रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट अब तक प्रस्तुत नहीं किये जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि तीन बार आदेश देने के बाद भी झारखंड विधानसभा सचिव की ओर से अब तक जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी है.
रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करना, यह कानूनी प्रक्रिया में व्यवधान पैदा करने जैसा मामला है. खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिव को सात दिनों के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. कहा कि यदि विधानसभा सचिव द्वारा जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की जायेगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 12 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखते हुए बताया कि मंत्रिमंडल सचिवालय ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट को जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षतावाली आयोग के पास भेजा है. इसलिए मंत्रिमंडल सचिवालय से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट मांगी गयी है. आयोग की उक्त रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है. वहीं प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की.
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