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Exclusive: जगरनाथ महतो बोले- कुड़मी तो एसटी थे ही, केंद्र बताये अब क्यों नहीं, 1932 खतियान पर भी रखी बात

झारखंड के शिक्षा व मद्य-निषेध मंत्री जगरनाथ महतो ने प्रभात खबर के संवाद कार्यक्रम में बोले कि कुड़मी एसटी में शामिल था, बिना किसी पत्र या गजट के कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से बाहर कर दिया गया. साथ ही साथ उन्होंने 1932 का खतियान, ओबीसी आरक्षण समेत तमाम मुद्दों पर बातचीत की.

रांची: प्रभात खबर ने सत्ता-सिस्टम में बैठे लोगों, नौकरशाहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संवाद की नयी शृंखला शुरू की है़ ऐसा संवाद, जो जन सरोकार के साथ जवाबदेह लोगों को जोड़े़ कार्यक्रम का उद्देश्य है कि नियम-नीति बनानेवालों, व्यवस्था को चलानेवालों तक आम लोगों से जुड़ी समस्या व सवाल पहुंचे़ प्रभात खबर संवाद की पहली कड़ी में राज्य के शिक्षा व मद्य-निषेध मंत्री जगरनाथ महतो पहुंचे़ प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में श्री महतो ने बड़ी सहजता व बेबाकी से संवाद के क्रम में सवालों का जवाब दिया़ विभाग की उपलब्धियों से लेकर भावी कार्य योजना और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत की.

आज देश के कई राज्यों में कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने को लेकर आंदोलन हो रहे हैं. कुड़मी एसटी में शामिल था, बिना किसी पत्र या गजट के कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से बाहर कर दिया गया, केंद्र बताये कि कुड़मी को क्यों एसटी की सूची से बाहर किया गया. कुड़मी अगर एसटी में शामिल नहीं था, तो फिर उसकी जमीन सीएनटी में कैसे है. उल्लेखनीय है कि कुड़मी को वर्ष 1931 में एसटी की सूची से बाहर कर दिया गया था.

हेमंत सरकार द्वारा लिये जा रहे महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में उन्होंने कहा कि झामुमो किसी हड़बड़ी में नहीं है. 1932 का खतियान, ओबीसी आरक्षण, सहायिका-सेविका का मानदेय बढ़ाने, पारा शिक्षकों की समस्याओं का समाधान झामुमो के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था, जिसे हम पूरा कर रहे हैं. हेमंत सोरेन के बाद पार्टी में कौन? इस सवाल पर श्री महतो ने कहा कि नंबर एक आउट होगा, तब न दूसरा आयेगा, यहां नंबर वन ही आउट होनेवाला नहीं है.

खतियान के सवाल पर कहा कि एकीकृत बिहार में भी स्थानीयता का आधार 1932 था, झारखंड में भी इसे लागू किया गया है. विपक्ष पहले 1932 के खतियान की मांग कर रहा था, अब सरकार उसे लागू कर रही है तो भाजपा, आजसू कह रही है कि इतनी जल्दबाजी क्या थी? शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य में 35000 सरकारी विद्यालय है, इनमें मात्र 500 स्कूलों में प्रधानाध्यापक हैं. स्कूलों में प्रधानाध्यापक की कमी है. इसे हम स्वीकार करते हैं. प्रधानाध्यापक की नियुक्ति के लिए निर्देश दिये गये हैं.

पारा शिक्षकों को आंदोलन करने का अधिकार

पारा शिक्षकों के आंदोलन पर श्री महतो ने कहा कि सभी को आंदोलन करने का अधिकार है, पर सरकार भी नियम के अनुरूप काम करेगी. पारा शिक्षकों ने बिहार की तर्ज पर नियमावली लागू करने की मांग की थी. अब बिहार की नियमावली के कुछ प्रावधान को मानेंगे और कुछ को नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. बिहार में अब पंचायत शिक्षकों की नियुक्ति होती है, जबकि झारखंड में सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति होगी.

नियुक्ति में पारा शिक्षकों को 50 फीसदी का आरक्षण दिया गया है. बिहार में पारा शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है, झारखंड में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हुआ है. फिर भी सभी पारा शिक्षकों को सहायक शिक्षक बना दिया गया. टेट सफल पारा शिक्षकों के मानदेय में 50 फीसदी व अन्य शिक्षकों के मानदेय में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गयी है.

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