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Cyber Crime: मोबाइल मैसेज और ऑनलाइन गेमिंंग से सबसे ज्यादा हो रही ठगी, इससे बचने के लिए इन उपायों को अपनाएं

साइबर क्राइम के अलग-अलग पैंतरे आजमाकर आम लोगों को इसका शिकार बनाया जा रहा है. संस्था साइबर पीस के अनुसार ज्यादातर लोग ऑनलाइन ऑफर और ऑनलाइन गेमिंग से पैसा कमाने की चाह में ठगी का शिकार हो रहे हैं.

Jharkhand Cyber Crime: इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते प्रचलन ने काम आसान कर दिया है. लोग घर बैठे ही अपना काम आसानी से कर रहे हैं. इससे स्क्रीन टाइम के साथ-साथ साइबर एंगेजमेंट बढ़ा है. कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने लोगों को घर बैठे कमाने की आजादी दे दी. ऑनलाइन काम ने आसानी से पैसे कमाने की इच्छा को बढ़ावा दिया है. लोगों की इसी भावना का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. साइबर क्राइम के अलग-अलग पैंतरे आजमाकर आम लोगों को इसका शिकार बनाया जा रहा है. संस्था साइबर पीस के अनुसार ज्यादातर लोग ऑनलाइन ऑफर और ऑनलाइन गेमिंग से पैसा कमाने की चाह में ठगी का शिकार हो रहे हैं. चिंता इस बात की लोग ठगी का शिकार होने के बावजूद इसकी शिकायत तक नहीं करते हैं. इससे अपराधियों का मन बढ़ रहा है. अब वे बेधड़क ठगी कर रहे हैं.

इस तरह लोग हो रहे
ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार

1. गेम डाउनलोड करें, खाते को लिंक कर शुरुआती रकम पायें

सोशल मीडिया हैंडल और यूट्यूब के जरिये वीडियो देखते हुए अक्सर लोगों को कई ऑनलाइन गेम के विज्ञापन से जोड़ा जाता है. गेम का फ्री ट्रायल भी दिया जाता है. लूडो, रम्मी, कैरम, चेस समेत कई रेसिंग गेम को खेल घर बैठे पैसे कमाने के ऑफर बताये जाते हैं. गेम जीतते ही बैंक अकाउंट और यूपीआइ से मोबाइल कनेक्ट कर जीत की रकम हासिल करने के ऑफर दिये जाते हैं. लोग जैसे ही आकर्षित होकर क्लिक करते हैं, उनसे नयी जानकारी मांगी जाती है. भविष्य में ज्यादा रकम जीतने के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क मांगा जाता है. इस प्रक्रिया में लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाते हैं.

2. अंतिम तिथि से पहले उठायें ऑफर का अधिक लाभ

अक्सर इ-मेल आइडी पर अनजान मेल-आइडी से लोगों को कैगेज और शॉपिंग ऑफर का लाभ उठाने से जुड़े मेल आते हैं. ऑफर में पैकेज हासिल करने का एक निश्चित समय दिया जाता है. वहीं, कई बार लोगों के ऑनलाइन सर्च का लाभ उठाते हुए पसंदीदा सामान पर 40 से 60 प्रतिशत छूट के ऑफर भी दिये जाते हैं. क्लिक करने पर लोगों से पैकेज हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करने की बात कही जाती है. रजिस्ट्रेशन के बाद एक निश्चित रकम को तय समय पर चुकाने का ऑफर दिया जाता है. कम पैसे में मिलने वाली सामग्री से आकर्षित होकर लोग रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर देते हैं. इसकी वजह से अक्सर ऑनलाइन ठगी हो रही है.

3. इंश्योरेंस समाप्त होने वाला है अभी ऑफर का लाभ उठायें

लोग अक्सर गाड़ी का इंश्योरेंस कर उसकी अंतिम तिथि का अपडेट लेना भूल जाते हैं. इसका फायदा भी साइबर ठग उठा रहे हैं. लोगों के फोन पर इंश्योरेंस खत्म होने की सूचना देते हैं. ज्यादा जानकारी के लिए दिये गये लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है. इस दौरान संबंधित व्यक्ति बिना सोचे-समझे दिये गये लिंक पर क्लिक कर देता है और गाड़ी का नंबर समेत अन्य मांगी गयी जानकारी भरने लगते हैं. इस दौरान लोगों के फोन पर बग छोड़ दिया जाता है, जो मोबाइल का क्लोन कर साइबर ठगी का जरिया बनता है.

4. घर बैठे ऑनलाइन पोस्ट और वीडियो शेयर कर पैसे कमायें

सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे लोग अक्सर इस तरह के मैसेज से आकर्षित हो जाते हैं. पोस्ट पर स्वाइप-अप यानी लिंक पर जाने का विकल्प दिया जाता है. क्लिक करने पर लिंक को खुलने में कुछ सेकेंड का समय लगता है. और इसके बाद रुचिकर विषय, नाम, मोबाइल नंबर, इमेल आइडी, पता समेत अन्य जानकारी मांगी जाती है. लिंक पर ज्यादा समय बने रहने से साइबर अपराधी फोन हैक कर लेते हैं. लोगों के डाटा का क्लोन बनाकर ठगी करते हैं.

