कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2022 लागू करने के विरोध में राज्य के खाद्यान्न के थोक व्यापारियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल बुधवार से शुरू हो गया. पहले दिन राज्य के करीब-करीब सभी जिलों में खाद्यान्न का कारोबार ठप रहा. इससे करीब एक सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ. राजधानी में 10 करोड़ से अधिक के कारोबार पर असर पड़ा.
रांची चेंबर के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि गुरुवार तक मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो शुक्रवार से खुदरा कारोबार भी बंद करा देंगे. जनता को होने वाली पूरी परेशानी की जिम्मेदारी सरकार की होगी.
थोक कारोबारियों की हड़ताल के कारण खाद्यान्न की लोडिंग और अनलोडिंग भी पूरी तरह ठप रही. व्यापारियों ने पूर्व में ही दूसरे राज्यों के व्यापारियों को खाद्यान्न का आर्डर देना बंद कर दिया था. इस कारण थोक मंडी में काम करनेवाले मोटिया मजदूर और अन्य दैनिक कर्मी भी बिना काम के रहे.
राज्य के करीब-करीब सभी जिलों में बाजार समिति के माध्यम से ही खाद्यान्न का कारोबार होता है. हड़ताल के कारण रांची के पंडरा स्थित कृषि बाजार समिति प्रांगण और अपर बाजार के थोक कारोबारियों सहित अन्य जिलों की थोक मंडी भी सुनसान रही. जिलों में थोक व्यापारियों ने मंडी परिसर में विरोध रैली भी निकाली.
सरकार ने कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2022 लाया है. इसको राज्यपाल का अनुमोदन मिल गया है. इसमें बाजार समिति से कारोबार करने पर 2.50 फीसदी तक कृषि शुल्क लेने का प्रावधान है. रघुवर दास की सरकार में इस शुल्क को समाप्त कर दिया गया था. इसे फिर लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. गजट प्रकाशन के बाद से यह व्यवस्था पूरे राज्य में लागू हो जायेगी.