झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रतिवादी राज्य सरकार व झारखंड विधानसभा सचिव का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को मामले की अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि एक सदस्यीय जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट सरकार को मिल गयी है. अब सरकार इस पर आगे की कार्रवाई करेगी. वहीं, विधानसभा सचिव की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग से मांगी गयी थी, लेकिन यह रिपोर्ट अब तक विधानसभा सचिवालय के पास नहीं पहुंची है. यह रिपोर्ट सरकार के पास आयेगी.
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प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर मामले में आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई व सीबीआइ जांच की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड विधानसभा में हुई अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग बना था. आयोग ने मामले की जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. वर्ष 2021 के बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक और आयोग जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में बना दिया गया.