5. ऑनलाइन जॉब ऑफर आपका इंतजार कर रहा

साइबर ठग का एक बड़ा टारगेट ग्रुप बेरोजगार युवा हैं. मोबाइल मैसेज, सोशल मीडिया बैनर और मेल-आइडी के जरिये ऑनलाइन जॉब ऑफर का वादा किया जाता है. घर बैठे 15 से 50 हजार रुपये तक कमाने के लालच दिये जाते हैं. बेरोजगार युवा अक्सर इन मैसेज कंटेंट का रिप्लाइ करते हैं, जिससे साइबर अपराधी मोबाइल के जरिये उनके डाटा और कॉन्टैक्ट तक पहुंच जाते हैं. इसके बाद लोगों के कॉन्टेक्ट नंबर पर मैसेज भेजे जाते हैं. साथ ही जॉब ऑफर के लिए रिज्यूम को बड़ी कंपनी तक पहुंचाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन के जरिये पैसे मांगे जाते हैं.

6. क्यूआर कोड पर स्कैन कर फ्री गिफ्ट पायें

ऑनलाइन पेमेंट करने वाले लोगों को अक्सर स्क्रैच कूपन दिया जाता है. इसे स्क्रैच कर कभी कैश-बैक, तो कभी शॉपिंग ऑफर दिये जाते हैं. इन ऑफर के आदी हो चुके लोग साइबर ठग का सॉफ्ट टारगेट हाेते हैं. इन लोगों को लिंक भेज आकर्षक ऑफर का लाभ उठाने का लालच दिया जाता है. ऑफर देखने के लिए क्यूआर कोड भी भेजा जाता है. जैसे ही कोई व्यक्ति क्यूआर स्कैन करता है साइबर ठग को मोबाइल का एक्सेस मिल जाता है. इससे वे मोबाइल की सभी गतिविधि पर नजर रखते हैं. सभी मौका देख पेमेंट ऑप्शन और पासवर्ड पर नजर रख ठगी करते हैं.

7. स्पिन ऑफर का लाभ उठायें ग्रुप में शेयर कर इनाम जीतें

वेबसाइट के जरिये खरीदारी करने वालों को अक्सर इस तरह के ऑफर दिये जा रहे हैं. खरीदारी पूरा करने के बाद स्पिन ऑफर दिया जाता है. इसमें इनामी रकम, महंगे मोबाइल को कम पैसे में हासिल करने के ऑफर, कैशबैक समेत अन्य ऑफर शामिल होते हैं. स्पिन के लिए तीन मौके मिलते हैं, ताकि लोग बेहतर ऑफर का लाभ उठा सकें और वेबसाइट पर बने रहें. ऑफर का लाभ उठाने के लिए लोगों को इसकी जानकारी व्हाट्सएप या सोशल मीडिया साइट के कॉन्टैक्ट ग्रुप व पर्सनल नंबर पर 20 से 100 लोगों तक पहुंचाने के लिए कहा जाता है. इस तरह साइबर अपराधी कॉन्टैक्ट लिस्ट में पहुंच साइबर ठगी करते हैं.

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एक मिनट से ज्यादा समय लेने
वाली वेबसाइट से तुरंत बाहर निकलें

साइबर पीस के फाउंडर मेजर विनीत कुमार ने कहा कि लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन ऑफर से होनेवाली ठगी का शिकार हो रहे हैं. साइबर अपराधी लोगों की भावनाओं से जुड़ अपराध को अंजाम दे रहे हैं. निजी जानकारी की काॅपी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से जल्दी कॉपी कर ली जा रही है. साइबर अपराधी उलझाने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को जबरदस्ती लंबा खींचते हैं, ताकि लोग वेबसाइट पर बने रहे और क्लोन प्रक्रिया पूरी हो जाये.

ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए
इन उपायों को अपनाना जरूरी

  • ऑनलाइन ऑफर वाली वेबसाइट को कम से कम इस्तेमाल करें. बड़े ब्रांड ऑफर का प्रचार मुख्य सूचना तंत्र से करते हैं.

  • जिस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया या पेमेंट प्रक्रिया में एक मिनट से ज्यादा समय लगे, उस एप व वेबसाइट को जल्द बंद कर दें.

  • आसानी से पैसा कमाने की चाह में किसी भी ऑनलाइन

  • वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन न करें.

  • निजी जानकारी जैसे आधार नंबर, बैंक खाता, यूपीआइ आइडी, पैन नंबर आदि को किसी भी कीमत पर साझा न करें.

  • ऑर्डर लेकर पते पर पहुंचनेवाले डिलिवरी ब्वॉय को ही ओटीपी बतायें, विश्वास न हो, तो कंपनी की आइडी देख सकते हैं.

लोग लिखित शिकायत नहीं करते : साइबर डीएसपी

साइबर पुलिस के डीएसपी सुमित प्रसाद ने बताया कि काफी कम लोग ऑनलाइन ठगी की शिकायत करते हैं. जब तक बड़ी रकम की ठगी नहीं होती, लोग शिकायत करने से बचते हैं. यह साइबर अपराधियों के मनोबल को बढ़ावा दे रहा है. लोग अक्सर साइबर अपराध के शिकात में अपना पक्ष शर्म से छिपाने की कोशिश करते है. लोग नजदीकी साइबर थाना जाने की बजाय नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) या फिर डायल 1908 पर शिकायत करते है. इससे शिकायत कर्ता की मॉनीट्रिंग में परेशानी आ रही है. लोग शिकायत के बाद संबंधित फोन नंबर से जवाब नहीं देते. साइबर थाना में नियमित रूप से दो सक तीन मामलों की लिखित शिकायत मिल रही है.

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