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एटीएस को सूचना देने वाला मुखबिर और उसका चालक गिरफ्तार

प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के आतंकवादी होने की गलत सूचना देकर दो निर्दोष लोगों को हथियार प्लांट कर एटीएस के जरिये गिरफ्तार कराने वाला मुखबिर दिलावर खान और उसके चालक शब्बीर को रांची पुलिस ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. वहीं गुरुवार को गिरफ्तार किये गये राकेश कुमार सिंह और आदिल अफरीदी को जमानत पर छोड़ दिया है.

रांची : प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के आतंकवादी होने की गलत सूचना देकर दो निर्दोष लोगों को हथियार प्लांट कर एटीएस के जरिये गिरफ्तार कराने वाला मुखबिर दिलावर खान और उसके चालक शब्बीर को रांची पुलिस ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. वहीं गुरुवार को गिरफ्तार किये गये राकेश कुमार सिंह और आदिल अफरीदी को जमानत पर छोड़ दिया है.

दिलावर खान के घर पर छापेमारी की जा रही है. पुलिस के अनुसार शब्बीर ने दिलावर की चालाकियों का खुलासा किया है. कहा है कि एटीएस की टीम पहले रांची नर्सिंग के पीछे स्थित एक घर पर पहुंच गयी थी. यह बाद में हथियार के तौर पर दो पिस्टल और मैगजीन लेकर संबंधित घर में रख दिया था. वहां एटीएस की टीम ने इसे भी पकड़ा था, लेकिन इसने टीम को बताया था कि दिलावर भैया ने उसे भेजा था.

इसलिए एटीएस ने उसे तत्काल छोड़ दिया था. घटनास्थल के समीप सीसीटीवी फुटेज से भी पुष्टि हुई है कि शब्बीर मौके वारदात पर गया था. पुलिस के अनुसार शब्बीर ने यह भी जानकारी दी कि दिलावर के पास चार पिस्टल और कई मैगजीन थे. इसके अलावा और भी जानकारी मिली है. इस आधार पर बड़गाई के नूरा मोहल्ला स्थित दिलावर के घर पर पुलिस ने शनिवार की शाम में छापेमारी शुरू की. इस दौरान जमीन से जुड़े दस्तवेजों के अलावा अन्य चीजें बरामद हुई हैं. छापेमारी में सदर पुलिस के अलावा सदर और सिटी डीएसपी आदि लगे थे.

भाजपा नेता की हत्या में जेल गया था दिलावरपुलिस की जांच में पता चला है कि 2016 में बूटी मोड़ के समीप एक जमीन काे लेकर वनवासी कल्याण आश्रम के तत्कालीन जिलाध्यक्ष और भाजपा नेता बंशी उरांव की हत्या कर दी गयी थी. हत्या के आराेप में दिलावर खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. लेकिन जेल जाने के बाद भी उसके दिमाग में उस जमीन की बात घूम रही थी.

जमानत पर जेल से बाहर आते ही दिलावर साजिश रच कर बंशी के बेटे को दुष्कर्म के केस में फंसा कर जेल भिजवा दिया था. बेटे के लिए बंशी की पत्नी और परिजनों ने जमीन दिलावर के नाम कर दी थी. तब बेटे की जेल से रिहाई हुई थी. हालांकि इतने प्रयासों के बाद भी दिलावर जमीन पर कब्जा नहीं कर पा रहा था. क्योंकि राकेश सिंह और अदिल अफरीदी उसके रास्ते में बाधा बन रहे थे.

ऐसे में दिलावर ने दोनों को फर्जी मामले में फंसा कर जेल भेजने की साजिश रची और एटीएस उसके जाल में ट्रैप हो गया. सिमी की कहानी रची गयी या मामला कुछ और हैपूरे घटनाक्रम में जिस तरह से एटीएस का इस्तेमाल दिलावर ने किया है, उससे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि इसके कारण अफसर ने अपने वरीय अधिकारियों के निर्देशों को ताक पर रख दिया.

मुखबिर पर विश्वास कर रांची पुलिस को साथ नहीं लिया. राकेश और अफरीदी की गिरफ्तारी के बाद भी दोनों को स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाने की जगह 10 घंटे तक अपने पास रखा. फिर रांची पुलिस के पास एटीएस गयी. लेकिन मामले में दिलावर का नाम आने के बाद पुलिस के वरीय अफसरों के कान खड़े हो गये. जांच तेज हुई, तो एटीएस और दिलावर की पोल खुल गयी.

पूरे प्रकरण में यह साफ है कि इस खेल में एटीएस का कोई अफसर जरूर शामिल है. इस बिंदु पर पुलिस जांच कर रही है. जिसके बाद पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जायेगी, तब एटीएस के अफसरों पर कार्रवाई होगी.

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