झारखंड हाइकोर्ट ने विधानसभा नियुक्ति घोटाले के मामले में विक्रमादित्य आयोग की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. विधानसभा में हुई अवैध नियुक्ति व प्रोन्नति की जांच वर्ष 2018 में ही जस्टिस विक्रमादित्य ने पूरी कर ली थी. विक्रमादित्य आयोग ने 17 जुलाई 2018 में ही तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, वर्तमान में राष्ट्रपति को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंप दी गयी थी.
जांच आयोग ने विधानसभा में हुई अवैध नियुक्ति के लिए तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम को दोषी माना था. वहीं इसके विधानसभा में नियम-कानून को ताक पर रख कर दी गयी प्रोन्नति के लिए तत्कालीन स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता को दोषी माना था. जांच आयोग का कहना था कि इस मामले में नियुक्त हुए लोगों का दोष सिद्ध नहीं होता है, लेकिन नियुक्ति में नियमावली व प्रावधानों की अवहेलना हुई है.
तत्कालीन स्पीकर के साथ उस समय विधानसभा के तत्कालीन सचिव अमरनाथ झा सहित दो अन्य सचिव और आधा दर्जन से ज्यादा पदाधिकारी-कर्मियों की भूमिका अवैध नियुक्ति में सामने आयी थी. आयोग ने कहा था कि गलत तरीके से प्रोन्नत किये गये पदाधिकारी व कर्मियों को डिमोट करें. विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने तब स्पीकर रहे दिनेश उरांव को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इस पूरे मामले में पांच वर्ष गुजर गये, अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई.
आलमगीर के समय पैसे के लेन-देन का मामला आया, सीडी सामने आयी: स्पीकर अलामगीर आलम के समय हुई नियुक्ति में पैसे के लेन-देन का मामला सामने आया था. विधायक सरयू राय ने इससे संबंधित एक सीडी जारी की थी. जिसमें पैसे की लेन-देन को लेकर बातचीत हो रही थी. सीडी सामने आने के बाद मामला खूब गरमाया. इसके बाद इस मामले में विधानसभा समिति ने भी जांच की. विधानसभा समिति ने बड़ी एजेंसी से जांच कराने की अनुशंसा की. इसके बाद इस मामले की शिकायत राज्यपाल तक पहुंची. तत्कालीन राज्यपाल सिब्ते रजी ने इस मामले में एक सदस्यीय न्यायिक जांच का आदेश दिया.
स्पीकर रहे इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के समय झारखंड विधानसभा में नियुक्तियां हुईं. इंदर सिंह नामधारी ने अनुसेवक सहित अन्य पदों पर 274 लोगों को बहाल किया. इसमें आधे से अधिक पलामू के लोग थे. वहीं स्पीकर रहे आलमगीर आलम ने सहायक सहित अलग-अलग पदों पर 324 लोगों को बहाल कर लिया. इन बहालियों में कानून को ताक पर रख कर गड़बड़ी हुई. इन दोनों स्पीकर से विक्रमादित्य आयोग ने पक्ष रखने के लिए भी कहा था.
विधानसभा ने नियुक्ति मामले में राज्यपाल से स्वीकृत पदों की संख्या भी बढ़ायी. इसके लिए फाइल में भी छेड़छाड़ विधानसभा के तत्कालीन सचिव अमरनाथ झा ने राज्यपाल की स्वीकृत फाइल में छेड़छाड़ कर दी. हर वर्ग के पदों की संख्या बढ़ा दी गयी.