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जल जीवन मिशन: केंद्र सरकार ने झारखंड को दिए 10 हजार करोड़, खर्च हुए 3 हजार करोड़, क्या बोले सांसद संजय सेठ?

लोकसभा सत्र के दौरान सांसद संजय सेठ ने सवाल पूछा था कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? कितनी राशि दी गयी है? इसके अलावा झारखंड में विभिन्न कारणों से प्रदूषित हुए बड़े जल निकायों और जलाशय की सफाई के संबंध में भी जानकारी मांगी थी.

रांची: जल जीवन मिशन के तहत पिछले 5 वर्षों में झारखंड को भारत सरकार के द्वारा 10865 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गयी है, जिसमें राज्य सरकार सिर्फ 3065 करोड़ रुपए का उपयोग कर पायी है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जल जीवन मिशन कार्य को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार ने झारखंड के लिए 4722 करोड़ की राशि आवंटित की है, परंतु इस वित्तीय वर्ष के लगभग 4 माह बीत जाने के बाद भी सरकार के द्वारा अभी तक इससे कोई राशि की निकासी नहीं की गयी है. इस आशय की जानकारी केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री विशेश्वर टुडू ने रांची के सांसद संजय सेठ के सवाल पर लोकसभा में दी.

जल जीवन मिशन को लेकर संजय सेठ ने पूछा था सवाल

लोकसभा सत्र के दौरान रांची के सांसद संजय सेठ ने यह सवाल पूछा था कि केंद्र सरकार के द्वारा झारखंड के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कितनी राशि उपलब्ध करायी गयी है. इसके अलावा सांसद ने झारखंड में विभिन्न कारणों से प्रदूषित हुए बड़े जल निकायों और जलाशय की सफाई के संबंध में भी जानकारी मांगी थी.

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जनता के बीच भ्रम नहीं फैलाए राज्य सरकार

जल जीवन मिशन के लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ दिए, लेकिन सिर्फ 3 हजार करोड़ खर्च हुए. चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र से 4722 करोड़ मिले हैं, लेकिन अब तक राज्य ने राशि ही नहीं निकाली. रांची से बीजेपी के सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने जवाब दिया. सांसद संजय सेठ ने कहा कि राज्य सरकार ईमानदारी से काम करे और जनता के बीच भ्रम फैलाना बंद करे.

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राशि का उपयोग नहीं कर पा रही सरकार

इसी जानकारी के आलोक में केंद्रीय मंत्री ने सदन में यह जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री ने लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2019 में 267 करोड़, 2020-21 में 572 करोड़ 2021-22 में 2479 करोड़, 2022-23 में 2825 करोड़ और 2024 में 4722 करोड़ की राशि आवंटित की गयी है. इसकी तुलना में राज्य सरकार इन राशियों का उपयोग नहीं कर पा रही है.

चालू वित्तीय वर्ष में दी गयी राशि की निकासी तक नहीं की गयी

वर्ष 2019 में झारखंड सरकार ने 291 करोड़ रुपए का उपयोग किया, जबकि 2020-21 में 143 करोड़ रुपए का उपयोग हुआ, वही 2021-22 में 512 करोड़ रुपए का उपयोग हुआ, जबकि 2022-23 में 2119 करोड़ रुपए का उपयोग हुआ. चालू वित्तीय वर्ष में जारी की गई राशि में से किसी भी राशि की निकासी अब तक नहीं की गयी है.

23 लाख घरों में नल जल से हो रही आपूर्ति

केंद्रीय मंत्री ने सांसद संजय सेठ को यह भी बताया कि राज्य सरकार के द्वारा जो रिपोर्ट उपलब्ध करायी गयी है, उसके अनुसार झारखंड में पूर्व में 20.50 लाख ग्रामीण घरों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया है. वहीं जुलाई 2023 तक राज्य में 61.28 लाख ग्रामीण घरों में से 23 लाख घरों में नल जल से आपूर्ति होने की सूचना दी गयी है.

झारखंड में कोई जलाशय प्रदूषित नहीं

राज्य सरकार के हवाले से ही लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य में पड़ने वाले बड़े जल निकायों जलाशयों को प्रदूषण मुक्त करने व साफ सफाई करने की जिम्मेदारी राज्य का विषय है. राज्य सरकार ने सूचित किया है कि वर्तमान में झारखंड में कोई जलाशय प्रदूषित नहीं है. इसके अलावा भारत सरकार जल निकायों के पुनरुद्धार को लेकर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकार को मदद करती है. भारत सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जल शक्ति अभियान, अमृत जलापूर्ति योजना, जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से झारखंड सहित सभी राज्यों को मदद करती रही है.

महज 30% राशि खर्च, केंद्रीय योजनाओं को फेल करने में लगी है सरकार

इस जवाब के बाद सांसद संजय सेठ ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. सांसद ने कहा कि भारत सरकार ने जितनी राशि राज्य सरकार को प्रदान की है, राज्य सरकार उस राशि का महज 30% खर्च कर पायी है. यह आंकड़ा बताता है कि राज्य सरकार जानबूझकर भारत सरकार की योजनाओं को राज्य में फेल करना चाह रही है ताकि केंद्र सरकार के ऊपर इसका ठीकरा फोड़ा जा सके. इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भ्रम फैलाने का काम किया है कि झारखंड का कोई जलाशय प्रदूषित नहीं है, जबकि मीडिया माध्यमों में यह खबर बराबर आती रही है कि झारखंड में बड़े पैमाने पर जलाशय प्रदूषित हो चुके हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि जब केंद्र सरकार दोनों हाथ खोल कर राज्य की प्रगति और विकास के लिए पैसे दे रही है तो राज्य सरकार को भी पूरी ईमानदारी के साथ इसका उपयोग करना चाहिए.

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