झारखंड विधानसभा से बुधवार को दो नये और दो संशोधन विधेयक पारित हो गये. ‘कारखाना (झारखंड) संशोधन विधेयक-2023’ में प्रावधान किया गया है कि अब महिलाएं किसी फैक्टरी में शाम 7:00 बजे से सुबह के 6:00 बजे तक काम कर सकेंगी. पहले रात 12:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक काम नहीं करने का प्रावधान था.
संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए लंबोदर महतो ने कहा कि यह महिला विरोधी निर्णय है. इस पर विचार होना चाहिए. यह महिला श्रमिकों के विरुद्ध होगा. मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि सरकार महिलाओं को समान अधिकार देना चाहती है. नये संशोधन से अब महिलाएं तीनों शिफ्ट में काम कर सकेंगी. भाजपा के वॉकआउट के बीच यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया.
आरोग्यम इंटरनेशनल व सीवी रमण ग्लोबल यूनिवर्सिटी विधेयक मंजूर : सदन में बुधवार को ‘आरोग्यम इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी विधेयक-2023’ और ‘सीवी रमण ग्लोबल यूनिवर्सिटी विधेयक-2023’ लाया गया. इसका विरोध करते हुए लंबोदर महतो ने कहा कि यहां कई निजी विश्वविद्यालय खोले गये हैं, जो तय शर्तों को पूरा नहीं करते हैं. इसके लिए एक नियमावली भी बन रही है. सरकार को इसका इंतजार करना चाहिए.
झारखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है, जो अपने पैसे खर्च कर भवन बनाकर निजी विश्वविद्यालय को चलाने के लिए दे रहा है. जिनको चलाने के लिए दिया जा रहा, उसके ट्रस्ट में कौन-कौन यह भी जांचना चाहिए. एक अरब का भवन बनाकर रामगढ़ में अरका जैन निजी विवि को चलाने के लिए दे दिया गया है. कई निजी यूनिवर्सिटी एक-एक कमरे में चल रहा है. प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि दोनों यूनिवर्सिटी को मान्यता देने से पहले पूरी प्रक्रिया अपनायी गयी है. इसमें कहीं कोई परेशानी नहीं है.
सदन ने बुधवार को ‘अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक-2023’ को भी मंजूरी दे दी. इसमें स्टांप शुल्क से कल्याण कोष में जानेवाली राशि को 15 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये करने का प्रावधान है. लंबोदर महतो ने प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि वह इस बढ़ोतरी का विरोध नहीं कर रहे हैं. वह चाहते हैं कि इस बढ़ोतरी के बोझ जनता पर नहीं पड़े. राज्य में करीब 33 हजार अधिवक्ता हैं.
कुल नौ लाख से अधिक का बोझ पड़ेगा. इसे सरकार को वहन करना चाहिए. विनोद सिंह ने कहा कि कल्याण कोष की राशि कहां खर्च होगी, इसका जिक्र कहीं नहीं है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए. प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस मद में लोग स्वेच्छा से पैसा देते हैं.