रांची : कोरोना संक्रमण की वजह से जारी लॉकडाउन के बाद सारी दुकानें धीरे- धीरे खूल गयी लेकिन पिछले चार महीनों से सैलून वाले इंतजार में हैं कि कब सरकार उन्हें काम करने की इजाजत देगी हालांकि सैलून के साथ- साथ बड़े मॉल, सिनेमाहॉल सहित वैसी जगहें जहां ज्यादा भीड़ होती है, उन्हें भी दुकान खोलने की इजाजत नहीं मिली है. इस लॉकडाउन का असर अब सैलून वालों पर पड़ने लगा है. हजाम जो लोगों के बाल काटकर अपना घर चलाते हैं अब संकट में हैं और इंतजार में हैं कि कब सरकार उन्हें दोबारा दुकान खोलने की इजाजत देगी पढ़ें पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट…
झारखंड की राजधानी रांची में पांच हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले हैं. पहले आंकड़े का जिक्र इसलिए ताकि आप राज्य में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति का अंदाजा लगा सकें. इसके बावजूद भी राज्य में ऑनलॉक की प्रक्रिया के तहत ज्यादातर दुकानें खुली हैं. झारखंड सरकार ने पहले कपड़ा, जूता, सैलून और कॉस्मेटिक को छोड़कर तमाम दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी. कपड़ा, कॉस्मेटिक और जूता दुकानदारों ने आंदोलन किया तो उन्हें भी खोलने का आदेश प्राप्त हो गया.
शहर की सड़क के किनारे बड़ी आसानी से अब स्ट्रीट फूड भी मिलने लगे हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अब भी लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन हो. इन सब के बीच सबसे ज्यादा परेशान है सैलून चलाने वाले. छोटी सी दुकान में कई लोगों को रोजगार देने वालों को अब रोजगार का संकट है चार महीनों से दुकान बंद है तो कमाई बंद है.
राज्य में सैलून ना खुलने के कारण इनकी क्या स्थिति है यह समझने के लिए हमने झारखंड प्रदेश युवा नाई संघ के अध्यक्ष राजू ठाकुर से बातचीत की उन्होंने कहा, हमें इस बात की बहुत खुशी है कि हमारी तरफ ध्यान देने वाला कोई है, हम लगातार मांग कर रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. हम चार महीने से घर पर बैठे हैं दुकानें नहीं खुल रही है. ज्यादातर दुकान किराये की हैं. इन चार महीनों में अपना पेट चलाने की समस्या, तो हैं हीं साथ ही दुकान का किराया, घर का किराया भी हर महीने देना है. घर और दुकान मालिक को समझाना मुश्किल है. हमारे साथियों ने संघ में आकर शिकायत भी की. कुछ दुकान और घर मालिक मान भी गये लेकिन कहते हैं, काम शुरू होगा तब चुका देना. चार महीनों से हम बैठे हैं उधार बढ़ रहा है और अब लोगों को अपना घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. सरकार ने अगर जल्द कोई फैसला नहीं लिया तो यह आंदोलन तेज हो जायेगा.
झारखंड प्रदेश युवा नाई संघ के अध्यक्ष राजू ठाकुर ने कहा, हम मानते हैं कि सरकार चिंतित है कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन दुकानें तो खुल गयी हैं. कपड़े की दुकान, सड़क पर चाट समोसे की दुकान भी खुल गयी है. हमारे साथ क्या समस्या है. कई राज्यों में सैलून खोलने की इजाजत दी गयी है. लोग पीपीई किट तो कहीं फेस शिल्ड के साथ मास्क और हाथ में दस्ताने पहनकर काम कर रहे हैं. हम भी करने के लिए तैयार हैं. हम सरकार के हर फैसले के साथ खड़े हैं लेकिन सरकार हमारे हित में सोचे.
