीएसटी से ज्यादा पैसा आयकर के रूप में मिलता है. इस हिसाब से झारखंड में भी आयकर के रूप में मिलने वाली रकम, जीएसटी के रूप में वसूली गयी रकम से ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन झारखंड आयकर और राज्य सरकार को जीएसटी के रूप में मिलनेवाली रकम में भारी अंतर है.

आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में झारखंड सरकार को जीएसटी के रूप में 18491.68 करोड़ रुपये मिले हैं. राज्य में इसके मुकाबले आयकर के रूप में सिर्फ 8640 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है. यानी राज्य में आयकर वसूली जीएसटी के मुकाबले आधे से भी कम है.

राज्य का टैक्स-जीडीपी रेशियो भी ऑल इंडिया के मुकाबले काफी कम है. ऑल इंडिया टैक्स-जीडीपी अनुपात 11.8 प्रतिशत है. झारखंड में टैक्स-जीडीपी का अनुपात सिर्फ 6.7 प्रतिशत है. इन वित्तीय आंकड़ों के साथ ही छोटे-छोटे व्यापारियों के यहां किये गये सर्वे में 100-100 करोड़ रुपये के व्यापारिक गतिविधियों को छिपाने का मामला पकड़ आने के बाद आयकर विभाग ने टैक्स चोरी का यह अनुमान लगाया है. आयकर विभाग को बैंकों द्वारा अपना टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर (टैन) को मुंबई और बेंगलुरु में सेंट्रलाइज करने की वजह से आयकर विभाग को नुकसान हो रहा है.

पहले राज्य में चल रहे बैंकों फिक्स डिपॉजिट पर मिलने वाली सूद की रकम पर टीडीएस की कटौती कर आयकर विभाग में जमा किया जाता था, लेकिन अब स्टेट बैंक, यूनियन बैंक सहित कुछ अन्य बैंकों ने टीडीएस का एक हिस्सा मुंबई और बेंगलुरू में जमा करना शुरू कर दिया है. इससे आयकर विभाग को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.

ऑल इंडिया जीएसटी, आयकर वसूली और टैक्स-जीडीपी अनुपात के आधार पर किया गया आयकर चोरी का आकलन

खास बातें

ऑल इंडिया जीएसटी वसूली 18.10 लाख करोड़

ऑल इंडिया आयकर वसूली 19.68 लाख करोड़

ऑल इंडिया टैक्स-जीडीपी अनुपात 11.8 प्रतिशत

झारखंड में टैक्स-जीडीपी अनुपात 6.7 प्रतिशत

झारखंड में जीएसटी वसूली 18491.68 करोड़

झारखंड में आयकर वसूली 8640 करोड़

जेवर की बिक्री 10,000 करोड़

निजी वाहनों की बिक्री 8,776 करोड़

गहनों, वाहनों का अरबों का कारोबार, पर वसूली उसके अनुसार नहीं

वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में आयकर के रूप में वसूली का लक्ष्य 8500 करोड़ रुपये ही था. लेकिन प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ प्रभाकांत द्वारा टैक्स अदा करने के लिए किये गये जागरूकता कार्यक्रम, सर्वे आदि के बाद लक्ष्य से 140 करोड़ रुपये ज्यादा की वसूली हुई. इसके बावजूद जीएसटी और आयकर के रूप में मिली राशि में भारी अंतर है.

जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य में 10 हजार करोड़ रुपये के सोना, हीरा के जेवर बिके. सिर्फ रांची में जेवर की 125 दुकानें हैं. इसमें से करीब 50 दुकानें मेन रोड पर ही है. इन दुकानों का किराया राज्य में प्रति व्यक्ति आय से कई गुना अधिक है. राज्य में जेवर के अलावा निजी उपयोग के 8,776 करोड़ रुपये के दोपहिया और चार पहिया वाहन बिके. कोई भी आमदनी जेवर, कार आदि की खरीद अपनी पहली जरूरतों को पूरा करने के बाद ही खरीदता है.

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