हम आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी. उन्होंने भरोसा दिया था कि हम जल्द फैसला लेंगे लेकिन अबतक कोई फैसला नहीं हुआ. हमने मुख्यमंत्री से आर्थिक मदद की भी अपील की थी. हमारे संगठन के पास अब पैसा नहीं बचा जितना फंड था हमने इस लॉकडाउन में लोगों की मदद के लिए लगा दिया. किसी के पास बिल्कुल पैसे नहीं है खाने की दिक्कत है, तो उसे संगठन तो मदद करेगा ही. हमने अपने साथियों के जरूरत में उनका साथ दिया लेकिन अब हमारे पास फंड भी नहीं बचे. हम अब अपने किसी साथी की मदद भी नहीं कर पायेंगे. अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे कोरोना के संकट में हम नहीं चाहते कि हम सभी एक जगह जमा हों, बार- बार बैठक हो.
क्या कोविड 19 का असर बाल कटाने की कीमत पर भी पड़ेगा ? इस सवाल पर इस संगठन के विजय ठाकुर कहेत हैं संभव है कि हम अपने रेट चार्ट में बढोतरी करें क्योंकि हमें सुरक्षा के लिहाज से खर्च भी ज्यादा करना होगा, ग्राहकों को पूरी सुरक्षा देनी होगी. पहले से भी हम एसी औऱ नॉन एसी का चार्ट अलग होता था दोनों की कीमतें अलग होती थी इस बार भी इसी आधार पर नया चार्ट बनेगा लेकिन यह सब बैठक के बाद ही तय होगा.
गैलेक्सिया मॉल के पास युवराज हैंडसम मैन्स पार्लर चलाने वाले विजय ठाकुर कहते हैं हमारे बच्चे पढ़ते हैं उनकी स्कूल फीस है, घर का राशन है दुकान किराये का है, तो उसका किराया चाहिए. चार महीने से कमाई बिल्कुल नहीं है पैसा आयेगा कहां से. दुकान खुलने के साथ ही हमें पैसे की भी जरूरत होगी दुकान में कई सामान खराब हो चुके हैं. कोरोना वायरस के मद्देनजर हमें अपनी सुरक्षा पर ध्यान देना होगा. पीपीई किट, फेस शिल्ड, सैनिटाइजर, मास्क, हाथ में दस्ताने चाहिए होंगे. पहले से काम भी कम होगा और परेशानी भी ज्यादा होगी. हमारे व्यापार तो इसका असर लंबा पड़ेगा.
पिस्का मोड़ इलाके में सैलून चलाने वाले छोटू कहते हैं लॉकडाउन से समस्या तो सभी लोगों को है, कई लोगों का रोजगार छिन गया लेकिन जैसे ही ऑनलाक की प्रक्रिया शुरू हुई लोग काम पर लौट गये मानता हूं रोजगार पहले जैसा नहीं है लेकिन काम तो हो रहा है. हमारी दुकानें बंद हैं हम कुछ भी नहीं कमा रहे जबकि घर चलाने के लिए पैसे चाहिए.
लॉकडाउन के दौरान भी महिलाएं जिन्हें हर महीने अपने आईब्रो बनवाने हैं, वह ब्यूटी पार्लर जा रही है. पार्लर वाली से जिनकी अच्छी पहचान है, उन्हें अलग से समय देकर चोरी छुपे काम हो रहा है. कई लोग घर पर बुलाकार भी बाल और दाड़ी बनवा रहे हैं. खतरा उतना ही है.
कोरोना का सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र में रहा यहां सरकार ने जून से ही सैलून और ब्यूटी पार्लटर खोलने की इजाजत दे दी थी. शर्त रखी गयी कर्मचारियों को दस्ताने, एप्रन और मास्क पहनने होंगे. हर सर्विस के बाद कुर्सियों को सैनिटाइज करना होगा. अलग तौलिया और नैपकिन का इस्तेमाल करना होगा.
महाराष्ट्र नाई महामंडल ने खुद यह फैसला लिया कि हम स्किन संबंधी कोई सेवा नहीं देंगे ताकि ग्राहक और दुकादार दोनों सुरक्षित रहें. सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी सैलून की दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी गयी यहां भी जून में ही सरकार ने यह फैसला लिया. राष्ट्रीय राजधानी और आर्थिक राजधानी के अलावा कई राज्यों में भी राज्य सरकारें सैलून की दुकानें खोलने की इजाजत दे रही हैं हालांकि कई राज्यों ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अब भी इस पर रोक लगा रखा है.
Posted By – pankaj Kumar pathak